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मकर संक्रांति 2026 की सही तारीख को लेकर बने संशय पर देवघर के ज्योतिषी नंद किशोर मुद्गल ने शास्त्रोक्त जानकारी दी है. सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के साथ ही खरमास समाप्त होगा. स्नान-दान के इस महापर्व पर सूर्य उत्तरायण होते हैं, जिसका शास्त्रों में विशेष आध्यात्मिक और मोक्षदायी महत्व है.
देवघर: कुछ दिनों में अंग्रेजी नववर्ष की शुरुआत होने वाली है और अंग्रेजी नव वर्ष का पहला पर्व मकर संक्रांति के रूप में पूरे भारतवर्ष में मनाया जाता है. हर ग्रह की तरह सूर्य भी समय-समय पर अपना राशि परिवर्तन करते हैं. वही सूर्य जनवरी के महीने में धनु राशि से निकल कर मकर राशि में प्रवेश करते हैं, जिसे मकर संक्रांति कहा जाता है. इसके साथ ही खरमास की समाप्ति हो जाएगी. मकर संक्रांति के दिन स्नान–दान का बेहद खास महत्व होता है. शास्त्र के अनुसार मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य उत्तरायण में रहते हैं. माना जाता है कि इस दौरान जिस व्यक्ति की मृत्यु होती है, वह सीधा स्वर्ग लोक जाता है. हालांकि इस साल मकर संक्रांति की तिथि को लेकर थोड़ी असमंजस की स्थिति बनी हुई है. Bharat.one ने इसे लेकर देवघर के प्रसिद्ध ज्योतिषी नंद किशोर मुद्गल से खास बातचीत की है.
क्या कहते हैं देवघर के ज्योतिषाचार्य?
देवघर के पागल बाबा आश्रम स्थित मुद्गल ज्योतिष केंद्र के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंद किशोर मुद्गल ने बताया कि मकर संक्रांति का पर्व आप तौर पर 14 जनवरी को मनाया जाता है. लेकिन पिछले कई सालों से यह 15 जनवरी को भी मनाया जा रहा है. ऐसे में लोगों में अब भ्रम की स्थिति रहने लगी है कि इस बार पर्व 14 या 15 जनवरी कब मनाया जाए? उन्होंने स्पष्ट किया कि इस बार पर्व 14 जनवरी को मनाया जाएगा. पर मकर संक्रांति का स्नान-दान 15 जनवरी को होगा. इस वर्ष सूर्य 14 जनवरी को शाम 5 बजकर 16 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश करेगा. सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने को ही मकर संक्रांति कहा जाता है. इसी कारण पर्व का निर्धारण 14 जनवरी को ही होता है और इसी दिन मकर संक्रांति मनाई जाएगी.
15 जनवरी को स्नान दान का उत्तम दिन:
हालांकि, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार स्नान-दान पुण्यकाल में ही किया जाता है. चूंकि सूर्य का मकर राशि में प्रवेश शाम के समय हो रहा है, इसलिए उसी दिन पुण्यकाल उपलब्ध नहीं बनता. इसी वजह से स्नान-दान का शुभ समय 15 जनवरी को माना गया है. ज्योतिषाचार्य के अनुसार, 14 जनवरी तक पौष मास ही रहेगा, जबकि उदयातिथि के अनुसार 15 जनवरी से माघ मास की शुरुआत होगी. माघ मास को सनातन धर्म में अत्यंत पवित्र माना गया है. इस महीने में किया गया स्नान, दान, जप और पुण्य कर्म विशेष फल देने वाला होता है. इसी कारण धार्मिक दृष्टि से मकर संक्रांति का पर्व तो 14 जनवरी को मनाया जाएगा, लेकिन पवित्र नदियों में स्नान, दान-पुण्य, तिल-गुड़ का दान और अन्य धार्मिक कार्य 15 जनवरी को करना श्रेष्ठ रहेगा.
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मीडिया में 6 साल का अनुभव है. करियर की शुरुआत ETV Bharat (बिहार) से बतौर कंटेंट एडिटर की थी, जहां 3 साल तक काम किया. पिछले 3 सालों से Network 18 के साथ हूं. यहां बिहार और झारखंड से जुड़ी खबरें पब्लिश करता हूं.







