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Non Veg Diet Tips: नॉन वेज हमारी डाइट में प्रोटीन और विटामिन B12 का अहम स्रोत हैं. सही मात्रा में सेवन से यह मांसपेशियों की मजबूती, हार्ट हेल्थ और इम्यून सिस्टम मजबूत करने में मदद करता है. लेकिन जरूरत से ज्यादा खाने पर यह कोलेस्ट्रॉल, वजन बढ़ने और पाचन संबंधी समस्याओं का कारण बन सकता है. जानें कितनी मात्रा में नॉन वेज सही है और इसे कैसे अपने हेल्थ के लिए फायदेमंद बनाया जा सकता है.
ऋषिकेश: भारत सहित दुनिया की बड़ी आबादी अपनी डाइट में नॉन वेज यानी मांस, मछली, अंडे और चिकन को शामिल करती है. नॉन वेज को अक्सर प्रोटीन, आयरन और विटामिन B12 के प्राइमरी सोर्स के रूप में जाना जाता है, जो मांसपेशियों की मजबूती, ब्लड सेल्स के निर्माण और इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं. लेकिन हर सिक्के के दो पहलू होते हैं. ऐसा ही नॉन वेज के साथ भी है. सही मात्रा में खाने पर यह शरीर के लिए दवा जैसा काम करता है, लेकिन जरूरत से ज्यादा खाना शरीर को धीरे-धीरे बीमार बना सकता है. इसलिए जरूरी है कि हम समझें कि नॉन वेज कब फायदेमंद है और कब नुकसानदायक.
नॉन वेज खाने के फायदे
Bharat.one के साथ बातचीत के दौरान डॉ राजकुमार (आयुष)ने कहा कि नॉन वेज में मौजूद हाई-क्वालिटी प्रोटीन मांसपेशियों की ग्रोथ को बढ़ाता है और शरीर को ऊर्जा देता है. इसमें मौजूद विटामिन B12 नर्व्स और ब्रेन हेल्थ के लिए बेहद आवश्यक है. कई लोग आयरन की कमी से जूझते हैं, ऐसे में मांस और अंडे शरीर में हीमोग्लोबिन का लेवल बढ़ाने में मदद करते हैं. वहीं फिश में मौजूद ओमेगा-3 फैटी एसिड हार्ट के लिए दवा की तरह काम करता है, जिससे ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है. यही कारण है कि डॉक्टर फिश को अन्य नॉन वेज विकल्पों की तुलना में ज्यादा हेल्दी मानते हैं.
दैनिक जीवन में सिर्फ फायदा ही नहीं, उसकी मात्रा भी मायने रखती है. हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार हफ्ते में 2 से 3 बार नॉन वेज लेना बिल्कुल ठीक है. एक बार में 100 से 150 ग्राम तक सेवन सुरक्षित माना जाता है. यानी अगर किसी दिन आपने चिकन खाया है, तो अगले ही दिन मटन खाना आपके पाचन और हार्ट दोनों पर प्रेशर बढ़ा सकता है. लाइफस्टाइल और फिजिकल एक्टिविटी भी इस मात्रा के अनुसार अहम भूमिका निभाती है. जिनकी एक्टिविटी कम है, उन्हें मात्रा और भी कम रखनी चाहिए.
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अधिक नॉन वेज खाने से क्या नुकसान हो सकते हैं?
ज़्यादा नॉन वेज खाने से सबसे पहले कोलेस्ट्रॉल लेवल प्रभावित होता है. खासकर रेड मीट जैसे मटन या बीफ का नियमित सेवन हार्ट को नुकसान पहुंचा सकता है. इसकी वजह है संतृप्त वसा यानी ‘सैचुरेटेड फैट’, जो धमनियों को ब्लॉक करने लगता है. इससे हार्ट अटैक, स्ट्रोक और हाई BP का खतरा बढ़ जाता है. अधिक नॉन वेज वजन बढ़ाने का बड़ा कारण भी बन सकता है क्योंकि इसमें कैलोरी ज्यादा होती हैं. वहीं, खराब तरह से पका हुआ या बार-बार तला हुआ मांस पाचन को बिगाड़ सकता है, जिससे गैस, कब्ज और एसिडिटी जैसी समस्याएं पैदा होने लगती हैं.
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सीमा नाथ पांच साल से मीडिया के क्षेत्र में काम कर रही हैं. मैने शाह टाइम्स, उत्तरांचल दीप, न्यूज अपडेट भारत के साथ ही Bharat.one ( नेटवर्क 18) में काम किया है. वर्तमान में मैं News 18 (नेटवर्क 18) के साथ जुड़ी हूं…और पढ़ें
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