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तारे के आकार में बना है रामलिंगेश्वर स्वामी मंदिर, अद्भुत है इसका इतिहास


संगारेड्डी जिले के सदाशिवपेट मंडल के नंदी कांडी गांव में स्थित पार्वती रामलिंगेश्वर स्वामी देवस्थानम तेलंगाना के सबसे प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिरों में से एक है. मान्यता है कि इस मंदिर में स्थापित रामलिंगेश्वर लिंग की स्थापना स्वयं भगवान राम ने की थी. बाद में, 11वीं शताब्दी में कल्याण चालुक्य राजाओं ने इस लिंग की प्रतिष्ठा को बढ़ाया और इसे एक तारे के आकार के मंदिर का रूप दिया, जिसमें 6 शिलालेख उत्कीर्ण किए गए हैं.

मंदिर की विशेषताएं और अद्वितीय शिलालेख
इस मंदिर के 6 शिलालेख बेहद अद्वितीय हैं, जिनमें 6 छेद बने हुए हैं. इन छिद्रों से सूर्य की किरणें सीधी रामलिंगेश्वर लिंग पर पड़ती हैं, जो इस मंदिर की एक और अद्भुत विशेषता है. इसके गर्भगृह का आकार तारे के समान है, जो चालुक्य काल की उत्कृष्ट मूर्तिकला शैली का प्रतीक है. यहां के गज स्तंभ (हाथी स्तंभ) चालुक्य वास्तुकला की उत्कृष्टता और शिल्प कौशल को दर्शाते हैं.

धार्मिक महत्व और पूजा अनुष्ठान
रामलिंगेश्वर स्वामी की विशेष पूजा का श्रावण, माघ और कार्तिक मास में विशेष महत्व है. इन महीनों के दौरान यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. खासकर श्रावण माह में प्रतिदिन सैकड़ों भक्त मंदिर में भगवान के दर्शन और पूजा करने के लिए आते हैं.

Bharat.one से पुजारियों की बातचीत
मंदिर के मुख्य पुजारियों ने Bharat.one को बताया कि रामलिंगेश्वर मंदिर की स्थापना भगवान राम द्वारा की गई थी और यह मंदिर 1100 ईस्वी से भक्तों की आस्था का केंद्र बना हुआ है. पुजारियों ने बताया कि इस पवित्र स्थल पर आसपास के इलाकों के साथ-साथ हैदराबाद और दूर-दराज से भी श्रद्धालु बड़ी संख्या में आते हैं, क्योंकि माना जाता है कि भगवान रामलिंगेश्वर उनकी मनोकामनाएं पूरी करते हैं.

नंदी कांडी गांव में राष्ट्रीय राजमार्ग बॉम्बे रोड के बगल में स्थित इस मंदिर का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व इसे एक प्रमुख आस्था स्थल बनाता है.

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