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5 साल के बच्चे में अगर दिखें ये 4 लक्षण… तो समझें मंडरा रहा डायबिटीज का खतरा! जानें बचाव के उपाय – Uttarakhand News


देहरादून. छोटे बच्चों में डायबिटीज तेजी से बढ़ती जा रही है. पहले जहां यह बीमारी उम्रदराज लोगों में देखने को मिलती थी, वहीं अब कम उम्र के बच्चे भी शुगर के मरीज बन रहे हैं. इसके पीछे कई कारण जिम्मेदार हैं. सबसे बड़ा कारण है अनियमित जीवनशैली और गलत खानपान. बच्चे जंक फूड, मिठाइयों और कोल्ड ड्रिंक्स का सेवन अधिक करते हैं, जिससे ब्लड शुगर लेवल असंतुलित हो जाता है. इसके अलावा शारीरिक गतिविधियों की कमी और मोटापा भी एक बड़ा कारण है.

आजकल बच्चे मोबाइल और टीवी में अधिक समय बिताते हैं, जिससे शरीर में ऊर्जा की खपत नहीं होती और फैट बढ़ने लगता है. यही मोटापा आगे चलकर टाइप-2 डायबिटीज का रूप ले लेता है. वहीं, जिन बच्चों के परिवार में पहले से किसी को डायबिटीज होती है, उनमें इसके होने की संभावना और ज्यादा रहती है. कुछ मामलों में वायरल इंफेक्शन या इम्यून सिस्टम की गड़बड़ी के कारण भी बच्चों में टाइप-1 डायबिटीज विकसित हो जाती हैछोटे बच्चों में भूख कम लगना, बार-बार प्यास लगना और बार-बार पेशाब आने जैसी समस्या है तो उन्हें डायबिटीज की बीमारी हो सकती है.

बार बार बच्चा जाता है बाथरूम?
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून स्थित दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल के बाल रोग विभाग के एचओडी डॉ. अशोक कुमार ने बताया कि पहले डायबिटीज जैसी बीमारी केवल वयस्कों में देखने को मिलती थी, लेकिन अब छोटे बच्चों में भी इसके मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि अगर कोई बच्चा एक घंटे में 7 से 8 बार पेशाब करता है, बार-बार प्यास या बहुत भूख लगती है, तो यह डायबिटीज के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं. इसके अलावा, बच्चे का वजन अचानक बढ़ या घट सकता है, आंखों की रोशनी धुंधली पड़ सकती है, और चोट लगने पर घाव देर से भरते हैं।

बच्चों में डायबिटीज के कारण
डॉ. अशोक के अनुसार, कई बार यह बीमारी बिना लक्षण के धीरे-धीरे बढ़ती जाती है और जब तक माता-पिता जागरूक होते हैं, तब तक शरीर को काफी नुकसान पहुंच चुका होता है. उन्होंने बताया कि बच्चों में डायबिटीज अक्सर जेनेटिक कारणों से होती है, लेकिन इसके अलावा गलत खानपान, तनावपूर्ण जीवनशैली, शारीरिक गतिविधि की कमी और जंक फूड का अधिक सेवन भी इसके बड़े कारण हैं. आजकल बच्चे आउटडोर गेम्स खेलने के बजाय मोबाइल पर ज्यादा समय बिताते हैं, जिससे उनकी शारीरिक सक्रियता घट जाती है. गांव हो या शहर, हर जगह फास्ट फूड और पैकेज्ड खाने का ट्रेंड बढ़ गया है, जो बच्चों में डायबिटीज जैसी बीमारियों को जन्म दे रहा है.

बच्चों पर मंडरा रहा डायबिटीज का खतरा
बच्चों में टाइप-1 डायबिटीज सबसे आम पाई जाती है. यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम गलती से पैंक्रियाज़ (अग्न्याशय) की उन कोशिकाओं पर हमला कर देता है जो इंसुलिन का निर्माण करती हैं. इसके परिणामस्वरूप शरीर में इंसुलिन का उत्पादन बहुत कम या पूरी तरह से बंद हो जाता है. दूसरी ओर, टाइप-2 डायबिटीज, जो पहले केवल वयस्कों में देखी जाती थी, अब बदलती जीवनशैली, मोटापे और शारीरिक निष्क्रियता के कारण किशोरों और छोटे बच्चों में भी देखने को मिल रही है.

टाइप-2 डायबिटीज के लक्षण
टाइप-2 डायबिटीज में शरीर इंसुलिन तो बनाता है, लेकिन या तो उसकी मात्रा पर्याप्त नहीं होती या फिर शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति सही प्रतिक्रिया नहीं देतीं. ऐसे में ब्लड शुगर लेवल असंतुलित हो जाता है. इसलिए बच्चों में अगर डायबिटीज के लक्षण दिखाई दें जैसे बार-बार पेशाब आना, अत्यधिक प्यास लगना, वजन घटना या थकान महसूस होना तो तुरंत चिकित्सक से परामर्श लेना जरूरी है, ताकि समय पर उपचार कर बच्चे को गंभीर स्वास्थ्य जोखिमों से बचाया जा सके.


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https://hindi.news18.com/news/lifestyle/health-symptoms-of-type-2-diabetes-in-young-children-causes-measures-to-prevent-local18-9773786.html

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