Somvati Amavasya 2024: इस बार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की सोमवती अमावस्या तिथि 2 सितंबर को सुबह 5:20 बजे से शुरू हो रही है. वैसे तो इसका समापन अगले दिन 3 सितंबर को सुबह 7:22 बजे होगा. मगर शिव योग सूर्योदय से लेकर शाम 6:20 बजे तक है. इस दिन किए गए पूजा-पाठ, दान-पुण्य, और आध्यात्मिक कार्यों का फल कई गुना बढ़ जाता है. शिव योग पूजा पाठ, योग, साधना आदि के लिए बहुत अच्छा माना जाता है. सेलिब्रिटी एस्ट्रोलॉजर प्रदुमन सूरी के अनुसार, सोमवती अमावस्या के दिन सुबह से लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं. जो नदी में स्नान नहीं कर पाते हैं, वे घर में पानी में गंगाजल मिलाकर नहाएं. मान्यता है कि सोमवती अमावस्या के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा से वैवाहिक जीवन के कष्ट दूर होते हैं. अगर व्यक्ति को पितृ दोष लगा है तो सोमवती अमावस का दिन बहुत महत्वपूर्ण होता है. इस दिन पुण्य कर्म करने से अपनी परेशानियों से मुक्ति पा सकते हैं. पितरों के निमित्त दान करने से जीवन में सुख और समृद्धि आती है.
सोमवती अमावस्या व्रत कथा के अनुसार, एक गरीब ब्राह्मण परिवार था, उस परिवार में पति-पत्नी एवं उसकी एक पुत्री थी. उसका विवाह नहीं हो पा रहा था. एक दिन उनके घर पहुंचे साधु ने कहा कि इस कन्या के हाथ में विवाह योग्य रेखा नहीं है. यदि यह सोना नाम की एक धोबिन महिला की सेवा करे और वह महिला इसकी शादी में अपने मांग का सिंदूर लगा दे तो विवाह का योग बन सकता है. कई दिनों के बाद धोबिन ने देखा कि एक कन्या मुंह ढके अंधेरे में घर में आती है और सारे काम करने के बाद चली जाती है. एक दिन सोना धोबिन ने उसे घर आने पर पकड़ लिया और पूछा आप कौन है और इस तरह छुपकर मेरे घhर की चाकरी क्यों करती हैं? तब कन्या ने साधु की कही गई सारी बात बताई. सोना धोबिन ने जैसे ही अपनी मांग का सिन्दूर निकालकर उस कन्या की मांग में लगाया, सोना धोबिन का पति मर गया. उसे इस बात का पता चल गया. वह घर से निराजल ही चली थी, यह सोचकर कि रास्ते में कहीं पीपल का पेड़ मिलेगा तो उसे भंवरी देकर और उसकी परिक्रमा करके ही जल ग्रहण करेगी. उस दिन सोमवती अमावस्या थी. ब्राह्मण के घर मिले पूए-पकवान की जगह उसने ईंट के टुकड़ों से 108 बार भंवरी देकर 108 बार पीपल के पेड़ की परिक्रमा की और उसके बाद जल ग्रहण किया. ऐसा करते ही उसका मृत पति जीवित हो उठा.
सोमवती अमावस्या के दिन कुछ उपाय कर सुख समृद्धि पा सकते हैं. इस दिन पीपल की पूजा अवश्य की जाती है. पीपल में पितर का स्थान होता है और इसमें सभी देवों का वास होता है. अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है.
– स्नान करने के बाद सूर्य को जल चढ़ाएं. पितरों से जाने-अनजाने हुई भूल की माफी मांगें.
– गाय को रोटी या हरा चारा खिलाएं, इससे पितृदोष से मुक्ति मिलती है और आने वाली समस्याएं दूर होती हैं.
– पीपल पर कच्चे दूध में जल मिलाकर चढ़ाएं.
– जल में तिल मिलाकर पितरों के नाम का दक्षिण दिशा में तर्पण करने से आर्थिक दशा सुधरती है.
FIRST PUBLISHED : September 2, 2024, 11:40 IST
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