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Light at Night Raise Heart Disease Risk: हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की नई रिसर्च में पाया गया कि रात में हल्की रोशनी में सोना भी दिल की सेहत पर बुरा असर डालता है. आर्टिफिशियल लाइट हमारे शरीर की सर्केडियन रिदम को बिगाड़ती है और नींद की क्वालिटी खराब करती है. यह तनाव से जुड़े दिमागी हिस्सों की एक्टिविटी बढ़ाती है, जिससे लंबे समय में हार्ट डिजीज का खतरा बढ़ सकता है. वैज्ञानिकों ने सलाह दी है कि रात में कमरे में अंधेरा रखें और स्क्रीन से दूरी बनाएं.
Sleeping in Light Dangerous for Heart: अधिकतर लोग रात में सोते वक्त लाइट ऑफ कर देते हैं, ताकि कमरे में अंधेरा हो जाए. जब कमरे में अंधेरा होता है, तब नींद जल्दी आ जाती है. हालांकि कुछ लोगों की आदत होती है कि वे रात में लाइट जलाकर सोना पसंद करते हैं. अगर आपको भी रात के वक्त लाइट जलाकर सोने की आदत है, तो सावधान होने की जरूरत है. ऐसा करना आपके हार्ट के लिए खतरनाक हो सकता है. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक नई रिसर्च में दावा किया है कि रात में हल्की रोशनी का लगातार सामना करने से दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है. रिसर्चर्स ने यह भी बताया है कि रात में लाइट एक्सपोजर से सेहत पर किस तरह बुरा असर पड़ता है और इससे हार्ट कैसे प्रभावित होता है.
वैज्ञानिकों के अनुसार यह रिसर्च छोटे पैमाने पर की गई है, लेकिन इसके नतीजे दूरगामी हो सकते हैं. लंबे समय तक रात की रोशनी का असर हमारे दिमाग और नींद के पैटर्न पर कितना गहरा पड़ता है, इसे अब तक उतनी गंभीरता से नहीं समझा गया था. इस महीने की शुरुआत में प्रकाशित इस रिसर्च में दो प्रमुख तरीकों का उपयोग किया गया था. पहला ब्रेन इमेजिंग यानी दिमाग की स्कैनिंग और दूसरा सैटेलाइट डाटा. दोनों को मिलाकर यह मापा गया कि प्रतिभागियों के आसपास रात के समय आर्टिफिशियल लाइट का स्तर कितना था और इसका उनकी सेहत पर क्या असर पड़ा.
स्टडी के अनुसार जिन इलाकों में रात के दौरान ज्यादा रोशनी रहती है, वहां रहने वाले लोगों के दिल पर भार ज्यादा देखा गया. ऐसा इसलिए, क्योंकि शरीर एक नेचुरल बायोलॉजिकल क्लॉक यानी सर्केडियन रिदम पर चलता है, जो दिन और रात की रोशनी से कंट्रोल होती है. रात में जब स्ट्रीट लाइट, नाइट लैम्प, मोबाइल स्क्रीन या खिड़की से आती सफेद रोशनी दिमाग पर पड़ती है, तो शरीर भ्रमित हो जाता है और उसे लगता है कि अभी रात नहीं हुई है. इससे नींद की गुणवत्ता कम होती है, हार्मोन गड़बड़ा जाते हैं और दिल पर तनाव बढ़ता है. हार्वर्ड टीम ने यह भी पाया कि जिन लोगों के दिमाग में तनाव से जुड़े हिस्सों की गतिविधि अधिक थी, वे वही लोग थे जिनकी रातें आर्टिफिशियल लाइट्स के संपर्क में बीतती थीं. सैटेलाइट डाटा से भी पुष्टि हुई कि जिन क्षेत्रों में रात का उजाला ज्यादा था, वहां हार्ट डिजीज के संकेत भी ज्यादा पाए गए.
शोधकर्ताओं के अनुसार यह खतरा केवल तेज रोशनी से नहीं है, बल्कि हल्की, बिल्कुल मामूली और आंखों को मुश्किल से दिखने वाली रोशनी से भी बढ़ सकता है. यह मामला वैसा ही है, जैसे रोजाना थोड़ी-थोड़ी मात्रा में जहर लेने से तुरंत कुछ नहीं होता, लेकिन धीरे-धीरे शरीर पर गंभीर असर पड़ने लगता है. यह अध्ययन छोटा था, लेकिन वैज्ञानिक इसे चेतावनी का संकेत मानते हैं और रोजमर्रा की जिंदगी में सावधानी बरतने की सलाह देते हैं. सुझाव दिया गया कि रात में कमरा जितना हो सके उतना अंधेरा रखें, मोबाइल या लैपटॉप जैसे स्क्रीन वाले उपकरणों से दूर रहें, जरूरत हो तो बहुत हल्की और पीली रोशनी वाला नाइट लैम्प इस्तेमाल करें और बाहर की स्ट्रीट लाइट रोकने के लिए मोटे पर्दे लगाएं.

अमित उपाध्याय Bharat.one Hindi की लाइफस्टाइल टीम के अनुभवी पत्रकार हैं, जिनके पास प्रिंट और डिजिटल मीडिया में 9 वर्षों से अधिक का अनुभव है। वे हेल्थ, वेलनेस और लाइफस्टाइल से जुड़ी रिसर्च-बेस्ड और डॉक्टर्स के इंटरव्…और पढ़ें
अमित उपाध्याय Bharat.one Hindi की लाइफस्टाइल टीम के अनुभवी पत्रकार हैं, जिनके पास प्रिंट और डिजिटल मीडिया में 9 वर्षों से अधिक का अनुभव है। वे हेल्थ, वेलनेस और लाइफस्टाइल से जुड़ी रिसर्च-बेस्ड और डॉक्टर्स के इंटरव्… और पढ़ें
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https://hindi.news18.com/news/lifestyle/health-sleeping-with-lights-on-harm-your-heart-shocking-harvard-study-findings-know-details-in-hindi-ws-n-9873646.html







