Kidney Transplant in AIIMS New Delhi: आज किडनी की बीमारी जितनी आम हो चुकी है, किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत भी उतनी ही ज्यादा बढ़ गई है, जबकि मरीजों की संख्या के मुकाबले देशभर में किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधाएं इतनी ज्यादा नहीं हैं कि मरीज बिना इंतजार किए तत्काल गुर्दा प्रत्यारोपण करवा सकें. देश के सबसे बड़े संस्थान एम्स नई दिल्ली में ही किडनी ट्रांसप्लांट के लिए मरीजों को महीनों इंतजार करना पड़ता था, हालांकि अब यहां न केवल वेटिंग टाइम घट गया है बल्कि ट्रांसप्लांट की सुविधाओं में भी 50 फीसदी की बढ़ोत्तरी हो गई है. इसकी वजह एम्स के यूरोलॉजी विभाग में भी किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा मिलना है. यूरोलॉजी विभाग ने हाल ही में रीनल ट्रांसप्लांट का 1 साल पूरा किया है. ऐसे में एम्स के यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. अमलेश सेठ से जानते हैं किडनी ट्रांसप्लांट से जुड़े हर सवाल का जवाब….
सवाल- क्या होता है रीनल या किडनी ट्रांसप्लांट?
जवाब- किडनी या गुर्दा का काम शरीर से अवशिष्ट पदार्थों को बाहर करना है. जब किसी मरीज की किडनी खराब हो चुकी होती है या काम करना बंद कर देती है तो उसकी जगह पर किसी स्वस्थ डोनर द्वारा दी गई स्वस्थ किडनी को प्रत्यारोपित करना ही किडनी ट्रांसप्लांट कहलाता है.

एम्स में किडनी ट्रांस्प्लांट लगभग फ्री होता है.
सवाल- किडनी ट्रांसप्लांट में कितना खर्च आता है?
जवाब- किडनी ट्रांसप्लांट का खर्च सर्जरी के प्रकार, जीवित या मृत डोनर, अस्पताल और सुविधाओं के आधार पर अलग-अलग होता है. आमतौर पर किडनी प्रत्यारोपण निजी अस्पतालों में लाखों रुपये के खर्च में होता है. यह 5-10 लाख या उससे ज्यादा भी हो सकता है.
सवाल- एम्स में किडनी ट्रांसप्लांट कराने में कितना खर्च आता है?
जवाब- एम्स में मात्र 5 से 10 फीसदी खर्च में किडनी ट्रांसप्लांट हो जाता है. यहां ट्रांसप्लांट सर्जरी के लिए डॉक्टर, अस्पताल और बेड पूरी तरह मुफ्त हैं. मरीज को लगाई जाने वाली किडनी के लिए डोनर मरीज को ही लाना पड़ता है, हालांकि उसकी सभी जांचें निशुल्क होती हैं. ट्रांसप्लांट के दौरान मरीज को दवाएं भी मुफ्त दी जाती हैं, लेकिन कुछ सर्जिकल सामान और कुछ दवाएं मरीजों को बाहर से खरीदनी होती हैं.
सवाल- एम्स में मरीजों को ट्रांसप्लांट के लिए बहुत ज्यादा इंतजार करना पड़ता है?

एम्स में किडनी ट्रांसप्लांट के लिए वेटिंग टाइम 3 महीने रह गया है.
जवाब- पहले इंतजार लंबा होता था लेकिन अब ऐसा नहीं है. अब एम्स में किडनी ट्रांसप्लांट में वेटिंग का समय काफी घट गया है. लगभग 3 महीने के इंतजार में मरीज का ट्रांसप्लांट हो रहा है. इसकी सबसे बड़ी वजह है कि अब यहां ट्रांसप्लांट की सुविधा सिर्फ सर्जरी में नहीं बल्कि यूरोलॉजी विभाग के द्वारा भी दी जा रही है. यूरोलॉजी विभाग ने किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा को शुरू किए एक साल पूरा कर लिया है.
सवाल- एम्स में अब कहां-कहां हो रहा है किडनी ट्रांसप्लांट?
जवाब- एम्स में किडनी प्रत्यारोपण सर्जरी डिपार्टमेंट के अलावा यूरोलॉजी विभाग में किया जा रहा है. यूरोलॉजी विभाग के ऑपरेशन थिएटरों में एक साल के अंदर 21 मरीजों का किडनी प्रत्यारोपण किया गया है. सुविधाओं का और भी विस्तार किया जा रहा है और ज्यादा से ज्यादा मरीजों को किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा अब कम इंतजार में मिलेगी.
सवाल- ट्रांसप्लांट की धीमी गति के पीछे क्या कारण हैं?
जवाब- किडनी ट्रांसप्लांट होने में बहुत समय नहीं लगता, यह बस एक सर्जिकल प्रक्रिया है लेकिन सबसे ज्यादा समय मरीज को सही डोनर मिलने में लगता है. किडनी कौन देगा, जो देने जा रहा है उसका ब्लड ग्रुप और टिशूज की मैचिंग हो रही है या नहीं. डोनर कब उपलब्ध है? इसके अलावा डोनर के तैयार होने के बाद उसकी सभी जांचें एम्स के अंदर कराई जाती हैं ताकि ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया सफल हो सके और पोस्ट सर्जरी कोई दिक्कत न आए.
इसके अलावा देशभर ही नहीं बल्कि दुनियाभर में किडनी के मरीजों की संख्या बढ़ रही है, किडनी ट्रांसप्लांट की बढ़ती जरूरत को पूरा करने के लिए ज्यादा मेडिकल सुविधाओं की जरूरत है.
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https://hindi.news18.com/news/knowledge/kidney-transplant-cost-and-waiting-time-in-aiims-new-delhi-urology-hod-dr-amlesh-seth-replies-on-one-year-of-renal-transplant-facility-started-ws-kln-9940836.html







