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Always use asana during puja path jap tap know their importance | जप-तप, पूजा-अर्चना, मंत्र, अनुष्ठान सब हो जाएंगे फेल, अगर इस एक चीज को नहीं करेंगे शामिल


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हिंदू धर्म में पूजा-पाठ, जप-तप को लेकर कई तरह के नियम बनाए गए हैं. इन्हीं नियमों को ध्यान में रखते हुए पूजा पाठ का संपूर्ण फल प्राप्त होता है. अगर आप पूजा-पाठ, जप-तप आदि कोई भी धार्मिक कार्य करते हैं तो पूजा की चीजों में इसको भी शामिल करना शुभ माना गया है. आइए जानते हैं पूजा-पाठ, जप-तप जैसी धार्मिक क्रियाओं में किस चीज का होना बहुत आवश्यक माना गया है.

जप-तप, पूजा-अर्चना सब हो जाएंगे फेल, अगर इस एक चीज को नहीं करेंगे शामिल

शास्त्रों में पूजा-पाठ से लेकर जप-तप आदि सभी के लिए नियम बताए गए हैं. इन्हीं नियमों का पालन करने पर ही पूर्ण फल की प्राप्ति होती है. ये नियम केवल दिखाने या बताने के लिए नही हैं बल्कि इन नियमों का वैज्ञानिक आधार भी है. सनातन धर्म की खास बात यही है कि यहां बताई गई कोई भी चीज का वैज्ञानिक आधार होता है. अगर आप जप-तप या कोई धार्मिक अनुष्ठान कर रहे हैं तो पूजा की सामग्री में इस चीज का विशेष तौर पर ध्यान रखना चाहिए. आपने बहुत से लोगों को जमीन पर बैठकर पूजा अर्चना करते हुए देखा लेकिन धार्मिक दृष्टि से ऐसा करना शुभ नहीं माना जाता है. पूजा स्थान पर हमेशा आसन बिछाकर ही पूजा पाठ करनी चाहिए अन्यथा पूजा का अधूरा फल प्राप्त होता है. आइए जानते हैं गृहस्थ लोगों को किस आसान पर बैठकर पूजा नहीं करनी चाहिए…

गृहस्थ वाले इस आसान पर ना बैठें
पूजापाठ में आसन (बैठने का पवित्र स्थान) अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है. यह केवल सुविधा के लिए नहीं बल्कि ऊर्जा, ग्रह-तत्त्व और शुद्धता से जुड़ा एक वैदिक सिद्धांत है. धर्म शास्त्रों में दो तरह के आसन के बारे में वर्णन किया गया है. एक वह जिस पर भगवान को बैठाया जाता है, जिसे दर्भासन कहा जाता है और दूसरा जिस पर भक्त बैठकर आरधना करते हैं, जिसको आसन कहते हैं. शास्त्रों में लिखा है कि बिना आसन पर बैठ कर किए गए जप-तप, पूजा-पाठ एवं मंत्र आदि अनुष्ठान पूर्ण फलदायक नहीं होते हैं. कुश, कंबल, मर्गचर्म एवं रासान का आसान जपादि के लिए श्रेष्ठ कहे गए हैं. संतानवासी गृहस्थी तो मृगचर्म आसन पर ना बैठे.

आसन पर बैठकर ही करें पूजा
वैदिक नियम कहते हैं कि पूजा के समय मन और शरीर स्थिर रहने चाहिए. अगर शरीर पृथ्वी को छूता है तो शरीर की ऊर्जा भूमि में चली जाती है, जिससे मन जल्दी विचलित होता है और ध्यान गहराई तक नहीं जा पाता. वेदों में आसन को पूजा का यन्त्र-समान आधार माना गया है. इससे पूजा करने वाले के चारों ओर एक दिव्य वृत्त बनता है, जो बाहरी नकारात्मक स्पंदनों को रोकता है. बिना आसन के पूजा करने से पूजा में उत्पन्न सात्त्विक ऊर्जा पृथ्वी तत्व में चली जाती है, इससे मन जल्दी विचलित होता है. नौ ग्रहों की संतुष्टि के लिए भी आसन का प्रयोग एक आवश्यक नियम माना जाता है. पत्तों से बने या फिर किसी कपड़े से या घास-फूस से बने आसान पर बैठकर पूजा करना शुद्ध माना गया है. ऐसा करने से पूजा पाठ में एकाग्रता बनी रहती है.

आसन के नियम

  • किसी दूसरे व्यक्ति के आसन का प्रयोग ना करें.
  • इस्तेमाल होने के बाद इधर-उधर ना फेंकर सही से अपनी जगह पर रखें.
  • पूजा के आसान को हमेशा स्वच्छ हाथों से और सही दिशा में लगाना चाहिए.
  • पूजा करने के बाद सीधे हाथ से आसन ना उठाएं, सबसे पहले आचमन करें और आचमन से जल लेकर भूमि पर अर्पित कर प्रणाम करें.
  • पूजा के आसन का प्रयोग किसी अन्य काम में ना करें.

किस प्रकार का आसन सर्वोत्तम?

  • कुश का आसन – सर्वोत्तम, सबसे शुद्ध, यज्ञ और जप के लिए श्रेष्ठ माना गया है. कुश नामक घास भगवान के शरीर से उत्पन्न हुई थी. अगर आप मंत्र सिद्ध करना चाहते हैं तो साधना के लिए कुश का आसन चुनें.
  • कंबल का आसन – ऊष्मा और ऊर्जा-संरक्षण करता है. मां दुर्गा, लक्ष्मी माता, हनुमानजी आदि के लिए लाल रंग के कंबल का आसान सर्वश्रेष्ठ माना गया है.
  • मगृचर्म आसन पर संतानवासी गृहस्थी वाले भूलकर भी ना बैठें. मगृचर्म आसन पर केवल ब्रह्मचर्य, ज्ञानी, वैराग्य, सिद्धि शांति, मोक्ष प्राप्त करने वालों के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है.

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Parag Sharma

मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प…और पढ़ें

मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प… और पढ़ें

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