4 Stairs Of Heaven: रावण का नाम सुनते ही दिमाग में एक महान योद्धा और भगवान शिव का परम भक्त उभरता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि रावण के मन में एक और अनोखी इच्छा भी थी, जो मानवीय कल्पना की हदों से बाहर थी? पौराणिक कथाओं के अनुसार, रावण चाहता था कि कोई भी मनुष्य पुण्य-कर्मों के बिना सीधे स्वर्ग जा सके. इस असाधारण इच्छा को पूरा करने के लिए उसने भगवान शिव की घोर तपस्या की और अमरता का वरदान मांगा. भगवान शिव ने उसे एक शर्त दी – अगर वह केवल एक ही रात में पृथ्वी से स्वर्ग तक पांच सीढ़ियां बना दे, तो वह न केवल अमर हो जाएगा बल्कि स्वर्ग तक जाने का मार्ग भी प्राप्त कर सकेगा.
रावण के जरिए बनाई गई चार स्वर्ग की सीढ़ियां
पहली सीढ़ी – हरिद्वार, उत्तराखंड
रावण की बनाई पहली सीढ़ी आज हरिद्वार के प्रसिद्ध घाट, हर की पौड़ी पर स्थित है. ‘पौड़ी’ का अर्थ होता है सीढ़ी. धार्मिक मान्यता है कि रावण ने इसी स्थान पर स्वर्ग तक जाने वाली पहली सीढ़ी का निर्माण किया था. गंगा नदी के किनारे यह जगह आज भी लाखों श्रद्धालुओं के लिए मोक्ष की कामना से स्नान करने का प्रमुख स्थल है.
दूसरी सीढ़ी – पौड़ीवाला, सिरमौर, हिमाचल प्रदेश
दूसरी सीढ़ी का निर्माण सिरमौर जिले के पौड़ीवाला शिव मंदिर के पास हुआ था. यह स्थान प्राचीन काल से ही धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रहा है. रावण ने यहां स्वर्ग तक जाने के लिए दूसरी सीढ़ी बनाई. आज भी यह मंदिर भक्तों के बीच बहुत प्रसिद्ध है और अपनी दिव्यता के लिए जाना जाता है.
तीसरी सीढ़ी – चूड़ेश्वर महादेव मंदिर, सिरमौर, हिमाचल प्रदेश
तीसरी सीढ़ी चूड़ेश्वर महादेव मंदिर के मार्ग से होकर जाती है. यह मंदिर ऊंचाई पर स्थित है और वहां तक पहुंचने का रास्ता बहुत कठिन माना जाता है. कहा जाता है कि इस सीढ़ी तक पहुंचने पर भक्तों को दिव्य दर्शन और आध्यात्मिक शांति मिलती है.

चौथी सीढ़ी – किन्नौर कैलाश पर्वत, हिमाचल प्रदेश
चौथी सीढ़ी किन्नौर जिले के कैलाश पर्वत पर स्थित है. यह स्थान भगवान शिव का पवित्र निवास माना जाता है. रावण इसी सीढ़ी का निर्माण करते हुए थक कर सो गया था, इसलिए पांचवी सीढ़ी अधूरी रह गई. कैलाश पर्वत की यह सीढ़ी आज भी अपनी भव्यता और धार्मिक महत्ता के लिए प्रसिद्ध है.

रावण की यह कोशिश सिर्फ एक शारीरिक निर्माण नहीं थी, बल्कि यह उसकी आध्यात्मिक आकांक्षा और मानव जीवन के पुण्य-कर्मों से परे जाने की चाह का प्रतीक थी. चार सीढ़ियां आज भी मौजूद हैं और ये हमें रावण की इच्छाशक्ति और तपस्या की याद दिलाती हैं.







