Monday, December 8, 2025
21.8 C
Surat

अद्भुत है नैनीताल का नंदा देवी महोत्सव, यहां मां की मूर्तियों का केले के पेड़ से होता है निर्माण, जानें परंपरा


नैनीताल: उत्तराखंड के नैनीताल में 8 सितंबर से नंदा देवी महोत्सव की शुरुआत होने जा रही है. इस भव्य महोत्सव का आयोजन नैनीताल की सबसे पुरानी संस्था श्री राम सेवक सभा द्वारा विगत कई सालों से निरंतर किया जा रहा है. इस दौरान नैनीताल स्थित नयना देवी मंदिर में कुमाऊं की अधिष्ठात्री देवी मां नंदा सुनंदा की मूर्ति तैयार की जाती है.

प्राण प्रतिष्ठा के बाद दर्शन के लिए खोली जाती है मूर्ति
ऐसे में नंदाष्टमी के दिन मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा कर भक्तों के दर्शन के लिए खोली जाती है. क्या आपको पता है कि नंदा सुनंदा की मूर्तियों का निर्माण खास कदली के पेड़ से किया जाता है. जिसे महोत्सव के शुरुआत में ही नैनीताल के निकटवर्ती जगह से लाया जाता है. जहां पूरे शहर में शोभा यात्रा निकालकर अंत में नयना देवी मंदिर प्रांगण में भक्तों के दर्शन के लिए रखा जाता है.

उस शाम ही इस पेड़ से मां की सुंदर मूर्ति पारंपरिक लोक कलाकारों द्वारा तैयार की जाती है. मान्यताओं के अनुसार कदली यानी केले के पेड़ में मां नंदा सुनंदा का वास है. इसके साथ ही केले का पेड़ बेहद पवित्र होता है. यही वजह है की मूर्ति निर्माण में केले के पेड़ का प्रयोग किया जाता है.

मेला प्रवक्ता ने परंपरा को लेकर बताया
नैनीताल निवासी राम सेवक सभा के मेला प्रवक्ता प्रोफेसर ललित तिवारी ने Bharat.one से बताया कि नंदा देवी महोत्सव कुमाऊं की संस्कृति से जुड़ा हुआ है. जहां मां नंदा सुनंद कुमाऊं के चंद राजवंश से जुड़ी हुई हैं.

पुराणों में वर्णित कथाओं के अनुसार मां नंदा सुनंदा के पीछे जब भैसा पड़ गया था तो उनकी रक्षा केले के पेड़ ने की थी. तबसे ही केले का पेड़ मां नंदा सुनंद से जुड़ा हुआ है. केले का पेड़ बेहद शुद्ध होता है. जिस वजह से ही मां की मूर्तियों का निर्माण केले से किया जाता है. वहीं, तकनीकी आधार पर केले में नौ प्रकार की देवियों का स्वरूप भी माना जाता है.

इस तरह किया जाता है पेड़ का चयन
प्रोफेसर तिवारी बताते हैं कि नंदा देवी महोत्सव का आधार केला है. जिस गांव से केले का पेड़ लाया जाता है. वहां से केले के पेड़ के चयन की प्रक्रिया भी बेहद खास है. इसके लिए स्वच्छ पर्यावरण में केले के पेड़ का होना जरूरी है. साथ ही जिस पेड़ को लाया जाता है.

उसमें केले के फल नहीं लगे होने चाहिए और उसकी पत्तियां भी कटी फटी न हो. इसके बाद विधि विधान से कदली के वृक्ष का चयन किया जाता है. इस साल नैनीताल के निकटवर्ती थापला गांव के रोखड़ ग्रामसभा से केले का पेड़ लाया जाएगा.

इस दिन लाया जाता है केले का पेड़
मां नंदा देवी महोत्सव के उद्घाटन के दिन ही एक दल केले का पेड़ लेने जाता है. जबकि दूसरे दिन केले के पेड़ को नगर में लाया जाता है. पूरे शहर में केले के पेड़ की शोभा यात्रा निकाली जाती है. मान्यता है कि मां नंदा सुनंदा केले के रूप में आती हैं. जिसके बाद केले के पेड़ की प्राण प्रतिष्ठा कर इस दिन रात्रि से ही मूर्ति निर्माण की प्रक्रिया शुरू की जाती है. सुबह ब्रह्म मुहूर्त में मां नंदा सुनंदा की मूर्ति को दर्शन के लिए मंदिर प्रांगण में स्थापित किया जाता है.

Hot this week

मेरे गिरधर तू ही सहारा है… तनाव दूर कर देगा यह चेतावनी भजन, सुनकर मन भी हो जाएगा खुश

https://www.youtube.com/watch?v=uXDPCOlRChY इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता...

aaj ka Vrishchik rashifal 09 December 2025 Scorpio horoscope in hindi auspicious yoga for Vrishchik Rashi today

Last Updated:December 09, 2025, 00:07 ISTAaj ka Vrishchik...

Topics

Hariyali Paneer Tikka। हरियाली पनीर टिक्का रेसिपी

Hariyali Paneer Tikka : अगर घर में कोई...
spot_img

Related Articles

Popular Categories

spot_imgspot_img