Pinky Sharma Krishna Marriage : आज के दौर में लोग रिश्तों को लेकर कई तरह के फैसले लेते हैं, लेकिन कुछ फैसले इतने अनोखे होते हैं कि उनकी चर्चा दूर तक जाती है. ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश के बदायूं से सामने आया, जहां पिंकी नाम की युवती ने भगवान कृष्ण की मूर्ति से विवाह कर लिया. यह कोई मज़ाक, भ्रम या दिखावा नहीं था, बल्कि पिंकी की गहरी आस्था, भरोसे और भावनाओं का नतीजा था. पिंकी बचपन से कृष्ण भक्ति में डूबी रही है. उसके लिए कृष्ण सिर्फ भगवान नहीं, बल्कि उसके जीवन का सहारा रहे हैं. वह हमेशा कहती थी कि उसका विवाह तभी होगा जब कृष्ण उसे संकेत देंगे. लोगों को यह सिर्फ उसकी भावना लगता था, लेकिन वृंदावन की एक यात्रा ने उसकी सोच को हकीकत में बदल दिया. बांके बिहारी मंदिर में भीड़ के बीच अचानक उसकी हथेली में एक सोने की अंगूठी गिरी. पिंकी को लगा कि यह उसके जीवन का सबसे बड़ा संकेत है जैसे खुद कृष्ण ने उसे अपना लिया हो. यही पल उसकी ज़िंदगी में एक नया अध्याय लेकर आया.
परिवार ने जब उसकी बात सुनी तो पहले हैरानी हुई, लेकिन पिंकी की दृढ़ता देखकर उन्होंने उसका साथ दिया. गांव के लोगों ने भी इस फैसले का सम्मान किया और फिर हुई एक अनोखी शादी, जिसने सबका ध्यान अपनी तरफ खींच लिया.
यह कहानी सिर्फ विवाह की नहीं, बल्कि एक लड़की के विश्वास, साहस और अपनी भावनाओं को खुलकर अपनाने की कहानी है.
कौन हैं पिंकी?
बदायूं की 28 वर्षीय पिंकी शर्मा पढ़ाई में तेज और स्वभाव से शांत मानी जाती है. वह चंदौसी के कॉलेज से अंग्रेजी में स्नातकोत्तर कर चुकी है. परिवार खेती करता है और घर में रोज पूजा होती है. पिंकी का बचपन भगवान कृष्ण की भक्ति में बीता है. घरवाले बताते हैं कि वह हमेशा मंदिर जाने और कृष्ण से बातें करने में सुकून महसूस करती थी.
पिंकी के पिता सुरेश चंद्र शर्मा बताते हैं कि वे पिछले कई सालों से पूरे परिवार के साथ वृंदावन जाते रहे हैं. वहां का वातावरण उनके जीवन का हिस्सा बन चुका था. पिंकी पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी ढूंढ रही थी, लेकिन शादी की बात यानी वर ढूंढने को लेकर वह हमेशा साफ थी वह कहती थी कि उसका जीवन साथी वही होगा जिसे कृष्ण चुनें.
फिर वह दिन आया जिसने उसकी सोच को पूरी तरह बदल दिया. परिवार बांके बिहारी मंदिर पहुंचा था. भीड़ बहुत थी, लेकिन पिंकी अपनी हथेलियां खोले बेहद शांत खड़ी थी. तभी कहीं से प्रसाद के साथ एक सोने की अंगूठी उसकी हथेली में आ गिरी. लोगों को यह एक सामान्य घटना लग सकती थी, लेकिन पिंकी के लिए यह कृष्ण का संकेत था. उसके चेहरे पर उसी पल एक गहरा विश्वास उभरा.
घर लौटने पर पिंकी ने माता-पिता से कहा कि अब उसके लिए वर ढूंढने की जरूरत नहीं है. वह कृष्ण से ही विवाह करेगी. परिवार के लिए यह सुनना आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने उसकी इच्छा का सम्मान किया, क्योंकि उन्हें पता था कि पिंकी अपने फैसले को हल्के में नहीं लेती. गांव में चर्चा फैल गई और लोगों को शुरुआत में अजीब लगा, लेकिन धीरे-धीरे वे भी इस निर्णय को स्वीकार करने लगे. फिर तय हुआ कि विवाह गांव में ही धूमधाम से होगा.
शाम को जब बारात निकली, तो यह वाकई अनोखा दृश्य था. लगभग 100–150 लोग कृष्ण की मूर्ति लेकर पिंकी के घर पहुंचे. ढोल बज रहे थे, रंगीन लाइटें लगी थीं और पूरा गांव इस अनोखे आयोजन को देखने के लिए एकत्र था.
पिंकी दुल्हन की तरह तैयार होकर आई. उसने कृष्ण की मूर्ति को माला पहनाई और मंडप में बैठकर अग्नि के सामने सात फेरे लिए. रस्में पूरी तरह वैसे ही निभाई गईं जैसी आम शादियों में होती हैं. परिवार ने भोजन का आयोजन किया और मेहमानों ने आशीर्वाद दिया.
विवाह के बाद पिंकी ने कहा, “मैंने सब कुछ कृष्ण पर छोड़ दिया है. मेरा भविष्य कैसा होगा, यह वही तय करेंगे.” उसके पिता का मानना है कि भले ही वे ज्यादा संपन्न नहीं हैं, पर पिंकी के लिए वृंदावन में एक छोटा सा घर खरीदने की कोशिश करेंगे, ताकि वह अपनी भक्ति के बीच जी सके.
फिलहाल, पिंकी अपनी बड़ी बहन और जीजा के साथ रह रही है. इस प्रतीकात्मक विवाह में जीजा को दूल्हे पक्ष का प्रतिनिधि माना गया था. यह पूरी घटना किसी कहानी की तरह लग सकती है, लेकिन पिंकी और उसके परिवार के लिए यह पूरी तरह सच्ची भावनाओं का परिणाम है. लोग चाहे जैसा भी सोचें, पिंकी ने अपने जीवन को अपनी शर्तों पर जीने का साहस दिखाया है.
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https://hindi.news18.com/news/dharm/who-is-pinky-why-she-got-married-lord-krishna-after-miracle-at-banke-bihari-temple-9941106.html







