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थाईलैंड-कंबोडिया सीमा संघर्ष में प्रीह विहार मंदिर को नुकसान, जानें भगवान शिव के इस मंदिर की खास बातें


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थाईलैंड और कंबोडिया के बीच पुराना सीमा विवाद रविवार को फिर भड़क उठा है और दोनों देश एक-दूसरे पर हमले शुरू करने का आरोप लगा रहे हैं. इस हमले में हिंदू मंदिर विश्व धरोहर स्थल प्रीह विहार मंदिर को नुकसान पहुंच रहा है. आइए जानते हैं इस मंदिर की खास बातें…

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थाईलैंड-कंबोडिया सीमा संघर्ष में प्रीह विहार मंदिर को नुकसान, जानें खास बातें

Preah Vihear Temple: थाईलैंड और कंबोडिया के बीच जारी सीमा संघर्ष के दौरान विश्व धरोहर स्थल प्रीह विहार के संरक्षण केंद्र को हुए नुकसान की खबरों पर भारत ने चिंता जताई है. विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर को होने वाली किसी भी प्रकार का नुकसान होना दुर्भाग्यपूर्ण और चिंता का विषय है. बता दें कि थाईलैंड और कंबोडिया के बीच पुराना सीमा विवाद रविवार को फिर भड़क उठा. दोनों देश एक-दूसरे पर हमले शुरू करने का आरोप लगा रहे हैं. इस हमले से हिंदू मंदिर प्रीह विहार मंदिर को नुकसान पहुंच रहा है. यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इस मंदिर हजार साल से भी ज्यादा पुराना बताया जाता है. आइए जानते मंदिर के बारे में खास बातें…

खमेर साम्राज्य की कला का उत्कृष्ट उदाहरण
डोंगरेक पहाड़ियों की ऊंची, पत्थरीली चोटी… चारों तरफ फैला गहरा जंगल और बादलों को छूता एक विशाल, रहस्यमय मंदिर है प्रीह विहार. कंबोडिया और थाईलैंड की सीमा पर बसे इस प्राचीन मंदिर तक पहुंचना जितना रोमांचक है, इसका इतिहास उतना ही दिलचस्प. अपनी अनोखी स्थापत्य कला, धार्मिक महत्व और भू-राजनीतिक विवादों की वजह से यह मंदिर दक्षिण-पूर्व एशिया की सबसे चर्चित जगहों में से एक माना जाता है. प्रीह विहार मंदिर खमेर साम्राज्य की कला और इंजीनियरिंग का ऐसा उत्कृष्ट उदाहरण है, जो समय की हर परीक्षा में खरा उतरा.

खूबसूरत नक्काशी इसका असली आकर्षण
प्रीह विहार मंदिर हिंदू भगवान शिव को समर्पित है और मंदिर की सीढ़ियां, लंबे पत्थर के मार्ग और खूबसूरत नक्काशी इसका असली आकर्षण हैं. इस मंदिर की लोकेशन ही इसे खास बनाती है. यह कंबोडिया की तरफ है, लेकिन पहुंच का रास्ता थाईलैंड से ज़्यादा आसान रहा है. इसी वजह से दोनों देशों के बीच कई दशक तक यह मंदिर विवादों में रहा. सूर्योदय और सूर्यास्त के समय यहां का नजारा किसी फिल्म जैसा लगता है.

मंदिर की वास्तु कला पर द्रविण शैली की छाप
शुरुआती समय में यहां पर भगवान शिव की पूजा होती थी लेकिन बाद में यह बौद्ध धर्म के परिसर में तब्दील हो गया. इस मंदिर की वास्तु कला पर द्रविण शैली की छाप नजर आएगी. मंदिर में बने गोपुरम आदि को देखने पर आपको कुछ वैसा ही नजारा देखने को मिलता है. प्रीह विहियर मंदिर में स्थित भगवान शिव को शिखरेश्वर या भद्रेश्वर के नाम से जाना जाता है. खमेर राजा ने इस मंदिर का निर्माण करवाया, जिसका मूल भारत ही रहा है. मंदिर की दिवारों पर भगवान शिव के साथ-साथ महाभारत के अर्जुन और श्रीकृष्ण को भी उकेरा गया है.

विदेश मंत्रालय ने की अपील
भारत ने कंबोडिया और थाईलैंड दोनों देशों से संयम बरतने, संघर्ष विराम के लिए कदम उठाने और स्थल को सुरक्षित रखने की अपील की है. मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि प्रीह विहार में संरक्षण सुविधाओं को हुए नुकसान की रिपोर्ट देखी है. ऐसा कोई भी नुकसान दुखद और चिंता का कारण है. यह यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल मानवता की साझा सांस्कृतिक विरासत है और भारत इसके संरक्षण में निकटता से जुड़ा हुआ है.

11वीं सदी के प्रथम भाग में हुई थी स्थापना
प्रवक्ता ने कहा कि हम आशा करते हैं कि मंदिर परिसर और संबंधित संरक्षण केंद्रों की पूरी तरह सुरक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे. हम दोनों पक्षों से संयम बरतने, तनाव बढ़ने से रोकने और संवाद एवं शांति के मार्ग पर लौटने की अपील करते हैं. कंबोडिया के पठारी क्षेत्र के किनारे स्थित प्रीह विहार मंदिर भगवान शिव को समर्पित है. यूनेस्को के अनुसार, यह मंदिर 800 मीटर लंबे अक्ष पर एक दूसरे से जुड़े कई पवित्र स्थलों, मार्गों और सीढ़ियों से बना है, जिसकी स्थापना 11वीं सदी के प्रथम भाग में हुई थी.

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