Sun In 3rd House Effects: जन्म कुंडली में सूर्य की स्थिति इंसान की पहचान, आत्मविश्वास, और जीवन की दिशा तय करती है. जब सूर्य तीसरे भाव में आता है, तो यह व्यक्ति की मेहनत, हिम्मत, संवाद करने की कला और भाई-बहनों से जुड़ी बातों को प्रभावित करता है. तीसरा भाव “पराक्रम भाव” कहलाता है, यानी साहस, प्रयास, मेहनत और कम्युनिकेशन का घर. ऐसे में जब इस भाव में सूर्य मौजूद होता है, तो इंसान का स्वभाव काफी दमदार और आत्मविश्वासी हो जाता है. इस स्थिति वाले लोग अपने विचार खुलकर रखते हैं, किसी के दबाव में नहीं आते और खुद अपनी राह बनाते हैं, ये लोग बोलने में तेज, निर्णय लेने में मजबूत और हर काम में आगे रहने वाले होते हैं, लेकिन अगर सूर्य अशुभ स्थिति में हो, तो यही आत्मविश्वास कभी-कभी अहंकार में बदल सकता है. तीसरे भाव में सूर्य इंसान के रिश्तों पर भी असर डालता है, खासकर भाई-बहनों और सहकर्मियों के साथ, अगर कुंडली में बाकी ग्रहों की स्थिति ठीक हो, तो सूर्य यहां व्यक्ति को सफलता, मान-सम्मान और प्रसिद्धि दिलाता है.
सूर्य तीसरे भाव के सकारात्मक प्रभाव (Good Effects)
1. असाधारण आत्मविश्वास:
इस भाव में सूर्य होने से व्यक्ति में आत्मविश्वास और हिम्मत बहुत ज्यादा होती है, ये लोग जोखिम लेने से नहीं डरते और किसी भी मुश्किल को चुनौती की तरह लेते हैं.
2. संवाद और अभिव्यक्ति की ताकत:
ये लोग बोलने में बहुत प्रभावशाली होते हैं, अगर ये पत्रकारिता, मीडिया, राजनीति, या मार्केटिंग जैसे क्षेत्र में जाएं तो आसानी से नाम कमा सकते हैं.

3. भाई-बहनों से सहयोग:
अगर सूर्य शुभ स्थिति में है, तो भाई-बहनों से अच्छा सहयोग और समर्थन मिलता है. परिवार में इज्जत और नेतृत्व की भूमिका मिलती है.
4. साहस और नेतृत्व क्षमता:
सूर्य तीसरे भाव में व्यक्ति को लीडर बनाता है. ऐसे लोग अपने आसपास के लोगों को मोटिवेट करना जानते हैं और मुश्किल समय में सबके लिए मजबूत स्तंभ बनते हैं.
5. सफलता की चाह और मेहनत:
ये लोग मेहनती होते हैं और अपने दम पर आगे बढ़ना पसंद करते हैं. किसी से उम्मीद नहीं रखते और खुद अपनी मंज़िल तय करते हैं.
सूर्य तीसरे भाव के नकारात्मक प्रभाव (Bad Effects)
1. अहंकार और ज़िद्दी स्वभाव:
अगर सूर्य कमजोर या पाप ग्रहों से प्रभावित हो तो व्यक्ति जरूरत से ज्यादा आत्मकेंद्रित और ज़िद्दी हो जाता है. ऐसे में रिश्ते खराब हो सकते हैं.
2. भाई-बहनों से मनमुटाव:
कुछ मामलों में सूर्य का तीसरे भाव में होना भाई-बहनों के साथ तनाव या दूरी पैदा कर सकता है, खासकर अगर सूर्य शनि या राहु से प्रभावित हो.
3. अत्यधिक आत्मविश्वास से नुकसान:
कभी-कभी ये लोग अपनी बात पर इतने अड़े रहते हैं कि दूसरों की सलाह नहीं सुनते, जिससे नुकसान उठाना पड़ सकता है.
4. गुस्सा और झगड़ालू प्रवृत्ति:
अशुभ सूर्य व्यक्ति को गुस्सैल बना सकता है. छोटी बात पर नाराज़ होना या अपनी बात मनवाने की कोशिश करना इनके स्वभाव का हिस्सा बन जाता है.

सूर्य तीसरे भाव के उपाय (Remedies)
1. हर दिन सुबह सूर्य को जल चढ़ाएं और “ॐ घृणि सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करें.
2. अपने अहंकार पर काबू रखें और दूसरों की राय सुनने की आदत डालें.
3. रविवार के दिन व्रत रखें या लाल रंग के कपड़े पहनें.
4. तांबे का कड़ा या अंगूठी पहनना लाभदायक होता है.
5. गरीबों को लाल कपड़े, गेहूं या गुड़ दान करना शुभ माना जाता है.
6. घर में सूर्य की तस्वीर पूर्व दिशा में लगाएं ताकि सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे.