Karni Mata Temple: भारत में जब भी अनोखे मंदिरों की बात आती है तो हर राज्य अपनी अलग पहचान और परंपराएं लेकर सामने आता है. यहां धर्म सिर्फ पूजा तक सीमित नहीं है, बल्कि आस्था, संस्कृति, कहानियां और अनगिनत मान्यताओं का संगम है. ऐसे ही मंदिरों में से एक ऐसा स्थान भी है, जहां इंसानों से पहले चूहों को प्रसाद चढ़ाया जाता है. इतना ही नहीं, अगर श्रद्धालु गलती से भी किसी चूहे के ऊपर पैर रख दे तो इसे बहुत बड़ा पाप माना जाता है. पहली बार सुनकर यह बात अजीब जरूर लग सकती है, लेकिन इसी अनोखेपन ने इस मंदिर को दुनियाभर में प्रसिद्ध कर दिया है. भारत के लोग अक्सर कहते हैं कि मंदिरों में सब एक समान होते हैं, लेकिन इस जगह पर आपको यह बात और भी गहराई से समझ आएगी कि आस्था कितनी अनोखी हो सकती है. राजस्थान का यह मंदिर आजकल सोशल मीडिया पर भी खूब ट्रेंड कर रहा है, जहां हजारों की संख्या में चूहे खुलेआम घूमते नजर आते हैं और लोग उन्हें बेहद श्रद्धा से मानते हैं.
करणी माता मंदिर: भारत का सबसे अनोखा और रहस्यमयी मंदिर
राजस्थान के बीकानेर जिले के देशनोक में स्थित करणी माता मंदिर हर साल लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है. यह मंदिर माता दुर्गा के स्वरूप माता करणी को समर्पित है. दूर-दूर से लोग यहां आते हैं और माता करणी के दर्शन करते हैं. लेकिन इस मंदिर की असली पहचान है यहां रहने वाले चूहे, जिन्हें स्थानीय भाषा में काबा कहा जाता है. कहा जाता है कि यहां करीब 25,000 से ज्यादा चूहे मौजूद हैं और ये चूहे मंदिर की पवित्रता का हिस्सा माने जाते हैं.
चूहों को मिलता है विशेष सम्मान
इस मंदिर में माता की पूजा के बाद सबसे पहले प्रसाद चूहों को खिलाया जाता है. यह मंदिर की सबसे अनोखी परंपराओं में से एक है. श्रद्धालुओं का मानना है कि चूहों को खिलाया गया प्रसाद बेहद पवित्र माना जाता है और बाद में वही प्रसाद भक्तों को दिया जाता है.
यहां एक खास नियम यह है कि अगर किसी व्यक्ति के पैर से गलती से भी किसी चूहे को चोट लग जाए या उसकी मृत्यु हो जाए, तो इसे बहुत बड़ा पाप माना जाता है. ऐसी स्थिति में उस भक्त को उसी चूहे जैसा चांदी का प्रतिरूप बनवाकर मंदिर में चढ़ाना पड़ता है.
क्यों रहते हैं यहां इतने चूहे? जानें धार्मिक मान्यता
मंदिर में इतने चूहों का रहस्य लोगों के लिए हमेशा उत्सुकता का विषय रहा है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, माता करणी का सौतेला बेटा लक्ष्मण एक दिन सरोवर से पानी पीने गया, जहां पानी में डूबकर उसकी मृत्यु हो गई. माता करणी अपने बेटे की मृत्यु से दुखी होकर यमराज से उसे पुनर्जन्म देने की प्रार्थना करने लगीं.

यमराज ने माता करणी की भक्ति और दुख को देखकर उनकी बात मान ली. लेकिन लक्ष्मण को इंसानी रूप में वापस करने के बजाय उन्होंने उसे चूहे के रूप में पुनर्जन्म दिया. इतना ही नहीं, यमराज ने माता करणी के सभी परिवारजनों को भी चूहों के रूप में जन्म लेने का आशीर्वाद दिया. इसी वजह से मंदिर में मौजूद चूहों को माता करणी का परिवार माना जाता है और उन्हें बड़ा सम्मान दिया जाता है.
सफेद चूहे को माना जाता है बहुत शुभ
इस मंदिर में हजारों काले चूहे तो दिखाई देते ही हैं, लेकिन अगर यहां किसी भक्त को सफेद चूहा दिख जाए तो इसे बहुत शुभ माना जाता है. स्थानीय लोग मानते हैं कि सफेद चूहा माता करणी का विशेष दूत होता है. ऐसा चूहा दिखने को लोग माता की कृपा का संकेत मानते हैं.
मंदिर में चूहों के लिए स्पेशल व्यवस्था
मंदिर में चूहों के लिए खास खाने-पीने की जगह बनाई गई है. रोजाना उनके लिए दूध, अनाज, मिठाई और प्रसाद रखा जाता है. चूहों को यहां किसी भी तरह की रोक-टोक नहीं है. वे इधर-उधर स्वतंत्र रूप से घूमते हैं और भक्त भी उन्हें बिना डर श्रद्धा से देखते हैं.

क्या चूहे इंसानों से डरते नहीं?
सबसे दिलचस्प बात यह है कि इस मंदिर के चूहे इंसानों से जरा भी नहीं डरते. वे आराम से भक्तों के पैरों के पास चल देते हैं और भक्त उन्हें प्यार से हटाते हैं. कोई उन्हें भगाता नहीं, क्योंकि यहां चूहों को परिवार का हिस्सा माना जाता है.
मंदिर की अनोखी परंपराएं क्यों दुनिया में मशहूर हैं?
कई विदेशी यात्री इस मंदिर को इसलिए देखने आते हैं क्योंकि दुनिया में ऐसे बहुत कम मंदिर हैं जहां जानवरों को इतने सम्मान और प्रेम के साथ पूजा जाता है. यहां की परंपराएं भारतीय संस्कृति की अनोखी पहचान हैं.
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