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Oman Travel: ओमान एक ऐसा देश है जहां ऊंची इमारतों की जगह जमीन से जुड़ी वास्तुकला, इतिहास और प्रकृति देखने को मिलती है. मस्कट की सुल्तान काबूस ग्रैंड मस्जिद में भारतीय कारीगरों की कला साफ झलकती है, जबकि जाबल अखदर के पहाड़ सर्दियों में सफेद चादर ओढ़ लेते हैं. पुराने पहाड़ी गांव, गुलाबों की खुशबू और शांत माहौल ओमान को एक यादगार और अलग तरह का ट्रैवल अनुभव बनाते हैं.

Oman Travel: जब खाड़ी देशों के ज्यादातर शहर ऊंची इमारतों और आसमान छूते टावरों की होड़ में लगे थे, तब ओमान ने एक बिल्कुल अलग रास्ता चुना. इस देश ने ऊपर की तरफ नहीं, बल्कि जमीन के साथ जुड़कर आगे बढ़ने का फैसला किया. यही वजह है कि ओमान की राजधानी मस्कट में आपको गगनचुंबी इमारतें नहीं दिखेंगी. यहां इमारतें सात या आठ मंजिल से ज्यादा ऊंची नहीं होतीं. ओमान में वास्तुकला का खेल ऊंचाई से नहीं, बल्कि फैलाव और संतुलन से होता है. यही बात इस देश को अपने पड़ोसियों से अलग और खास बनाती है. ओमान में घूमते हुए ऐसा लगता है जैसे यहां हर चीज जमीन की इज्जत करते हुए बनाई गई हो. यही सोच यहां के शहरों, मस्जिदों, पहाड़ों और गांवों में साफ झलकती है. (फोटो क्रेडिट सोशल मीडिया)

मस्कट पहुंचते ही जो जगह सबसे ज्यादा ध्यान खींचती है, वह है सुल्तान काबूस ग्रैंड मस्जिद. इस मस्जिद का नाम ओमान के पूर्व सुल्तान काबूस बिन सईद अल सईद के नाम पर रखा गया है. यह मस्जिद करीब 5476 वर्ग मीटर में फैली हुई है और आधुनिक इस्लामिक वास्तुकला का शानदार उदाहरण है. खास बात यह है कि यहां गैर मुस्लिम पर्यटकों को भी घूमने की इजाजत है, जिससे यह सिर्फ धार्मिक स्थल नहीं बल्कि एक बड़ा पर्यटन आकर्षण भी बन जाती है. (फोटो क्रेडिट सोशल मीडिया)

इस मस्जिद का भारत से गहरा रिश्ता है. इसके निर्माण में करीब तीन लाख टन भारतीय सैंडस्टोन का इस्तेमाल किया गया, जिसे भारत से आए लगभग 200 कारीगरों ने तराशा था. यह जानकर गर्व होता है कि भारतीय हुनर इस भव्य इमारत का हिस्सा है. मस्जिद का मुख्य प्रार्थना हॉल यानी मुसल्ला एक साथ 6500 नमाजियों को समा सकता है. अंदर कदम रखते ही सादगी और भव्यता का ऐसा मेल दिखता है जो मन को शांत कर देता है. (फोटो क्रेडिट सोशल मीडिया)
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मस्जिद के अंदर एक और अजूबा है, दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा झूमर. एक समय यह सबसे बड़ा था, लेकिन बाद में अबू धाबी की शेख जायेद मस्जिद ने रिकॉर्ड तोड़ दिया. फिर भी इसकी भव्यता कम नहीं हुई. करीब 8.5 टन वजनी यह झूमर क्रिस्टल से बना है. इसे साफ करने के लिए सफाईकर्मी को इसके अंदर चढ़कर ही काम करना पड़ता है. यह झूमर मस्कट की पहचान बन चुका है और हर आने वाला इसे देखकर दंग रह जाता है. (फोटो क्रेडिट सोशल मीडिया)

ओमान की आधुनिक पहचान सिर्फ मस्जिदों तक सीमित नहीं है. मस्कट से करीब डेढ़ घंटे की दूरी पर निजवा के पास बना ओमान अक्रॉस एजेस म्यूजियम भी कमाल का अनुभव देता है. इस म्यूजियम को ऑस्ट्रेलिया की कॉक्स आर्किटेक्चर ने डिजाइन किया है. इसकी बनावट अल हजर पहाड़ों से प्रेरित है. बाहर से देखने पर इसकी नुकीली और तीखी आकृतियां पहाड़ों से निकलती हुई लगती हैं. कांच और कंक्रीट से बनी यह संरचना देखते ही शानदार फील दे देती है. (फोटो क्रेडिट सोशल मीडिया)

यह म्यूजियम 2023 में पूरा हुआ और करीब 120000 वर्ग मीटर में फैला है. यहां 800 मिलियन साल के ओमानी इतिहास को इमर्सिव गैलरीज के जरिए दिखाया गया है. टेक्नोलॉजी और इतिहास का यह मेल बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी को पसंद आता है. यहां घूमते हुए ओमान की सभ्यता, समुद्री परंपरा और पहाड़ी जीवन सब कुछ एक साथ समझ में आने लगता है. (फोटो क्रेडिट सोशल मीडिया)

