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Rajasthan Traditional Rabri Recipe: राजस्थान की सर्दियों में बाजरे और छाछ से बनी पारंपरिक राबड़ी शरीर को गर्म रखने वाला देसी टॉनिक मानी जाती है. गांवों में इसे रातभर रखकर सुबह गर्म पीया जाता है. अब यह परंपरा शहरों तक पहुंच चुकी है, जहां लोग इसे 10-20 रुपये प्रति गिलास के भाव से पी रहे हैं. मिट्टी की हांडी में धीमी आंच पर तैयार की जाने वाली यह राबड़ी स्वाद और सेहत दोनों के लिए फायदेमंद है और सर्दी-जुकाम से बचाती है.

राजस्थान की पारंपरिक रसोई में सर्दियों के मौसम में पारंपरिक व्यंजन राबड़ी को खूब बनाया जाता है. यह एक पेय पदार्थ है, जो बाजरे के आटे और छाछ से बनाया जाता है. राबड़ी को सर्दी भगाने वाला देसी टॉनिक भी माना जाता है. ग्रामीण इलाकों में लोग इसे ठंड के दिनों में नियमित रूप से पीते हैं क्योंकि यह शरीर को अंदर से गर्म रखती है और ऊर्जा प्रदान करती है.

सर्दी के मौसम में गांवों में रात को राबड़ी बनाकर रखी जाती है. सुबह इसे हल्का गर्म करके दिनभर पिया जाता है. यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है. खास बात यह है कि राबड़ी का स्वाद खट्टा-नमकीन होता है और यह भूख बढ़ाने का काम भी करती है. सर्द सुबहों में गरमा-गरम राबड़ी पीने का अपना अलग ही आनंद है.

अब राबड़ी केवल गांवों तक सीमित नहीं रही. शहरों में भी इसकी डिमांड बढ़ गई है. सर्दियों में बाजारों में बाजरे और गेहूं की राबड़ी के स्टॉल लगते हैं. लोग इसे गर्म पेय के रूप में पसंद करते हैं. दुकानदार महेश वर्मा के अनुसार, अब यह दस से बीस रुपए प्रति गिलास बिक रही है. लोग इसे सर्दी भगाओ टॉनिक के रूप में उपयोग ले रहे हैं. गुलाबी सर्दी के मौसम में राबड़ी को पीने का अलग ही मजा आता.

खास बात है कि राबड़ी को बनाने की रेसिपी बहुत आसान है. यह कुछ मिनटों में आसान तरीके से बनाकर तैयार हो जाती है. ग्रामीण बुजुर्ग महिला गीता देवी ने बताया कि राबड़ी को बनाने के लिए सबसे पहले मिट्टी की हांडी में तैयार किया जाता है. सबसे पहले छाछ में बाजरे का आटा अच्छी तरह घोला जाता है. फिर इसे धीमी आंच पर पकाया जाता है. पकाते समय इसमें नमक, प्याज और बाजरे के कुछ साबुत दाने डाल दिए जाते हैं. धीरे-धीरे यह गाढ़ी होकर स्वादिष्ट बन जाती है.

कुछ लोग राबड़ी में स्वाद और पोषण बढ़ाने के लिए चने की दाल भी डालते हैं. लंबे समय तक पकाने के बाद इसका स्वाद और भी निखर जाता है. जब यह हल्की ठंडी होती है तो इसका स्वाद खट्टे छाछ जैसा लगता है. ग्रामीण क्षेत्रों में इसे मिट्टी के बर्तन में ही परोसा जाता है, जिससे इसका देसी स्वाद बरकरार रहता है.

राबड़ी का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह पेट को गर्म रखती है और गैस की समस्या को दूर करती है. आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. नरेंद्र कुमार के अनुसार बाजरे और छाछ का यह मिश्रण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है. नियमित सेवन से सर्दी-जुकाम, खांसी और बदन दर्द जैसी परेशानियां दूर रहती है.

आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. नरेंद्र कुमार का कहना है कि बाजरे की राबड़ी सर्दियों का अमृत है. यह न सिर्फ शरीर को ऊर्जा देती है बल्कि शरीर में ताजगी भी बनाए रखती है. ग्रामीण इलाकों में इसे सर्दी भगाने वाला देसी टॉनिक कहा जाता है. इसलिए अगर आप भी ठंड से बचना चाहते हैं तो सर्दियों में राबड़ी जरूर पीएं.
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