Cold Feet Symptoms: हमारे पैरों में सेहत की कई चीजें छिपी होती हैं. ये शरीर की सेहत के कई संकेत देते हैं, जिन्हें हम अक्सर अनदेखा कर देते हैं. लगातार सूजन रहना, पैरों का ठंडा पड़ जाना या उंगलियों और एड़ियों पर घाव न भरना छोटी समस्या नहीं, बल्कि ये हार्ट और ब्लड वैसल्स से जुड़ी बीमारियों का संकेत भी हो सकती हैं. खासकर यदि आपके पैरों में हमेशा ठंडापन रहता है तो इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए क्योंकि इसके तार सीधे हार्ट से जुड़े होते हैं. इसलिए पैरों के काफ मसल्स को हमेशा सेकेंड हार्ट कहा जाता है.
पैरों में सूजन, नीली नसें और ठंडापन
डॉ. सूद के मुताबिक अगर पैरों की नसें नीली और उभरी हुई नजर आने लगें, तो यह वेरिकोज़ वेन्स का संकेत हो सकता है. यह स्थिति तब होती है जब नसों के वाल्व कमजोर पड़ जाते हैं और खून का प्रवाह सही दिशा में बह नहीं पाता. उन्होंने बताया कि सीईएपी सी 2 स्टेज पर ऐसे मुड़ी-तुड़ी दिखने वाली नसें वेरिकोज़ वेन डिजीज की पहचान होती हैं. अगर टखनों में दोनों तरफ लगातार सूजन है और लंबे समय तक खड़े रहने पर भारीपन या दर्द महसूस होता है, तो यह क्रॉनिक वेनस डिज़ीज़ का लक्षण हो सकता है. सूद बताते हैं कि यह स्थिति तब होती है जब नसों का दबाव बढ़ जाता है और खून का प्रवाह धीमा पड़ जाता है. इसी तरह यदि आपके पैर लगातार ठंडे रहते हैं या पीले पड़ जाते हैं या चलने पर दर्द महसूस होता है तो यह पेरिफेरल आर्टरी डिज़ीज़ PAD की निशानी भी हो सकती है. इसमें धमनियां संकरी हो जाती हैं और पैरों तक खून का प्रवाह कम हो जाता है जिससे दर्द या ऐंठन होती है.
सिर्फ एक पैर में सूजन या घाव ज्यादा खतरनाक
अगर सिर्फ एक पैर या पिंडली लाल, गर्म या सूजी हुई महसूस हो तो यह वेनस ऑब्स्ट्रक्शन का संकेत हो सकता है.यह ज्यादा खतरनाक है. डॉ. सूद का कहना है कि ऐसे मामलों में एक तरफ सूजन, गर्माहट और सॉफ्टनेस होती है. यह खून की नलियों में बाधा पहुंचा सकते हैं. यह लंबे समय तक गतिहीन रहने और गर्भावस्था या जेनेटिक क्लॉटिंग डिस्ऑर्डर के कारण हो सकता है.ऐसे में उंगलियों या टखनों पर बने न भरने वाले घावों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. डॉ. सूद के मुताबिक जब शरीर में ब्लड फ्लो और ऑक्सीजन सप्लाई घट जाती है तो छोटे घाव भी जल्दी नहीं भरते. यह PAD का गंभीर संकेत है और अगर ध्यान न दिया जाए तो गैंग्रीन जैसी स्थिति बन सकती है.

सही खान-पान से सुधारा जा सकता है ब्लड फ्लो
हार्ट और ब्लड वैसल्स की सुरक्षा में खान-पान की भूमिका पर पीएसआरआई अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. रवि प्रकाश ने इंडियन एक्सप्रेस से बताया कि डाइट से ब्लड सर्कुलेशन को सुधारा जा सकता है और PAD जैसी बीमारियों का खतरे को घटाया जा सकता है. इसके लिए ओमेगा-3 फैटी एसिड, एंटीऑक्सीडेंट और फाइबर से भरपूर डाइट का सेवन करें. इससे ब्लड वेसल्स हेल्दी होगी. उन्होंने बताया कि फैटी मछलियां जैसे सैल्मन और मैकरल, अखरोट, अलसी के बीज और ऑलिव ऑयल हार्ट की धमनियों में चर्बी जमने से रोकते हैं और ब्लड फ्लो को बेहतर बनाते हैं. वहीं पालक, बेरीज़ और साइट्रस फ्रूट्स जैसे संतरा या मौसमी में मौजूद विटामिन सी, ई और फोलेट नसों की लोच बनाए रखते हैं.
नमक कम करें
डॉ. प्रकाश ने सलाह दी कि खाने में नमक की मात्रा कम रखें, खासकर अगर पैरों में सूजन रहती है. उन्होंने कहा कि ज्यादा सोडियम शरीर में पानी रोकता है, जिससे सूजन बढ़ती है. इसके बजाय पोटेशियम युक्त फूड्स जैसे केले, एवोकाडो, पालक और शकरकंद का सेवन करें. पर्याप्त मात्रा में पानी पीना भी जरूरी है, क्योंकि डिहाइड्रेशन से शरीर और ज्यादा पानी रोकने लगता है. साथ ही अंगूर, प्याज, ग्रीन टी और साइट्रस फल नसों की मजबूती बढ़ाते हैं और खून को दिल तक लौटाने में मदद करते हैं.
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