Best Picnic Spots : अगर आप ठंड के मौसम में घर से बाहर निकल कर पहाड़-जंगलों की सैर करना चाहते हैं तो हम आपको एक ऐसा पिकनिक स्पॉट बताने जा रहे हैं जहां घूम कर आपका मन भी प्रसन्न हो जाएगा. साथ ही यहां आकर आपको शांति और सुकून भी मिलेगा. फैमिली के साथ यहां आना और भी अच्छा रहता है. यहां आकर आप खुद खाना भी बना सकते हैं. दरअसल, छतरपुर के मऊ सहानिया में आप घूमने का प्लान बना सकते हैं. यहां पहाड़-जंगलों से लेकर ऐतिहासिक धरोहरों आज भी मौजूद हैं.
बता दें, साल 2025 अब खत्म होने वाला है. वहीं साल 2026 दस्तक देने वाला है. ऐसे में अगर आप छतरपुर जिला में है और यहां परिवार के साथ अच्छा समय बिताना चाहते हैं, तो आपको मऊ सहानिया की पिकनिक स्पॉट की जानकारी देते हैं.
छतरपुर जिले से लगभग 16 किमी दूर मऊ सहानिया में प्रकृति, इतिहास और आधुनिकता सब कुछ देखने को मिलता है. परिवार, दोस्तों या बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम बिताने के लिए यहां कई शानदार जगहें मौजूद हैं.
मऊसहानिया में आप धुबेला संग्रहालय, मस्तानी महल, महाराजा छत्रसाल स्मारक, रानी कमलापति स्मारक, हृदय शाह महल, शीतल गढ़ी और बड़ा तालाब पर यागदार लम्हा गुजार सकते हैं.
धुबेला संग्रहालय : धुबेला महल का निर्माण महाराजा छत्रसाल ने 18वीं शती ई. में कराया था. महल का प्रवेश द्वार भव्य व मेहराबदार है. महल की शैली उत्तर मध्यकालीन क्षेत्रीय बुंदेली शैली है.
महाराजा छत्रसाल स्मारक : मऊसहानिया में ही महाराजा छत्रसाल का स्मारक भी बना हुआ है. इसी स्मारक में उनके घोड़े की समाधि भी बनी है. बाजीराव पेशवा प्रथम के द्वारा बनवाया गया महाराजा छत्रसाल स्मारक आज भी महाराज की शौर्य गाथा को बयां कर रहा है. यहां बने स्मारक और महलों को दूर-दूर से लोग देखने आते हैं.
रानी कमलापति स्मारक : रानी कमलापति जो महाराजा छत्रसाल की प्रथम रानी थी. बड़ी रानी के निधन पर महाराजा छत्रसाल ने उनकी याद में इस महल का निर्माण करवाया था. यह महल 2 मंजला है. इसका प्रवेश द्वार मेहरायुक्त है और 7 गुंबद हैं.
मस्तानी महल : मऊसहानिया गांव में मस्तानी महल भी देखने को मिल जाता है. इस महल का निर्माण महाराजा छत्रसाल ने 1696 में कराया था. बता दें, मस्तानी महाराजा छत्रसाल की बेटी थीं. बाजीराव पेशवा ने जब बंगश पर विजय प्राप्त की तो महाराजा छत्रसाल ने अपनी बेटी मस्तानी का बाजीराव पेशवा से विवाह कर दिया
हृदयशाल महल : मऊसहानिया में ही महाराजा छत्रसाल के बड़े पुत्र हृदय शाह का महल भी बना हुआ है. हालांकि, यह महल आज खंडहर हो चुका है लेकिन इसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से आज भी आते हैं.
शीतल गढ़ी : शीतल गढ़ी का निर्माण महाराजा छत्रसाल के नाती द्वारा 17वीं शताब्दी में करवाया था. यह प्रसिद्ध स्मारक समृद्ध बुंदेली कला का उदाहरण है, जो आज के एयर कंडीशनर को भी फेल करती है. इस किले का निर्माण आवासीय उद्देश्य और सुरक्षा की दृष्टि से करवाया गया था.
महेबा गेट : महेबा गेट महाराजा छत्रसाल की सैनिक छावनी थी जिसे महाराजा छत्रसाल ने 1678 शती ई. में बनवाया था. इस भव्य द्वार का निर्माण महाराजा छत्रसाल ने महेवा जाने के रास्ते पर करवाया था. महेबा द्वारा बुंदेला वास्तुकला का सुंदर उदाहरण है.
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