Significance of Having Two Face Door : गांव हो या शहर, कुछ समय पहले आपने सुकून देने वाले उन घरों को जरूर देखा होगा, जिनमें मुख्य द्वार दो हिस्सों में बंटा होता था, जिसे कहा जा सकता है दो पल्लों वाला गेट. कई घरों में तो सभी दरवाजे और यहां तक की खिड़कियां भी दो भाग वाली होती थीं. वहीं अब नए घरों में सिंगल डोर का चलन है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि पहले ऐसा क्यों होता था? दो पल्ले वाला दरवाजा लगाने के पीछे क्या कुछ खास कारण था? क्या इससे कोई लाभ होता था या यह सिर्फ तकनीकी कारणों के चलते ऐसा होता था. ज्योतिष शास्त्र में इस बारे में जानकारी मिलती है. आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से.
पापी ग्रहों को रोका जा सकता है
पुराने घरों में दो पल्ले वाले दरवाजे होने का एक कारण तो इनकी जबरदस्त मजबूती होती थी. जो कि सुरक्षा के लिहाज से काफी सही थे. वहीं ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, दरवाजे के दोनों पल्ले पापी ग्रहों को रोकने के लिए बनाए जाते थे.
कौन हैं पापी ग्रह?
बता दें कि राहु और केतु को पापी ग्रह माना जाता है और उनके दुष्प्रभाव को रोकने में दो पल्ले वाले दरवाजे कारगर माने जाते थे.
शुभ ग्रहों का प्रभाव घर में सकारात्मकता लाता है और ऐसा माना जाता है कि यह किसी भी द्वार से आपके घर में आ सकते हैं. लेकिन बात करें राहु और केतु की तो पापी ग्रह होने के कारण इनका प्रवेश सिर्फ मुख्य द्वार से ही होता है. ऐसे में इनके अशुभ प्रभाव से बचने के लिए घर में दो पल्ले वाला दरवाजा लगवाया जाता था और इनके दोनों ओर शुभ और लाभ लिखा जाता था.
FIRST PUBLISHED : August 6, 2024, 15:31 IST
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