Umbilical Cord Traditins: बच्चे का जन्म किसी भी मां-बाप के लिए जिंदगी का सबसे बड़ा सुख होता है. उस पल में जब पहली बार बच्चे की रोने की आवाज सुनाई देती है, हर घर में खुशियां गूंज उठती हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि बच्चे के जन्म के बाद जो नाल (Umbilical Cord) होती है, उसका क्या किया जाता है? ज्यादातर लोग इसे सिर्फ एक शरीर से जुड़ी चीज समझकर भूल जाते हैं, लेकिन हकीकत में यह बच्चे की किस्मत और सौभाग्य से गहराई से जुड़ी मानी जाती है. कई संस्कृतियों में बच्चे की नाल को बहुत पवित्र समझा जाता है. माना जाता है कि यह नाल सिर्फ बच्चे को मां के गर्भ में पोषण देने का काम नहीं करती, बल्कि उसके जन्म के बाद भी उसकी किस्मत से जुड़ी रहती है. पुराने समय में दादी-नानी इस बात का खास ध्यान रखती थीं कि बच्चे की नाल को सही तरीके से रखा या दबाया जाए ताकि बच्चा हमेशा सुरक्षित और खुशहाल रहे. आज भी देश के कई हिस्सों में नाल को संभालकर रखने की परंपरा जारी है. आइए जानते हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा बच्चे के जन्म के बाद उसकी नाल का क्या करना शुभ माना गया है और इसके पीछे क्या आस्था जुड़ी है.
बच्चे की नाल का महत्व क्या है?
ज्योतिष शास्त्र और परंपराओं में बच्चे की नाल को उसके जीवन की पहली ऊर्जा से जुड़ा माना जाता है. यह वह डोर होती है जो बच्चे को मां से जोड़ती है, और उसे जीवन देती है. इसीलिए इसका संबंध बच्चे के भाग्य, सेहत और सफलता से माना जाता है. नाल को सिर्फ शरीर का हिस्सा नहीं बल्कि एक “ऊर्जावान कड़ी” कहा जाता है जो बच्चे के भविष्य को प्रभावित कर सकती है. कई ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि अगर नाल को सही विधि से रखा जाए तो बच्चे का जीवन धन, सौभाग्य और स्थिरता से भर सकता है. वहीं, लापरवाही से इसे कहीं फेंक देने से दुर्भाग्य या नकारात्मक प्रभाव भी हो सकते हैं.

नाल को कहां और कैसे रखें?
बच्चे की नाल को संभालने के कई पारंपरिक तरीके हैं. सबसे आम और शुभ तरीका है इसे मिट्टी में दबा देना.
आमतौर पर इसे घर के आंगन, बगीचे या किसी पवित्र जगह जैसे मंदिर के पास की मिट्टी में दबाया जाता है.
माना जाता है कि ऐसा करने से बच्चे का संबंध धरती से जुड़ा रहता है, और उसे जीवन में मजबूती व स्थिरता मिलती है.
कई परिवार नाल को तिजोरी या पूजा स्थान में भी रखते हैं. उनका विश्वास होता है कि इससे बच्चे की आर्थिक स्थिति मजबूत रहती है, और उसके जीवन में हमेशा समृद्धि बनी रहती है. कुछ लोग नाल को सुखाकर एक छोटी डिब्बी में रखते हैं, और पवित्र कपड़े में लपेटकर सुरक्षित जगह पर रखते हैं.
ऐसा करने का कारण यह है कि यह नाल एक तरह से बच्चे के लिए “सुरक्षा कवच” का काम करती है. कहा जाता है कि जब तक यह नाल सुरक्षित रखी जाती है, तब तक बच्चे को जीवन में बड़ी परेशानियों से बचाव मिलता है.
नाल को गलत तरीके से फेंकने से क्या हो सकता है?
ज्योतिष शास्त्र में यह भी कहा गया है कि अगर नाल को गलत तरीके से या गंदे स्थान पर फेंक दिया जाए, तो यह बच्चे के लिए अशुभ हो सकता है. ऐसा करने से बच्चे की सेहत पर असर पड़ सकता है या जीवन में अनचाही रुकावटें आ सकती हैं.
कई ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि नाल को जल, मिट्टी या आग – इन तीन प्राकृतिक तत्वों से जोड़कर समाप्त करना शुभ माना जाता है. यानी या तो इसे मिट्टी में दबा दें, बहते पानी में प्रवाहित करें या फिर धार्मिक विधि से अग्नि में अर्पित करें. इससे नकारात्मकता दूर होती है, और बच्चे पर किसी भी बुरी नजर का असर नहीं पड़ता.

नाल और ज्योतिषीय मान्यताएं
ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स जैसे कई विद्वान मानते हैं कि बच्चे की नाल उसके ग्रहों की स्थिति से जुड़ी ऊर्जा को भी प्रभावित करती है, अगर नाल को संभालकर रखा जाए, तो यह बच्चे के जन्मपत्री में शुभ फल देने में मदद करती है.
कुछ घरों में इसे खास पूजा के समय, जैसे बच्चे के जन्मदिन या अन्नप्राशन संस्कार में भी पूजनीय माना जाता है.
आखिर इस परंपरा का असली संदेश क्या है?
असल में, नाल को संभालने की परंपरा सिर्फ धार्मिक या ज्योतिषीय कारणों से नहीं जुड़ी, बल्कि इसमें भावनात्मक जुड़ाव भी है. यह उस बंधन का प्रतीक है जो एक मां और बच्चे के बीच होता है. इसे सम्मान देना और पवित्र मानना उस रिश्ते को और भी खास बना देता है. आज भले ही समय बदल गया है, लेकिन कई पुरानी परंपराओं में गहरी समझ और सकारात्मक ऊर्जा छिपी होती है.







