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this Shivling was foundation in Kashi Vishwanath but miracle of Mahadev mysterious story, खुद देवताओं ने किया था इस शिवलिंग की स्थापना, बेहद रहस्यमयी है कहानी, उल्टा अरघा और घूमता गुंबद का त्रिशूल, जाने इतिहास…


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Ballia News: अक्सर आपने देश के सभी शिवलिंग के अरघे को उत्तर दिशा में देखा होगा, लेकिन विमलेश्वर नाथ महादेव का अरघा दक्षिण-पश्चिम कोण में स्थित है, जो इसे और भी रहस्यमय बना देता है. आइए इस शिवलिंग की रहस्यमय कहानी आपको बताते हैं.

बलिया: उत्तर प्रदेश में ऐसे कई धार्मिक स्थल हैं, जिनकी कहानी किसी चमत्कार से कम नहीं है. आज हम आपको एक अद्भुत शिवधाम के बारे में बताने जा रहे हैं, जो जनपद के सदर कोतवाली क्षेत्र अंतर्गत एकदम शांत और पवित्र वातावरण में बसा हुआ है. देवकली गांव एक ऐसे अद्भुत मंदिर का साक्षी है, जिसकी महिमा सुनकर हर कोई आश्चर्यचकित हो जाता है. विमलेश्वर नाथ महादेव का यह प्राचीन मंदिर न सिर्फ अपनी अनोखी संरचना के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहां घटित होने वाले चमत्कारों ने इसे देश-दुनिया के श्रद्धालुओं के लिए आस्था का बड़ा केंद्र बना दिया है.

वो कहते हैं न कि ‘जहां आस्था होती है, वहां चमत्कार भी होते हैं और यहां तो चमत्कार प्रत्यक्ष दिखाई देता है’. मंदिर के ऊपरी गुंबद पर स्थापित त्रिशूल घड़ी के सेकंड सुई की तरह स्वयं घूमता रहता है, जिसका अनुभव यहां के पुजारी और आसपास के लोगों ने किया था. श्रद्धालुओं (मिथुन पांडेय अथवा शत्रुघ्न कुमार पांडेय) के अनुसार, यह दिव्य परिक्रमा किसी अलौकिक शक्ति का संकेत ही हो सकता है. इस बाबा विमलेश्वर महादेव की महिमा अपरंपार है. यहां आने वाले हर भक्तों की मुरादे बाबा पूरी करते हैं.

इस कारण मंदिर बना रहस्यमयी

स्थानीय पुजारी दिलीप पांडेय ने Bharat.one ने कहा कि वह करीब 27 वर्षों से यहां सेवा में हैं, यह शिवलिंग स्वयं प्रकट हुआ था. ऋषि-मुनियों ने इसे काशी विश्वनाथ में स्थापित करने का विचार किया था, लेकिन सुबह होते ही शिवलिंग स्वयं दक्षिण-पश्चिम की ओर मुड़ गया. ऐसी अद्वितीय घटना को महादेव की इच्छा मानकर इसे यहीं स्थापित कर दिया गया था. यही कारण है कि जहां हर शिवालय का अरघा उत्तर दिशा में होता है, वहीं विमलेश्वर नाथ महादेव का अरघा दक्षिण-पश्चिम कोण में स्थित है, जो इसे और भी रहस्यमय बना देता है.

देवकली नाम की भी अनोखी कहानी

इतिहासकार डॉ. शिवकुमार सिंह कौशिकेय ने बताया कि पद्म पुराण के दर्दर क्षेत्र महात्म्य में वर्णित है, ‘यत्र साक्षान्महादेवस्य त्रास्ते विमलेश्वरः’, यानी यहां स्वयं महादेव विमलेश्वर रूप में विराजमान हैं. मान्यता है कि महर्षि भृगु ने इसी स्थल पर यज्ञ संपन्न किया था. यज्ञ में आमंत्रित देवताओं के ठहरने के कारण ही इस स्थान का नाम देवकुलावली पड़ गया, जो बाद में देवकली हो गया. प्राचीन ग्रंथों में यहां सप्त सरोवरों का उल्लेख मिलता है, जिनमें से अब केवल एक सरोवर शेष है, जो आज भी अपनी पवित्रता बनाए हुए है. इस महादेव की स्थापना स्वयं देवताओं ने किया था.

अगर आप भी अद्भुत और अलौकिक अनुभव पाना चाहते हैं तो एक बार देवकली के विमलेश्वर नाथ महादेव का दर्शन जरूर करें. यहां पहुंचकर मन में बस एक ही बात आती है कि महादेव की महिमा वाकई अपरंपार है. कहा जाता है कि जो भी भक्त यहां सच्चे मन से माथा टेकता है, उसके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शुभ विचारों का संचार होने लगता है.

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आर्यन सेठ

आर्यन ने नई दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया से पत्रकारिता की पढ़ाई की और एबीपी में काम किया. उसके बाद नेटवर्क 18 के Bharat.one से जुड़ गए.

आर्यन ने नई दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया से पत्रकारिता की पढ़ाई की और एबीपी में काम किया. उसके बाद नेटवर्क 18 के Bharat.one से जुड़ गए.

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काशी विश्वनाथ मंदिर में स्थापित होने वाला था यह शिवलिंग, सुबह होते ही…

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

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