Marriage Yoga In kundli: हर इंसान के मन में एक सवाल जरूर उठता है – “मेरी शादी कब होगी?” और ये भी कि “क्या मेरी लव मैरिज होगी या अरेंज?”. कई बार दिल किसी को चुन लेता है, लेकिन किस्मत उस रिश्ते को मंजूरी देती है या नहीं, ये ज्योतिष में छिपा होता है. दरअसल, शादी सिर्फ दो लोगों का मिलन नहीं, बल्कि दो ग्रहों की स्थिति का भी मेल होता है. कुंडली में कई ऐसे भाव (हाउस) और ग्रह होते हैं जो बताते हैं कि शादी का समय क्या होगा, शादी कैसे होगी और रिश्ते की दिशा कैसी रहेगी. भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा बताते हैं कि शादी के योग को पहचानने के लिए खासकर शुक्र, चंद्रमा, मंगल और बुध ग्रहों की स्थिति देखनी जरूरी होती है, ये चार ग्रह मिलकर आपके वैवाहिक जीवन का रास्ता तय करते हैं, अगर इन ग्रहों की स्थिति सही है, तो शादी सुचारू रूप से होती है और रिश्ता लंबे समय तक चलता है. वहीं अगर इनमें किसी ग्रह का दोष है, तो शादी में रुकावटें या देरी आ सकती है. आइए जानते हैं, आपकी कुंडली क्या कहती है – लव मैरिज के योग हैं या अरेंज मैरिज के?

शुक्र ग्रह का असर – रिश्तों में प्यार या दूरी
शुक्र ग्रह को प्रेम और विवाह का कारक माना गया है, अगर कुंडली में शुक्र मजबूत स्थिति में है, तो शादीशुदा जीवन सुखी रहता है.
1. अगर शुक्र पंचम या सप्तम भाव में हो, तो प्रेम विवाह के योग बनते हैं.
2. अगर शुक्र पर राहु या शनि की दृष्टि पड़ जाए, तो रिश्ते में रुकावटें या गलतफहमी की स्थिति बन सकती है.
3. वहीं अगर शुक्र और राहु एक ही घर में बैठे हों, तो शादी चाहे लव हो या अरेंज, उसमें देरी जरूर होती है.
अगर आपकी कुंडली में शुक्र शुभ स्थिति में है, तो शादी के बाद पार्टनर के साथ रिश्ता गहरा और भरोसेमंद रहता है.
चंद्रमा का प्रभाव – दिल की सुनो या दिमाग की?
चंद्रमा को मन का स्वामी माना जाता है. यह आपकी भावनाओं और संवेदनाओं को दर्शाता है, अगर चंद्रमा पंचम या सप्तम भाव में होता है, तो लव मैरिज के आसार काफी बढ़ जाते हैं. मगर अगर चंद्रमा कमजोर है या पाप ग्रहों से प्रभावित है, तो व्यक्ति भावनात्मक रूप से अस्थिर हो सकता है, जिससे शादी में गलत निर्णय की संभावना रहती है. इसलिए ज्योतिष में कहा जाता है कि शादी से पहले चंद्रमा की स्थिति जरूर जांचें, ताकि जीवनसाथी चुनने में गलती न हो.
सप्तम और पंचम भाव – शादी के मुख्य संकेतक
कुंडली का सप्तम भाव विवाह का और पंचम भाव प्रेम का प्रतिनिधित्व करता है, अगर इन दोनों भावों के स्वामी ग्रह एक ही घर में बैठे हों, तो लव मैरिज के योग बनते हैं. वहीं अगर पंचम और एकादश भाव के स्वामी साथ बैठे हों, तो अरेंज मैरिज के संकेत मिलते हैं. इस स्थिति में परिवार की पसंद और समाज की सहमति से शादी होने की संभावना अधिक होती है.

मंगल ग्रह की भूमिका – मांगलिक दोष का असर
शादी से पहले कुंडली मिलान में सबसे ज्यादा चर्चा मांगलिक दोष की होती है.
मंगल ग्रह उग्रता और ऊर्जा का प्रतीक है, अगर यह पंचम या सप्तम भाव में स्थित हो, तो व्यक्ति जल्दबाजी में निर्णय ले सकता है.
हालांकि मांगलिक होना हमेशा बुरा नहीं होता, अगर मंगल सही दिशा में है, तो यह व्यक्ति को जिम्मेदार, आत्मनिर्भर और रिश्तों के प्रति वफादार बनाता है.
मगर इसकी गलत स्थिति विवाह में टकराव या देरी का कारण बन सकती है.
बुध ग्रह का योगदान – सोच-समझकर किया गया फैसला
बुध ग्रह बुद्धिमत्ता और बातचीत का प्रतीक है.
अगर बुध पंचम भाव में है, तो अरेंज मैरिज के योग बनते हैं और रिश्ता पूरी सोच-समझ से तय होता है.
अगर बुध सप्तम भाव में हो, तो लव मैरिज के योग बनते हैं और ऐसा विवाह अधिकतर सफल रहता है.
बुध ग्रह अगर मजबूत हो, तो व्यक्ति रिश्तों में संतुलन बनाए रखता है और पार्टनर के साथ अच्छी बातचीत के जरिए हर मुश्किल को संभाल लेता है.

 
                                    
