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साल 2025 का आखिरी प्रदोष व्रत, कुछ इस तरह करें महादेव को प्रसन्न..यहां जानें पूजा विधि-शुभ मुहुर्त


अंबाला: सनातन धर्म को सबसे पुराना धर्म कहा जाता है और सनातन धर्म में कई देवी-देवताओं की पूजा अर्चना की जाती हैं, जिनमें से भगवान शिव सबसे अधिक पूजे जाने वाले देव माने जाते हैं और इन्हें देवाधिदेव की उपाधि प्राप्त है. वहीं सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का खास महत्व माना गया है और यह दिन भगवान शिव को समर्पित है.

दरअसल, पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत होता है. इस दिन देवों के देव महादेव की पूजा करने का विधान है. इसके साथ प्रदोष व्रत, विधि विधान से करने पर भोलेनाथ की कृपा भक्तों पर बनी रहती है और अनेक प्रकार की बाधाओं, समस्याओं, अकाल मृत्यु का भय, डर, धन की कमी, ग्रहों का नकारात्मक प्रभाव आदि सभी से छुटकारा मिल जाता है.

वहीं जब इस बारे में Bharat.one की टीम ने अंबाला छावनी के ज्योतिषाचार्य पंडित दीपलाल जयपुरी से बातचीत की, तो उन्होंने बताया कि पौष माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 16 दिसंबर की रात 11:57 बजे शुरू होकर 18 दिसंबर को दोपहर 2:32 बजे समाप्त होगी. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार पौष प्रदोष व्रत 17 दिसंबर को रखा जाएगा और उस दिन ही प्रदोष व्रत रखकर भक्त भगवान शिव की पूजा अर्चना करेंगे.

क्या है शुभ मुहुर्त

उन्होंने बताया कि प्रदोष व्रत के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त 17 दिसंबर की शाम 5:38 बजे पर शुरू होगा और इसकी समाप्ति रात 8:18 बजे पर होगी. उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म में इस व्रत का बहुत ही महत्व है इसलिए इस दिन झूठ बोलने से बचें, काले कपड़े न पहनें. इसके साथ ही इस दिन मांस, मछली, अंडा, शराब का सेवन नहीं करना चाहिए और झूठ बोलने से बचना चाहिए, नहीं तो माना जाता है इससे पूजा पाठ का फल नहीं मिलता.

कैसे करें पूजा

पंडित दीपलाल ने बताया कि इस दिन गुस्सा करने से बचना चाहिए और किसी का अपमान नहीं करना चाहिए.
वही उन्होंने व्रत की पूजा विधि को बताते हुए कहा कि भक्तों को सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करना है और फिर स्वच्छ वस्त्र धारण करने होते हैं. इसके साथ आप अपने पूजा स्थल को साफ-सुथरा करके गंगाजल से शुद्ध करें, फिर एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर शिवलिंग को स्थापित करें.

क्या है पूजा विधि

उन्होंने कहा कि शिवलिंग 9 इंच तक की होनी चाहिए, क्योंकि घरों में वह ही शुभ मानी जाती है. इसके साथ ही शिवलिंग का गंगाजल से अभिषेक करें. उन्होंने बताया कि पूजा के लिए बेलपत्र, धतूरा, भांग, दूध, दही, शहद, घी, चंदन, अक्षत, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य आदि सामग्री की आवश्यकता होती है और शिवलिंग पर जल चढ़ाते हुए ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप भक्त जरूर करें.

शिवलिंग पर चढ़ाएं बेलपत्र

उन्होंने कहा कि शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा व भांग अर्पित करें और उसके बाद फूल, अक्षत, चंदन आदि से शिवलिंग को सजाएं. इन सभी विधि के बाद घी का दीपक जलाकर शिवलिंग के सामने रखें और आरती उतारकर भगवान शिव का आशीर्वाद लें. उन्होंने बताया कि भगवान शिव को मिठाई या फिर मीठी पंजीरी ओर फल का भोग लगाएं. इसके बाद प्रदोष व्रत का संकल्प लें और भगवान शिव से मनोकामनाएं मांगें.

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