How To Drink Water: पानी हमारे जीवन की सबसे बुनियादी ज़रूरत है. बिना खाना खाए इंसान कई दिन तक जी सकता है, लेकिन बिना पानी के कुछ ही दिन में शरीर जवाब देने लगता है. हमारे शरीर का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा पानी से बना होता है और यही तरल हमारे शरीर को चलाए रखता है चाहे वो पाचन हो, ऊर्जा का स्तर हो या शरीर का तापमान, लेकिन जितना ज़रूरी पानी पीना है, उतना ही ज़रूरी है पानी को सही तरीके से स्टोर करना और सही ढंग से पीना. इशा फाउंडेशन के संस्थापक सत्गुरु ने हाल ही में अपने ब्लॉग में बताया कि पानी को संभालकर रखने और पीने के तरीकों का हमारे शरीर और मन दोनों पर गहरा असर पड़ता है. उन्होंने समझाया कि पानी को सिर्फ एक तरल पदार्थ की तरह नहीं, बल्कि जीवन के स्रोत की तरह सम्मान से देखना चाहिए. उनका कहना है कि अगर हम पानी के साथ थोड़ा ध्यान और कृतज्ञता रखें, तो इसका असर हमारे स्वास्थ्य, ऊर्जा और मानसिक संतुलन पर सीधा पड़ता है. आइए जानते हैं, सत्गुरु के बताए वो आसान लेकिन असरदार उपाय, जिनसे हम अपने पानी को और खुद को बेहतर बना सकते हैं.
पानी कैसे स्टोर करें
सत्गुरु के अनुसार, पानी को धातु के बर्तन में रखना सबसे बेहतर माना गया है जैसे तांबा, पीतल या इनका कोई मिश्रण. पुराने ज़माने में लोग तांबे के बर्तन को रात में हल्की इमली या हल्दी से साफ करते थे, उस पर राख लगाकर पानी भरते थे, और सुबह वही पानी पीते थे. इसका कारण सिर्फ परंपरा नहीं बल्कि विज्ञान है तांबे में मौजूद तत्व पानी को शुद्ध करते हैं और शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं.
गर्मियों में मिट्टी के घड़े में पानी रखना भी बहुत अच्छा तरीका है. इससे पानी प्राकृतिक रूप से ठंडा रहता है और पेट पर सुकून देने वाला असर पड़ता है. यह सिर्फ ठंडक नहीं देता, बल्कि शरीर के तापमान को भी संतुलित रखता है.

पानी के साथ सम्मान का व्यवहार करें
सत्गुरु कहते हैं कि पानी पीने से पहले हमें उसके प्रति सम्मान और कृतज्ञता का भाव रखना चाहिए. हमें याद रखना चाहिए कि यही वही तत्व है जिससे हमारा शरीर बना है और जो हमें जीवित रखता है. बस एक पल ठहरकर, मन में “धन्यवाद” का भाव लाना भी हमारे अंदर की ऊर्जा को बदल सकता है.
हाथों से पानी पीना
उनका कहना है कि जब भी संभव हो, पानी अपने हाथों से पीएं. हाथों से पानी पीने में एक अलग जुड़ाव महसूस होता है, अगर ऐसा मुमकिन न हो, तो जब कोई आपको धातु के गिलास में पानी दे, तो उसे दोनों हाथों से पकड़ें और फिर पिएं. इससे पानी के प्रति आदर बना रहता है और मन में स्थिरता आती है.
सही तापमान पर पानी पीना
योगिक संस्कृति के मुताबिक, जो लोग आंतरिक परिवर्तन के मार्ग पर हैं या मानसिक संतुलन पर काम कर रहे हैं, उन्हें अपने शरीर के तापमान के करीब का पानी पीना चाहिए. सत्गुरु के अनुसार, शरीर का सामान्य तापमान लगभग 37 डिग्री सेल्सियस होता है, इसलिए 33 से 41 डिग्री के बीच का पानी सबसे सही माना गया है.
छात्रों के लिए वे कहते हैं कि 8 डिग्री तक का अंतर ठीक है, और परिवार संभालने वाले लोगों के लिए 12 डिग्री तक का फर्क चल सकता है. बहुत ठंडा या बहुत गर्म पानी दोनों ही शरीर के अंदरूनी सिस्टम को असंतुलित कर सकते हैं.

कब और कितना पानी पीना चाहिए
सत्गुरु कहते हैं कि पानी जब प्यास लगे तभी पीना चाहिए, लेकिन उस वक्त इतना ज़रूर पीना चाहिए कि शरीर की ज़रूरत पूरी हो जाए. उनका कहना है कि जितनी मात्रा आपके शरीर को चाहिए, उससे लगभग 10% ज़्यादा पानी लेना अच्छा रहता है.
और अगर शरीर प्यास का संकेत दे रहा है, तो बीस मिनट से आधे घंटे के अंदर पानी ज़रूर पी लें. देर करने से शरीर डिहाइड्रेशन की स्थिति में आ सकता है, जिससे थकान, सिरदर्द और सुस्ती जैसे लक्षण दिख सकते हैं.
पानी “खाना” भी ज़रूरी है
सत्गुरु बताते हैं कि केवल पानी पीना ही काफी नहीं है, बल्कि हमें अपने भोजन में भी पानी से भरपूर चीज़ें शामिल करनी चाहिए.
फल जैसे तरबूज, संतरा, खीरा और सब्जियां जैसे लौकी या पत्तेदार साग में 70–90% तक पानी होता है, अगर हमारे भोजन में इतनी मात्रा में पानी मौजूद हो, तो शरीर स्वाभाविक रूप से हाइड्रेटेड रहता है. इससे पाचन सुधरता है, त्वचा चमकदार होती है और ऊर्जा पूरे दिन बनी रहती है.
ध्यान रखें
सत्गुरु का संदेश बहुत सीधा लेकिन गहरा है पानी को सिर्फ पीने की चीज़ नहीं, बल्कि जीवन का आधार समझिए, अगर आप इसे सही तरीके से संभालते और सम्मान से पीते हैं, तो यह आपके शरीर और मन दोनों को संतुलित कर सकता है.
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