ओमान की असली खूबसूरती इमारतों से बाहर निकलते ही शुरू हो जाती है. मस्कट से करीब ढाई घंटे की ड्राइव आपको जाबल अखदर यानी ग्रीन माउंटेन तक ले जाती है. यह इलाका 3000 मीटर से ज्यादा ऊंचाई तक जाता है. ओमान की सबसे ऊंची चोटी जेबेल शम्स 3018 मीटर की ऊंचाई पर है. यहां का नजारा बिल्कुल अलग है. गहरी घाटियां, पत्थर के पहाड़, सीढ़ीदार बागान और साइक पठार इस इलाके को खास बनाते हैं. (फोटो क्रेडिट सोशल मीडिया)

जाबल अखदर तक पहुंचना आसान नहीं है. यहां सिर्फ फोर व्हील ड्राइव गाड़ियों की ही अनुमति है. तीखी चढ़ाई वाली सड़क पर लोकल ड्राइवर ही आसानी से गाड़ी चला पाते हैं. लेकिन जैसे ही आप ऊपर पहुंचते हैं, मेहनत वसूल हो जाती है. यहां का मौसम मस्कट से काफी ठंडा होता है. सर्दियों में तो कई बार बर्फ भी गिर जाती है. मस्कट की गर्मी यहां पहुंचते ही यादों में बदल जाती है. (फोटो क्रेडिट सोशल मीडिया)

जाबल अखदर की सबसे रोमांचक जगहों में से एक है अल सुवगरा गांव. यह करीब 500 साल पुराना चट्टान पर बसा गांव है. यहां आज भी ओमान की पुरानी जीवनशैली को संजोकर रखा गया है. इस गांव तक गाड़ी से नहीं पहुंचा जा सकता. रिसॉर्ट से आधे घंटे की ड्राइव के बाद एक छोटा सा गेट आता है, जहां गाड़ियां पार्क करनी पड़ती हैं. इसके बाद शुरू होता है असली एडवेंचर. पहले करीब 500 सीढ़ियां नीचे उतरनी पड़ती हैं. उतरना आसान लगता है, लेकिन असली चुनौती तब आती है जब सामने वाले पहाड़ पर चढ़ना शुरू करते हैं. रास्ते में पहाड़ी बकरियां और लोकल लोग बड़ी आसानी से आगे निकल जाते हैं, और आप हांफते हुए रुक रुक कर सांस लेते हैं. गाइड हौसला बढ़ाते रहते हैं कि बस थोड़ा सा और. (फोटो क्रेडिट सोशल मीडिया)

आखिरकार पत्थर की दीवार पर बना बड़ा सा चांद नजर आता है और समझ आता है कि मंजिल आ गई. अल सुवगरा में पहाड़ के अंदर बना रेस्टोरेंट है. यहां का खाना भी एक अनुभव है. खाने की ट्रे सामने वाले पहाड़ से जिपलाइन के जरिए आती है. मन में बस यही ख्याल आता है कि काश हम भी इसी जिपलाइन से यहां आ पाते. ऊपर बैठकर गहरी घाटी को देखते हुए ओमानी खाने का मजा लेना सच में यादगार पल बन जाता है. लेकिन फिर वापसी की चढ़ाई भी करनी होती है, जो इस सफर का आखिरी टेस्ट है. (फोटो क्रेडिट सोशल मीडिया)

जाबल अखदर अपने दमास्क गुलाबों के लिए भी मशहूर है. हर साल वसंत और शुरुआती गर्मियों में यहां गुलाबों की कटाई होती है. इन्हीं गुलाबों से दुनिया के सबसे महंगे इत्र बनाए जाते हैं. अमूआज जैसे लग्जरी परफ्यूम ब्रांड में इन गुलाबों का इस्तेमाल होता है. अगर आप शॉपिंग के शौकीन हैं, तो मस्कट और निजवा के सूक जरूर जाएं. यहां आपको ऊद, लकड़ी की खुशबू, मसाले और लोकल चीजें मिलेंगी. बाजारों की खुशबू और माहौल अपने आप में एक अलग दुनिया लगती है. (फोटो क्रेडिट सोशल मीडिया)

ओमान की खूबसूरती उसके रिकॉर्ड तोड़ टावरों में नहीं, बल्कि उसकी सादगी, इतिहास और प्रकृति में है. यह देश जमीन पर हल्के कदमों से चलता है और आने वाले हर इंसान को यही सिखाता है कि ऊपर देखने के साथ साथ नीचे की जमीन को भी महसूस करना जरूरी है. ओमान एक ऐसा अनुभव है जो शोर नहीं करता, लेकिन दिल में गहरी छाप छोड़ जाता है. (फोटो क्रेडिट सोशल मीडिया)
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