अयोध्या : हमारे जीवन में किसी भी कार्य को करने से पहले दो चीजों का आंकलने सबसे पहले किया जाता है. हम इसे शुभ और अशुभ संयोग के नाम से आदिकाल से सुनते चले आ रहे हैं. चाहे घर का कोई मांगलिक कार्य हो या कोई सामाजिक उत्सव, इस सबमें शुभ और अशुभ संयोग का एक कारक जरूर होता है. खास बात यह है कि इसे लेकर आम लोगों में कई कंफ्यूजन हैं कि इसका निर्धारण ग्रहों के चाल, कर्मों का योग और विधि का विधान होता है. ऐसे में Bharat.one की टीम ने एक्सपर्ट ने सिलसिलेवार ढंग से इसे समझाने का प्रयास किया है.
अयोध्या के ज्योतिषी पंडित कल्कि राम ने बताया कि ज्योतिष विद्या में शुभ और अशुभ का निर्धारण कई आधारों पर किया जाता है, जो सदियों से चली आ रही परंपराओं और अनुभवों पर आधारित है. ज्योतिष शास्त्र के एक्सपर्ट का मानना है कि ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति का हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है. भारतीय ज्योतिष, जिसे वैदिक ज्योतिष के नाम से भी जाना जाता है में विशेष रूप से ग्रहों की स्थिति और उनकी चाल का महत्वपूर्ण स्थान है.
ग्रहों की स्थिति और उनकी चाल
पंडित कल्कि राम ने बताया कि ज्योतिष में ग्रहों की स्थिति और उनकी चाल को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है. प्रत्येक ग्रह एक विशेष प्रकार की ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है, और उनकी स्थिति के आधार पर यह निर्धारित किया जाता है कि वह ऊर्जा व्यक्ति के लिए शुभ है या अशुभ. उदाहरण के लिए, अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि ग्रह कमजोर स्थिति में है, तो इसे अशुभ माना जाता है और इसके परिणामस्वरूप व्यक्ति को जीवन में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है.
राशि और भाव
पंडित कल्कि राम ने बताया कि कुंडली में 12 राशियां और 12 भाव होते हैं. प्रत्येक राशि और भाव का अपना विशेष महत्व है. ग्रहों की स्थिति को देखते हुए ज्योतिषी यह निर्धारित करते हैं कि कौन से भाव और राशियां व्यक्ति के लिए लाभकारी (शुभ) हैं और कौन से हानिकारक (अशुभ) हो सकते हैं.
दशा और महादशा
पंडित कल्कि राम ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र में दशा और महादशा का भी बहुत महत्व है. प्रत्येक ग्रह की दशा एक निश्चित अवधि के लिए होती है, जो व्यक्ति के जीवन पर सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है. ज्योतिषी ग्रहों की दशा का विश्लेषण करके यह निर्धारित करते हैं कि वर्तमान समय में कौन सा ग्रह व्यक्ति के जीवन पर हावी है और उसका प्रभाव शुभ है या अशुभ.
योग और दोष
पंडित कल्कि राम ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र में विभिन्न योग और दोष भी शुभ और अशुभ का निर्धारण करते हैं. उदाहरण के लिए, यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में ‘कालसर्प योग’ है, तो इसे अशुभ माना जाता है और इसके परिणामस्वरूप व्यक्ति को जीवन में विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
नक्षत्र और तारा
पंडित कल्कि राम ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र में नक्षत्रों का भी विशेष महत्व है.व्यक्ति का जन्म किस नक्षत्र में हुआ है, इसका भी जीवन पर प्रभाव पड़ता है. कुछ नक्षत्र शुभ माने जाते हैं, जबकि कुछ अशुभ.
5 कारकों से होता है शुभ और अशुभ का निर्धारण
ज्योतिष शास्त्र के जानकारों का यह मानना है कि इन सभी 5 कारकों का सम्यक अध्ययन करके ही वे शुभ और अशुभ का सटीक निर्धारण कर सकते हैं, ज्योतिष के ये सिद्धांत विज्ञान की तरह तर्कसंगत और व्यवस्थित हैं, जो व्यक्ति को जीवन में सही दिशा में आगे बढ़ने में मदद करते हैं.
FIRST PUBLISHED : July 9, 2024, 14:12 IST
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