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क्या आप जानते हैं भगवान का भी होता है बजट सत्र? भगवान विष्णु के हाथों में होती है डोर, भूलकर भी न करें यह गलती


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Malmas 2025: मलमास को भगवान का बजट सत्र भी कहा जाता है. धार्मिक मान्यता है कि पूरे 30 दिन इंसान के कर्मों का लेखा-जोखा तैयार किया जाता है. पंडित हरिमोहन शास्त्री के अनुसार, इस दौरान किया गया दान, जप और पुण्य कर्म कई गुना फल देता है. मलमास उन लोगों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद माना जाता है, जो आर्थिक या व्यक्तिगत कठिनाइयों से जूझ रहे हैं. इस महीने में अपने विकारों का त्याग कर, जप, तप और सेवा करना चाहिए. प्रत्येक पुण्य कर्म भगवान के इस विशेष बजट सत्र में दर्ज होता है और भविष्य के जीवन के फल तय करता है.

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करौली. क्या आपने कभी भगवान के बजट सत्र के बारे में सुना है? एक ऐसा बजट सत्र, जो हर साल केवल एक महीने के लिए आता है और पूरे 30 दिन तक चलता है. इस अनोखे बजट सत्र में न फाइलें खुलती हैं और न ही भाषण होते हैं, बल्कि इंसान के कर्मों का लेखा-जोखा तैयार होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसे मलमास कहा जाता है. मान्यता है कि जिस तरह सरकारी बजट की डोर वित्त विभाग के हाथों में रहती है, उसी तरह भगवान के इस बजट सत्र की जिम्मेदारी भगवान विष्णु के हाथों में होती है. इसी दौरान पूरे संसार के जीवों के कर्मों का हिसाब लगाया जाता है और आने वाले समय के फल तय किए जाते हैं. यही कारण है कि इसे भगवान का विशेष बजट सत्र कहा जाता है.

करौली के आध्यात्मिक गुरु एवं पंडित हरिमोहन शास्त्री के अनुसार, शास्त्रों में मलमास को विशेष मास माना गया है. उनका कहना है कि इस दौरान भगवान विष्णु के दरबार में ठीक उसी तरह “वित्तीय व्यवस्था” चलती है, जैसे किसी सरकार में बजट के समय होती है. इस बजट सत्र में सभी देवी-देवता सहभागी माने जाते हैं और संपूर्ण जीव जगत के लिए कर्मों के खाते तय होते हैं. यही वजह है कि इस महीने में किए गए दान, जप और पुण्य कर्मों का फल कई गुना होकर मिलता है.

इंसान के कर्मों का होता है हिसाब

पंडित हरिमोहन शर्मा बताते हैं कि मलमास का महीना उन लोगों के लिए खास होता है, जिनका भाग्य साथ नहीं दे रहा या जो लंबे समय से आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं. धार्मिक मान्यता है कि इस महीने अगर कोई व्यक्ति प्रतिदिन मात्र ₹1 का दान श्रद्धा के साथ करता है, तो भगवान की बैंक में उसका खाता खुल जाता है. इससे जीवन में सकारात्मक बदलाव और शुभ फल मिलने लगते हैं  इस भगवान के बजट सत्र की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां धन से ज्यादा कर्मों का मूल्यांकन होता है.

पुण्य कर्म भगवान के बजट सत्र में दर्ज हो जाता है 

शास्त्री के अनुसार, दान देना और जरूरतमंद से दान स्वीकार करना दोनों ही इस महीने में पुण्यकारी माने गए हैं. जिस व्यक्ति के पास जिस चीज की अधिकता हो, उसे उसी का दान करना चाहिए. जैसे ज्ञान हो तो ज्ञान का दान, धन हो तो धन का दान, वस्त्र हों तो वस्त्रों का दान. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मलमास में व्यक्ति को अपने विकारों का त्याग करना चाहिए. निंदा, क्रोध और अहंकार से दूर रहकर अधिक से अधिक जप, तप और सेवा करनी चाहिए. माना जाता है कि इस दौरान किया गया हर छोटा-बड़ा पुण्य कर्म भगवान के बजट सत्र में दर्ज हो जाता है और आने वाले जीवन का लेखा तय करता है.

नोट: उपरोक्त सभी दावे आध्यात्मिक गुरु द्वारा धार्मिक मान्यताओं के आधार पर बताए गए हैं. Bharat.one इन दावों की पुष्टि नहीं करता है.

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दीप रंजन सिंह 2016 से मीडिया में जुड़े हुए हैं. हिंदुस्तान, दैनिक भास्कर, ईटीवी भारत और डेलीहंट में अपनी सेवाएं दे चुके हैं. 2022 से Bharat.one हिंदी में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. एजुकेशन, कृषि, राजनीति, खेल, लाइफस्ट…और पढ़ें

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भगवान का भी चलता है बजट सत्र, जानें कैसे दान, जप और पुण्य कर्म बदलते हैं जीवन

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

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