Akshaya Navami 2025 Today: आज देशभर में अक्षय नवमी या आंवला नवमी का त्योहार मनाया जा रहा है, हर वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को यह पर्व मनाया जाता है. अक्षय शब्द का अर्थ है, जो कभी क्षय ना हो अर्थात इस दिन किया गया दान, स्नान, जप, तप, पूजा और व्रत अनंत गुना फल देता है. इस दिन आंवला के वृक्ष (धात्री वृक्ष) की पूजा की जाती है. धार्मिक मान्यता है कि कार्तिक मास की नवमी तिथि को आंवले में स्वयं भगवान विष्णु का वास होता है और आज के दिन भगवान विष्णु को आंवला अर्पित करने का विशेष महत्व. इसलिए आज के दिन महिलाएं और गृहस्थजन आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर विष्णु-लक्ष्मी पूजन करते हैं. इनकी पूजा उपासना से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और पुण्य में वृद्धि भी होती है. आइए जानते हैं अक्षय नवमी का महत्व, पूजा विधि और शुभ योग.
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि गुरुवार को (30 अक्टूबर) सुबह 10 बजकर 6 मिनट तक रहेगी. इसके बाद नवमी तिथि लग जाएगी. इसे अक्षय नवमी भी कहते हैं और जगद्धात्री पूजा भी है. द्रिक पंचांग के अनुसार, गुरुवार के दिन सूर्य देव तुला राशि में और चंद्रमा मकर उपरांत कुंभ राशि में रहेंगे. अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11 बजकर 42 मिनट से शुरू होकर 12 बजकर 27 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय दोपहर 1 बजकर 28 मिनट से शुरू होकर 2 बजकर 51 मिनट तक रहेगा.

अक्षय नवमी पर इस बार रवि योग के अलावा वृद्धि योग बन रहा है. साथ ही मंगल के वृश्चिक राशि में होने से रुचक राजयोग और चंद्रमा व गुरु की दृष्टि से गजकेसरी योग भी बन रहा है, जिससे आज के दिन का महत्व और भी बढ़ गया है. चार शुभ योग में आंवला वृक्ष और भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करने से अक्षय पुण्य में वृद्धि होगी और सुख-शांति और समृद्धि का आशीर्वाद भी मिलेगा.
अक्षय नवमी पूजा शुभ मुहूर्त 2025
अक्षय नवमी पर पूजन का शुभ मुहूर्त – सुबह 6 बजकर 38 मिनट से सुबह 10 बजकर 3 मिनट तक.
ऐसे में आज आपको आंवले के पेड़ की पूजा करने के लिए 3 घंटे 25 मिनट का समय मिलेगा.
आंवला खाने और पूजा करने का महत्व
मान्यता है कि अक्षय नवमी के दिन विधि-विधान से पूजा करने से भगवान विष्णु की कृपा मिलती है. व्यक्ति साल भर सुखी और संपन्न रहता है. वहीं, आज के दिन भगवान विष्णु को आंवला अर्पित करने और आंवला खाने से रोगों से मुक्ति और आरोग्य प्राप्त होता है. महिलाएं विशेष रूप से इस व्रत को रखती हैं. मान्यता है कि आंवला के नीचे बैठकर भोजन करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और आंवला का सेवन इस दिन अमृत के समान माना जाता है. आंवला नवमी को को इच्छा नवमी, आरोग्य नवमी, धातृ नवमी और कूष्मांड नवमी जैसे नामों से भी जाना जाता है.

अक्षय नवमी पूजा विधि
अक्षय नवमी के दिन विधि-विधान से पूजा करने के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर साफ वस्त्र पहनें और घर या मंदिर (आप चाहें तो दोनों जगह पूजन कर सकती हैं, वैसे खासकर महिलाएं घर में पूजन कर मंदिर जाती हैं) में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करें. इसके बाद उन्हें पीले पुष्प, तुलसी दल, दीपक, धूप और नैवेद्य अर्पित करें. फिर ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें. फिर, इसके बाद आंवला वृक्ष की पूजा करें. उन्हें कच्चे सूत से वृक्ष की परिक्रमा करें और जल अर्पित करें. इसके बाद हल्दी, रोली, फूल और दीपक से पूजन करें. गरीबों और ब्राह्मणों को भोजन तथा दान दें. आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर भोजन करें.

 
                                    
