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Use Of Doob Grass In Ayurveda : सड़क किनारे और खाली जगहों पर उगने वाली दूब घास देखने में भले ही साधारण लगे, लेकिन इसके औषधीय गुण बेहद खास माने जाते हैं. आयुर्वेद के अनुसार यह तेजी से बहते खून को रोकने में कारगर है और पीलिया, लीवर संबंधी समस्याओं, डायबिटीज व पाचन तंत्र को दुरुस्त करने में भी सहायक होती है.
अलीगढ़ : प्रकृति में मौजूद कई साधारण से दिखने वाले पौधे अपने भीतर असाधारण औषधीय गुण समेटे होते हैं. ऐसी ही एक चमत्कारी जड़ी-बूटी है दूब घास, जो आमतौर पर सड़क किनारे और खाली स्थानों पर आसानी से उग जाती है. देखने में साधारण यह घास औषधीय गुणों से भरपूर मानी जाती है. आयुर्वेद के अनुसार दूब घास न केवल रक्तस्राव रोकने में सहायक है, बल्कि पीलिया, लीवर संबंधी रोग, डायबिटीज और पाचन तंत्र को मजबूत करने में भी बेहद प्रभावी है. यही कारण है कि प्राचीन काल से लेकर आज तक आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में दूब घास को एक भरोसेमंद प्राकृतिक औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है.
आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. राजेश कुमार बताते हैं कि दूब घास एक सामान्य, तेजी से फैलने वाली रेंगती हुई औषधीय घास है, जो पूरे भारत में सड़क किनारे और खाली जगहों पर आसानी से मिल जाती है. इसकी पहचान इसकी कोमल हरी पत्तियों से होती है, जो ऊपर की ओर नजर आती हैं. जबकि इसकी जड़ें और तने जमीन पर जाल की तरह फैलते रहते हैं. यह घास बहुत तेज़ी से उगती है और आसानी से फैल जाती है. दूब घास का सबसे प्रमुख उपयोग रक्तस्राव रोकने में होता है. चाहे नाक से खून बह रहा हो, घाव से खून निकल रहा हो या किसी महिला को मासिक धर्म में अत्यधिक रक्तस्राव हो रहा हो. इन सभी स्थितियों में यह घास प्रभावी मानी जाती है.
इन रोगों के इलाज में कारगर
डॉ राजेश बताते हैं कि यह घास पीलिया, लीवर संबंधी विकारों, यूरिनरी इंफेक्शन, डायबिटीज, पाचन तंत्र को मजबूत करने, तथा इम्युनिटी बढ़ाने में भी लाभकारी है. इसे इस्तेमाल करने के लिए इसकी ताज़ी पत्तियों को साफ जगह से तोड़कर निचोड़ लें, फिर महीन कपड़े से छानकर रस निकालें. यह रस 10–15 ml सुबह-शाम खाली पेट लेने से लाभ मिलता है.
ऐसे करें इस्तेमाल
इसका काढ़ा भी बनाया जा सकता है. लगभग 10–15 ग्राम पत्तियों को दो कप पानी में उबालें और आधा रह जाने पर छान लें. यह काढ़ा 30–40 ml दिन में दो बार लिया जा सकता है. साथ ही मुंह के छाले या मुख रोगों में इसकी पत्तियों को सीधे मुंह में चबाने से निकलने वाला रस तुरंत आराम देता है. वहीं घाव, फोड़े-फुंसियों या चोट पर इसके पत्तों को पीसकर लेप लगाने से रक्तस्राव रुकता है और घाव जल्दी भरता है.
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मीडिया क्षेत्र में पांच वर्ष से अधिक समय से सक्रिय हूं और वर्तमान में News-18 हिंदी से जुड़ा हूं. मैने पत्रकारिता की शुरुआत 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव से की. इसके बाद उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड चुनाव में ग्राउंड…और पढ़ें
Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Bharat.one किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.
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