देवघर. देवघर के बाबा धाम 12 ज्योतिर्लिंग में एक है. इस ज्योतिर्लिंग को मनोकामना लिंग भी कहते है. माना जाता है की यहां पर पूजा कर मांगी गयी मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है. वही अभी सावन का महीना चल रहा है. इस महीने मे भगवान शिव की पूजा आराधना अवश्य करनी चाहिए. लेकिन भगवान शिव से पहले गण की भी पूजा आराधना करनी चाहिए. तभी पूजा सफल मानी जाती है. मान्यता है कि देवघर में भगवान भोलेनाथ के सभी गण किसी ना किसी रूप मे विचरते रहते हैं.
देवघर में मौजूद है साक्षात् भगवान शिव के गण
ज्योतिषाचार्य बताते है की जहां पर शिव रहते हैं, वहां उनके सबसे प्रिय गण नंदी जरूर विराजमान होते हैं. वहीं मंदिर सहित गलियों में आपको कई बैल घूमते नजर आ जायेंगे. जिससे देवघर मे नंदी की रूप में पूजा जाता है. देवघर आये कांवरिया भगवान शिव की पूजा आराधना करने के बाद बैल यानी नंदी की भी पूजा आराधना कर रहे है और कानो मे अपनी मनोकामना बोल रहे हैं.
आखिर क्यूं नंदी के कानों में बोली जाती है मनोकामना
देवघर के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नन्द किशोर मुदगल ने जानकारी देते हुए कहा की भगवान शिव के कई गण है. उनमे से सबसे ज्यादा प्रिय भगवान गणेश जिन्हें गणपति भी कहते है और नंदी जिसपर विराजमान होकर भगवान भोलेनाथ विचरण करते हैं. अगर भक्त चुपके से नंदी के कानों में अपनी मनोकामना बोल दें तो भक्त की मनोकामना अवश्य पूर्ण हो जायेगी. क्योंकि नंदी धर्म के अवतार मानें जाते है. भक्त की बात धर्म से होकर भगवान शिव तक पहुंचती है. दूसरा कारण है की नंदी भगवान शिव के इर्द गिर्द ही रहते है और हमेशा भगवान शिव नंदी पर सवार होकर घूमते है. भगवान शिव नंदी की बातों को कभी मना नहीं करते है. इसलिए भगवान शिव तक अपनी मनोकामना को पहुंचाने के लिए नंदी के कानों में बोली जाती है.
FIRST PUBLISHED : August 17, 2024, 21:17 IST
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