Last Updated:
Chhath Puja 2025 Vrat Paran Vidhi: 36 घंटे निर्जला व्रत के बाद उषा अर्घ्य से छठ पर्व का समापन होता है. इस व्रत का चौथा दिन सबसे अहम माना जाता है क्योंकि इस दिन उषा अर्घ्य के बाद निर्जला व्रत का पारण किया जाता है. आइए जानते हैं छठ पूजा के चौथे दिन सूर्योदय कब होगा और व्रत का पारण कैसे किया जाता है…
Chhath Puja 2025 Vrat Paran Vidhi: देशभर में छठ पूजा का पावन पर्व पूरे श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जा रहा है. चार दिन तक चलने वाले पर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है और समापन उषा अर्घ्य (सूर्योदय के समय का अर्घ्य) के बाद होता है. छठ पूजा में व्रतधारी महिलाएं और पुरुष सूर्य देव और छठी मइया की पूजा-अर्चना करते हैं. इस महापर्व में छठ पूजा का चौथा दिन सबसे अहम माना जाता है, क्योंकि इसी दिन उषा अर्घ्य देने के बाद व्रत का समापन यानी पारण किया जाता है. पारण अर्थात इस व्रत का 36 घंटे का निर्जला उपवास खोला जाएगा. आइए जानते हैं कब होगा सूर्योदय और कैसे किया जाता है व्रत का पारण…
छठ उषा पूजा और पारण का समय
उषा अर्घ्य के लिए सूर्योदय समय:सुबह 6 बजकर 30 मिनट पर (दिल्ली टाइम के अनुसार)
पारण का समय: सूर्योदय के समय सूर्य को अर्घ्य देने के बाद कभी भी

छठ पूजा के चौथे दिन उषा अर्घ्य
छठ पर्व के अंतिम यानी चौथे दिन उषा अर्घ्य यानी उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और इसी के साथ छठ महापर्व का समापन भी हो जाता है. व्रती सूर्योदय से पहले नदी के घाट, तालाब या कुंड के पास पहुंचकर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं.
छठ पूजा के बाद कैसे करें व्रत का पारण
28 अक्टूबर दिन मंगलवार को व्रती उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देंगे और इसके बाद व्रती कभी भी व्रत का पारण कर सकते हैं. 36 घंटे के निर्जला उपवास के बाद जब व्रती सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं, तब उनका चेहरा श्रद्धा और संतोष से खिल उठता है. यह वह पल होता है जब पूरी रात जागरण और पूजा के बाद उगते सूर्य को जल चढ़ाकर व्रत पूरा किया जाता है. पूजा के बाद व्रती कच्चे दूध का शरबत पीकर या ठेकुआ या किसी अन्य चीज का प्रसाद खाकर व्रत को पूरा करती हैं, जिसे पारण या परना कहा जाता है और इसी के साथ छठ पर्व का समापन हो जाता है. वहीं कुछ महिलाएं अर्घ्य के बाद घर लौटकर पूजा स्थान पर दीप जलाती हैं और परिवार सहित प्रसाद ग्रहण करती हैं.

व्रत पारण में इन चीजों का होता है इस्तेमाल
पारण के समय ठेकुआ, कसरी, गुड़-चावल की खीर और फलाहार का विशेष महत्व होता है. व्रती सबसे पहले तुलसी के पत्ते से जल ग्रहण करते हैं, फिर छठी मइया को नमस्कार कर थोड़ी मात्रा में प्रसाद खाकर व्रत तोड़ते हैं. छठ व्रत को सबसे कठिन उपवासों में से एक माना जाता है क्योंकि इसमें 36 घंटे तक बिना जल और अन्न के रहना होता है. यह ना सिर्फ शरीर की परीक्षा लेता है बल्कि मन की दृढ़ता और आस्था की भी परख करता है.
मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प…और पढ़ें
मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प… और पढ़ें







