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Chitakpak Sweets: नागौर के मूंडवा कस्बे की 250 साल पुरानी चिटकपाक मिठाई आज भी अपनी पारंपरिक रेसिपी और शुद्धता के लिए प्रसिद्ध है. सिखवाल परिवार इसे पीढ़ियों से बना रहा है, और इसका स्वाद बॉलीवुड से लेकर दिल्ली-मुंबई तक पहुंच चुका है. इसकी अनोखी बनाने की विधि इसे खास बनाती है.
नागौर. राजस्थान के हर इलाके की अपनी कोई खास मिठाई होती है, बीकानेर की भुजिया, जयपुर की दूध फीणी और अजमेर का सोहन हलवा. इन्हीं में एक और नाम बड़ी तेजी से देशभर में प्रसिद्ध हुआ है. नागौर की चिटकपाक मिठाई. यह मिठाई न केवल स्थानीय लोगों की पसंद बनी हुई है, बल्कि अब बॉलीवुड सितारे और बड़े नेता भी इसके दीवाने हैं. मूंडवा बस स्टैंड के सामने स्थित गोपाल मिष्ठान भंडार में पीढ़ियों से इसे तैयार किया जाता है.
सिर्फ मूंडवा में बनती है यह मिठाई
चिटकपाक की सबसे खास बात यह है कि यह केवल नागौर के मूंडवा कस्बे में ही बनाई जाती है. इसे देश के किसी और हिस्से में नहीं तैयार किया जाता. यही कारण है कि इसका नाम और स्वाद दोनों अनोखे हैं. बृजमोहन बताते हैं कि कई फिल्मी सितारे और राजनीतिक हस्तियां भी इस मिठाई का स्वाद चख चुके हैं. मुम्बई और दिल्ली से भी लोग इसे मंगवाने के लिए विशेष ऑर्डर देते हैं.
चिटकपाक की अनोखी रेसिपी
इस मिठाई की विधि भी बेहद दिलचस्प है:
- ताजे दूध को धीमी आंच पर लगातार घोटा जाता है.
- बीच-बीच में चाशनी और घी मिलाकर इसे करीब 45 मिनट तक पकाया जाता है.
- जब दूध का रंग चॉकलेटी हो जाता है, तब यह चिटकपाक का रूप ले लेता है.
करीब चार किलो दूध से लगभग डेढ़ किलो चिटकपाक बनती है, जिसमें आधा किलो चाशनी और करीब 200 ग्राम घी लगता है. इसमें कोई तरलता नहीं रहती और यह दो हफ्ते तक खराब नहीं होती, जो इसे दूर तक भेजने के लिए उपयुक्त बनाता है.
नागौर की पहचान बनी मिठाई
आज भी नागौर आने वाले पर्यटक और मेहमान इस मिठाई का स्वाद लिए बिना नहीं लौटते. स्थानीय आयोजनों और राजनीतिक कार्यक्रमों में चिटकपाक मिठाई परोसना परंपरा बन चुकी है. यह मिठाई अब न केवल स्वाद की, बल्कि राजस्थान की सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा बन चुकी है.
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