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दिल्ली में वायु प्रदूषण की वजह से बीमारियां बढ़ रही हैं और अस्पतालों में भी मरीजों की भीड़ बढ़ गई है. लेकिन हाल ही में एक आरटीआई में मिले जवाब में पता चला है कि दिल्ली के दो बड़े सरकारी अस्पतालों आरएमएल और लेडी हार्डिंग अस्पताल में डॉक्टरों की भारी कमी है. यहां स्वीकृत पदों का करीब 5 वां हिस्सा खाली है और इससे न केवल मरीजों की देखभाल बल्कि शिक्षण और शोध कार्य भी प्रभावित हो रहा है.
दिल्ली में एक ओर प्रदूषण स्तर बढ़ने से लोगों को न केवल रेस्पिरेटरी संबंधी बल्कि कई अन्य तरह की बीमारियां भी हो रही हैं. आंखों से लेकर स्किन में खुजली, खांसी, दमा, अर्थराइटिस, ब्रॉन्काइटिस के अलावा हार्ट डिजीज या स्ट्रोक जैसी परेशानियां भी देखने को मिल रही हैं. हालांकि जैसे-जैसे मरीजों की संख्या बढ़ रही है, अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी एक बड़ी समस्या बनकर सामने आ रही है.
दिल्ली के आरएमएल और लेडी हार्डिंग जैसे सरकारी अस्पतालों में भारी संख्या में मरीजों की भीड़ पहुंच रही है लेकिन डॉक्टरों और फैकल्टी स्टाफ की कमी के चलते न केवल मरीजों को देखने और इलाज करने में बल्कि शिक्षण कार्य में भी परेशानी हो रही है. हालांकि सबसे बड़ी बात है कि कुछ विभागों में स्वीकृत क्षमता से भी ज्यादा पदों पर डॉक्टर काम कर रहे हैं, जबकि कहीं-कहीं डॉक्टरों की भारी कमी है. इसका खुलासा आरटीआई में हुआ है.
टीओआई में छपी खबर के मुताबिक डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में स्वीकृत 283 फैकल्टी पदों में से 71 पद खाली हैं.जबकि लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज में 355 स्वीकृत पदों के मुकाबले 75 फैकल्टी सदस्यों की कमी है. आरएमएल अस्पताल में यह मुख्य रूप से उन क्लिनिकल विभागों में है जहां मरीजों का दबाव सबसे ज्यादा रहता है. यहां अकेले मेडिसिन विभाग में ही 27 पद खाली हैं, इसके बाद बाल रोग विभाग में पांच और एनेस्थीसिया विभाग में तीन पदों पर डॉक्टरों का इंतजार किया जा रहा है.
इस बारे में स्थानीय डॉक्टर ने बताया कि इन विभागों में कमी का असर ओपीडी से लेकर इमरजेंसी और आईपीडी सेवाओं तक पड़ता है. खासतौर पर बाल रोग विभाग में आने वाले मरीज बच्चों की संख्या काफी है. हालांकि सबसे विचित्र बात ये है कि आरएमएल में ही कुछ विभागों में स्वीकृत पदों से ज्यादा संख्या में डॉक्टर काम कर रहे हैं. यहां ऑर्थोपेडिक्स विभाग में दो स्वीकृत पदों के मुकाबले चार फैकल्टी सदस्य कार्यरत हैं. जबकि कम्युनिटी मेडिसिन विभाग में तीन स्वीकृत पदों के मुकाबले पांच फैकल्टी सदस्य हैं. पैथोलॉजी विभाग में चार स्वीकृत पदों के मुकाबले सात फैकल्टी सदस्य मौजूद हैं.
इस बारे में आरएमएल के एक अधिकारी ने बताया कि अस्पताल में खाली पदों पर रिक्तियों को भरने का काम केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का है. अस्पताल स्वयं ये भर्तियां नहीं कर सकता. खाली पदों को भरने के लिए मंत्रालय को अनुरोध पत्र भेजे गए हैं. उम्मीद है कि जल्द इस संबंध में कुछ कदम उठाए जाएंगे.
वहीं लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के एक अधिकारी ने बताया कि फैकल्टी सदस्यों की कमी के चलते मरीजों की देखभाल, शिक्षण कार्य और रिसर्च वर्क पर काफी असर पड़ता है. साथ ही जो लोग काम कर रहे हैं उन पर एक्स्ट्रा वर्क प्रेशर पड़ता है. इससे निपटने के लिए तत्काल कार्रवाई की जरूरत है.
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अमर उजाला एनसीआर में रिपोर्टिंग से करियर की शुरुआत करने वाली प्रिया गौतम ने हिंदुस्तान दिल्ली में संवाददाता का काम किया. इसके बाद Hindi.Bharat.one.com में वरिष्ठ संवाददाता के तौर पर काम कर रही हैं. हेल्थ एंड लाइफस्…और पढ़ें
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