Mercury In 7th House: कुंडली में बुध का स्थान व्यक्ति की बुद्धि, समझ, तर्कशक्ति, बोलने का तरीका और व्यवहार को दिखाता है. जब बुध सातवें भाव में बैठता है, तो इसका सीधा असर रिश्तों, पार्टनरशिप, शादी और दूसरों से जुड़ाव पर पड़ता है. सातवां भाव विवाह, साझेदारी और पब्लिक डीलिंग का घर माना जाता है. इसलिए बुध का यहां होना इंसान को बेहद चतुर, समझदार और बातों से सामने वाले को अपनी ओर खींचने वाला बनाता है. अगर बुध मज़बूत स्थिति में है, तो व्यक्ति रिश्तों में सामंजस्य बनाए रखता है, बातों से दूसरों को खुश कर लेता है और बिज़नेस में शानदार कम्युनिकेशन स्किल के कारण तरक्की करता है, लेकिन अगर बुध कमजोर या अशुभ ग्रहों से प्रभावित हो जाए, तो व्यक्ति रिश्तों में उलझन, धोखे या अधिक तर्क-वितर्क की स्थिति में फंस सकता है. बुध सातवें भाव में बैठकर व्यक्ति को यह सिखाता है कि रिश्ते केवल भावनाओं पर नहीं बल्कि समझदारी और कम्युनिकेशन पर भी टिके होते हैं. इसलिए यह स्थान जीवन में बहुत अहम भूमिका निभाता है. चलिए, अब जानते हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी, वास्तु विशेषज्ञ एवं न्यूमेरोलॉजिस्ट हिमाचल सिंह से कि बुध सातवें भाव में होने से क्या-क्या फल देता है इसके अच्छे और बुरे दोनों पहलुओं को समझते हैं और साथ ही उन उपायों को भी जानेंगे जो स्थिति को बेहतर बना सकते हैं.
बुध सातवें भाव के सकारात्मक प्रभाव
अगर कुंडली में बुध अपनी सही जगह पर बैठा हो और शुभ ग्रहों की दृष्टि में हो, तो इसका असर बेहद अच्छा होता है. ऐसा व्यक्ति बहुत बातूनी, मिलनसार और समझदार होता है. वह दूसरों की बात ध्यान से सुनता है और अपनी बात इस तरह रखता है कि सामने वाला उसकी बात मान ही लेता है.
शादीशुदा जीवन के लिहाज से यह स्थिति काफी फायदेमंद मानी जाती है. ऐसे लोग अपने पार्टनर के साथ तालमेल से रहते हैं और छोटे-मोटे झगड़ों को भी हंसी-मज़ाक में बदल देते हैं. इनके अंदर आकर्षण की एक अलग चमक होती है, जिससे लोग इन्हें पसंद करने लगते हैं.
बुध सातवें भाव में हो तो व्यक्ति को बिज़नेस में बहुत फायदा मिलता है. कम्युनिकेशन स्किल्स और लोगों को समझने की क्षमता के कारण यह व्यक्ति अच्छे सेल्समैन, मार्केटिंग एक्सपर्ट, राइटर या नेगोशिएटर साबित होते हैं.
इनके रिश्ते केवल निजी जीवन तक सीमित नहीं रहते, बल्कि ये समाज में भी लोगों के साथ गहरी समझदारी से पेश आते हैं. शुक्र और बुध का संयोजन इस भाव में व्यक्ति को बेहद रोमैंटिक, समझदार और वफादार साथी बनाता है.
बुध सातवें भाव के नकारात्मक प्रभाव
अगर बुध कमजोर हो या राहु, केतु, शनि या मंगल जैसे ग्रहों की दृष्टि में आ जाए, तो यह व्यक्ति के रिश्तों में टकराव और गलतफहमी पैदा कर सकता है. ऐसे में व्यक्ति छोटी-छोटी बातों पर झगड़ा करने लगता है या पार्टनर की बातों में कमियां ढूंढने की आदत बना लेता है.
कभी-कभी बुध की नकारात्मक स्थिति व्यक्ति को बहुत चालाक या स्वार्थी बना देती है. यह व्यक्ति अपने फायदे के लिए रिश्तों का इस्तेमाल कर सकता है या फिर हर बात पर तर्क देने वाला बन जाता है, जिससे रिश्तों की मिठास कम हो जाती है.
अगर बुध सप्तम भाव में अशुभ हो तो शादी में देरी, रिश्तों में धोखा या बिज़नेस पार्टनर के साथ विवाद की स्थिति भी बन सकती है. कुछ मामलों में ऐसे जातक दूसरों की बातों में जल्दी आ जाते हैं और अपनी समझदारी गलत दिशा में इस्तेमाल करते हैं.
बुध के अशुभ प्रभाव से बचने के उपाय
अगर बुध सातवें भाव में कमजोर या पीड़ित हो, तो कुछ सरल उपायों से इसके दुष्प्रभाव को कम किया जा सकता है:
1. बुधवार को हरे कपड़े पहनें और हरे मूंग का दान करें.
2. गणेश जी की पूजा करें, खासकर बुधवार को.
3. पन्ना रत्न (Emerald) सही सलाह के बाद धारण करें.
4. अपने बोलचाल में सकारात्मकता लाएं और झूठ बोलने या दूसरों को नीचा दिखाने से बचें.
5. नियमित रूप से “ॐ बुं बुधाय नमः” मंत्र का जाप करें.
इन उपायों से बुध का प्रभाव धीरे-धीरे मजबूत होता है और रिश्तों में स्थिरता आती है.
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