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बिछिया पहनना भारतीय महिलाओं के लिए विवाह, मां लक्ष्मी की कृपा, चांदी के गुण और स्वास्थ्य लाभ का प्रतीक है, जो धार्मिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक कारणों से जुड़ा है.
भारतीय महिलाएं पैरों में बिछिया (Toe Ring) पहनती हैं, इसके पीछे गहरे धार्मिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक कारण हैं. आइए विस्तार से समझते हैं.
धार्मिक और सांस्कृतिक कारण
- विवाह का प्रतीक
बिछिया को सुहाग की निशानी माना जाता है. यह सोलह श्रृंगार का हिस्सा है और दर्शाता है कि महिला विवाहित है. - शुभता और देवी का आशीर्वाद
शास्त्रों के अनुसार, पैरों की दूसरी और तीसरी उंगली में बिछिया पहनने से वैवाहिक जीवन सुखमय होता है और मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं. यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने का प्रतीक भी है. - चांदी का महत्व
बिछिया हमेशा चांदी की ही पहनी जाती है क्योंकि चांदी को चंद्रमा का कारक माना गया है. यह मन को शांत रखती है और ग्रहों की बाधा दूर करती है. सोने की बिछिया नहीं पहनी जाती क्योंकि सोना भगवान विष्णु से जुड़ा है और पैरों में पहनना अपमान माना जाता है. - रामायण से जुड़ा प्रसंग
जब रावण सीता का हरण कर रहा था, तब सीता ने अपने आभूषणों के साथ अपने बिछिया भी मार्ग में फेंक दिए थे ताकि श्रीराम उन्हें पहचान सकें. इससे इसका महत्व और बढ़ गया.
वैज्ञानिक और स्वास्थ्य कारण
- एक्यूप्रेशर प्रभाव
पैरों की दूसरी और तीसरी उंगली की नसें गर्भाशय और हृदय से जुड़ी होती हैं. बिछिया पहनने से इन नसों पर हल्का दबाव पड़ता है, जिससे प्रजनन क्षमता बढ़ती है और गर्भधारण में मदद मिलती है. - हार्मोन संतुलन
यह दबाव महिलाओं के हार्मोन सिस्टम को संतुलित करता है, जिससे मासिक धर्म नियमित रहता है और थायराइड जैसी समस्याओं की संभावना कम होती है. - चांदी के गुण
चांदी ठंडी प्रकृति की धातु है, जो शरीर की गर्मी को नियंत्रित करती है और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती है. यह पृथ्वी की ध्रुवीय ऊर्जा को भी अवशोषित करती है.
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