Vidur Niti: हर इंसान अपनी मेहनत, लगन और ईमानदारी से जीवन में इज्जत कमाता है, लेकिन कई बार एक छोटी-सी गलती सब कुछ छीन लेती है. यह गलती और कुछ नहीं, बल्कि “अभिमान” यानी अहंकार है. महाभारत के समय के नीति ज्ञाता विदुर ने अपने उपदेशों में इस बात पर खास ज़ोर दिया है कि जब इंसान सफलता, धन या पद पाता है, तो उसके भीतर धीरे-धीरे घमंड पैदा हो जाता है. वही घमंड उसके पतन की वजह बनता है. विदुर नीति बताती है कि अभिमान इंसान की सबसे बड़ी कमजोरी है. जब कोई व्यक्ति अपनी ताकत, सुंदरता, बुद्धि या संपत्ति पर इतराने लगता है, तो उसका संतुलन बिगड़ जाता है. वह दूसरों को छोटा समझने लगता है और यही सोच उसके पतन का कारण बनती है. विदुर ने कहा था कि जैसे बुढ़ापा सुंदरता को मिटा देता है, वैसे ही अभिमान सफलता को खत्म कर देता है. आज के समय में भी यह नीति उतनी ही सटीक बैठती है. चाहे कोई बिज़नेस में हो, नौकरी में या किसी ऊंचे पद पर अगर विनम्रता नहीं रही, तो सम्मान ज्यादा देर तक नहीं टिकता. इसलिए सफलता के बाद खुद को संभालना सबसे बड़ा हुनर है. विनम्र रहना ही असली समझदारी है, क्योंकि जो सिर झुकना जानता है, वही ऊंचाइयां छूता है.
विदुर नीति श्लोक और उसका अर्थ
श्लोक:
न राज्यम् प्राप्तमित्येव वर्तितव्यमसाव्रतम्।
श्रियं ह्यनिनयो हन्ति जरा रूपमिवोत्तमम्॥
अर्थ:
यह सोचकर कि अब राज्य या सफलता मिल ही गई है, व्यक्ति को अनुचित व्यवहार नहीं करना चाहिए. क्योंकि अभिमान और उद्दंडता संपत्ति और इज्जत को उसी तरह नष्ट कर देते हैं, जैसे बुढ़ापा सुंदर रूप को मिटा देता है.
अभिमान क्यों बनता है विनाश का कारण
जब व्यक्ति को सफलता, पैसा या शोहरत मिलती है, तो उसके भीतर एक झूठा विश्वास पैदा होता है कि अब वह सबसे श्रेष्ठ है. यही सोच उसे दूसरों की इज्जत करना भूलाती है. अहंकार धीरे-धीरे उसकी सोच पर पर्दा डाल देता है. फिर चाहे कोई भी समझाए, वह सही गलत नहीं समझ पाता.

विदुर कहते हैं कि सफलता तब तक ही खूबसूरत है, जब तक उसमें विनम्रता की खुशबू हो. जैसे फूल खुशबू से ही पहचान पाता है, वैसे ही इंसान अपने व्यवहार से, अगर व्यवहार में अहंकार आ गया, तो नाम और इज्जत सब मिट जाते हैं.
अहंकार के नुकसान
अहंकार का सबसे बड़ा नुकसान यह है कि यह इंसान को अकेला कर देता है. जो व्यक्ति दूसरों की इज्जत नहीं करता, लोग भी धीरे-धीरे उससे दूरी बना लेते हैं. इससे उसका मानसिक संतुलन बिगड़ता है और गलत फैसले शुरू हो जाते हैं. कई बार ये गलत फैसले पूरे जीवन की मेहनत पर पानी फेर देते हैं.
विदुर नीति यही सिखाती है कि सफलता कभी स्थायी नहीं होती, इसलिए उसे सिर पर चढ़ाना बेवकूफी है. जो व्यक्ति विनम्र रहकर काम करता है, वही लंबे समय तक सम्मान पाता है.
किन बातों का अभिमान नहीं करना चाहिए
विदुर नीति के अनुसार, मनुष्य को सुंदरता, शक्ति, धन, बुद्धि और पद का अभिमान नहीं करना चाहिए, ये सब समय के साथ बदल जाते हैं. जो आज है, कल नहीं भी हो सकता. सच्ची कीमत उसी की होती है जो अपनी सफलता के बावजूद सरल, ईमानदार और विनम्र रहे.
सच्ची सफलता वही जो सबको साथ लेकर चले
विदुर कहते हैं कि सच्चा विजेता वही है जो दूसरों के दिल जीतता है, अगर किसी की सफलता में अभिमान घुल गया, तो वह लोगों के दिल से उतर जाता है. इसलिए अपने व्यवहार में हमेशा मधुरता, धैर्य और विनम्रता रखनी चाहिए. जब इंसान दूसरों की इज्जत करता है, तो दुनिया भी उसे सिर आंखों पर बैठाती है.







