Friday, November 7, 2025
25 C
Surat

Kaal Bhairav Jayanti kab hai 2025 Date muhurat | Kaal Bhairav Jayanti 2025 Date nishita puja time importance | काल भैरव जयंती कब है? जानें तारीख, मुहूर्त और महत्व


Kaal Bhairav Jayanti 2025 Date: भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव की उत्पत्ति मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था. इस वजह से हर साल इस​ तिथि को काल भैरव जयंती मनाई जाती है. काल भैरव की पूजा करने से सभी प्रकार की नकारात्मकता दूर हो जाती है. तंत्र और मंत्र की सिद्धि के लिए भी काल भैरव पूज्यनीय हैं. ग्रह दोषों से मुक्ति के लिए भी काल भैरव की पूजा होती है. काल भैरव की जयंती के दिन व्रत और पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है, रोग और दोष भी मिट जाते हैं. आइए जानते हैं काल भैरव जयंती की तारीख, मुहूर्त और शुभ योग के बारे में.

काल भैरव जयंती की तारीख

दृक पंचांग के अनुसार, काल भैरव जयंती के लिए मार्गशीर्ष कृष्ण अष्टमी तिथि का प्रारंभ 11 नवंबर को रात में 11 बजकर 8 मिनट से होगा. अष्टमी तिथि 12 नवंबर को रात 10 बजकर 58 मिनट तक मान्य रहेगी. ऐसे में उदयातिथि के आधार पर काल भैरव जयंती 12 नवंबर दिन बुधवार को मनाई जाएगी.

2 शुभ योग में काल भैरव जयंती

इस बार काल भैरव जयंती के दिन 2 शुभ योग बन रहे हैं. काल भैरव जयंती पर शुक्ल और ब्रह्म योग बनेंगे. शुक्ल योग प्रात:काल से शुरू होकर सुबह 08 बजकर 02 मिनट तक रहेगा. उसके बाद से ब्रह्म योग होगा, जो पूरी रात तक रहेगा. उस दिन अश्लेषा नक्षत्र प्रात:काल से लेकर शाम 06 बजकर 35 मिनट तक रहेगा. फिर मघा नक्षत्र होगा.

काल भैरव जयंती मुहूर्त

वैसे तो काल भैरव की पूजा आप दिन में कर सकते हैं. सुबह 06:41 ए एम से लेकर 09:23 ए एम तक शुभ समय है, उसके बाद शुभ-उत्तम मुहूर्त 10:44 ए एम से 12:05 पी एम तक है. काल भैरव जयंती पर निशिता पूजा का महत्व है, इसमें तंत्र और मंत्र की साधना की जाती है. काल भैरव जयंती पर निशिता मुहूर्त रात 11 बजकर 39 मिनट से देर रात 12 बजकर 32 मिनट तक है.

काल भैरव जयंती पर ब्रह्म मुहूर्त 04:56 ए एम से लेकर 05:49 ए एम तक रहेगा. उस ​दिन कोई अभिजीत मुहूर्त नहीं है. उस दिन का राहुकाल दोपहर में 12 बजकर 05 मिनट से दोपहर 01 बजकर 26 मिनट तक है.

क्यों हुई काल भैरव की उत्पत्ति?

स्कंद पुराण की कथा के अनुसार, एक बार ब्रह्म देव को स्वयं पर घमंड हो गया. उसके आवेग में आकर वे भगवान शिव का अपमान करने लगे. इस दौरान वे काफी क्रोधित हो गए थे, जिससे उनका चौथा सिर जलने लगा था. तब भगवान शिव ने काल भैरव को उत्पन्न किया. शिव आज्ञा पर काल भैरव ने ब्रह्मा जी का चौथा सिर काट दिया.

इस वजह से उन पर ब्रह्म हत्या का पाप लगा, इससे मुक्ति के ​लिए काल भैरव शिव की नगरी काशी गए. जहां पर उनको ब्रह्म हत्या से मुक्ति मिली. फिर काल भैरव काशी में हमेशा के लिए रह गए. वे काशी के कोतवाल के रूप में आज भी पूजे जाते हैं. इनके दर्शन के बिना काशी की यात्रा पूरी नहीं होती है. काल भैरव की एक कथा प्रजापति दक्ष को दंडित करने का है, जो माता सती के पिता ​थे.

Hot this week

जीवन में चाहिए अपार धन-संपत्ति, शुक्रवार को करें यह उपाय, बरसेगी लक्ष्मी कृपा – Bharat.one हिंदी

https://www.youtube.com/watch?v=sGOM29oldmA Shukrawar Dhan Upay: शुक्रवार का दिन माता लक्ष्मी...

Tarot card horoscope today 8 November 2025 Saturday | Saturday zodiac predictions mesh to meen rashi । आज का टैरो राशिफल, 8 नवंबर 2025

मेष (नाइट ऑफ़ पेंटाकल्स)(Aries Tarot Rashifal) गणेशजी कहते हैं...

मीठे रस से भरयोरी राधा रानी लागे… मधुर आवाज में सुनें ये किशोरी भजन

https://www.youtube.com/watch?v=2ibVITr7954 भगवान कृष्ण और राधा का प्रेम बताने की...

Topics

Tarot card horoscope today 8 November 2025 Saturday | Saturday zodiac predictions mesh to meen rashi । आज का टैरो राशिफल, 8 नवंबर 2025

मेष (नाइट ऑफ़ पेंटाकल्स)(Aries Tarot Rashifal) गणेशजी कहते हैं...

मीठे रस से भरयोरी राधा रानी लागे… मधुर आवाज में सुनें ये किशोरी भजन

https://www.youtube.com/watch?v=2ibVITr7954 भगवान कृष्ण और राधा का प्रेम बताने की...
spot_img

Related Articles

Popular Categories

spot_imgspot_img