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Premanand Ji Maharaj : प्रेमानंद जी महाराज ने भक्तों को यह सिखाया कि भक्ति का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है शुद्धता और समर्पण. यदि हम अपनी भक्ति को सच्चे मन से करें, तो हम किसी भी स्थिति में भगवान की सेवा कर सकते हैं…और पढ़ें

लहसुन प्याज खाने के वाले लड्डू गोपाल की सेवा कर सकते हैं?
हाइलाइट्स
- लहसुन-प्याज खाने से भक्ति में विघ्न हो सकता है.
- लड्डू गोपाल की सेवा शुद्ध और समर्पित भावना से करें.
- भक्ति को निजी और गोपनीय बनाए रखें.
Premanand Ji Maharaj : आज के समय में आध्यात्मिक और धार्मिक जीवन की ओर बढ़ते हुए लोग अपने जीवन से जुड़ी कई तरह की उलझनों का समाधान तलाशते हैं. ऐसी स्थिति में प्रेमानंद जी महाराज का मार्गदर्शन बहुत मददगार साबित हो सकता है. उनके उपदेशों में एक गहरी सादगी और जीवन के वास्तविक अर्थ की समझ होती है. हाल ही में एक भक्त ने प्रेमानंद जी महाराज से पूछा था कि क्या लहसुन और प्याज का सेवन करने वाले लोग भगवान श्री कृष्ण के प्रिय रूप, लड्डू गोपाल की सेवा कर सकते हैं? इस सवाल के माध्यम से भक्त ने अपनी आध्यात्मिक शुद्धता को लेकर चिंताएं व्यक्त की थीं. आइए जानते हैं प्रेमानंद जी महाराज के विचारों को.
प्रेमानंद जी महाराज ने इस सवाल का उत्तर देते हुए कहा कि लहसुन और प्याज का सेवन करना धार्मिक दृष्टिकोण से एक चुनौती हो सकता है, खासकर जब हम पूजा-पाठ या भजन की बात करते हैं. उनका मानना था कि लहसुन और प्याज तमोगुणी होते हैं और इनका प्रभाव मानसिक शांति में बाधा डाल सकता है. हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि लहसुन और प्याज खाना पाप नहीं है, लेकिन यह भक्ति और पूजा में विघ्न डाल सकते हैं. इसलिए, लड्डू गोपाल के भोग में इनका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. उनका सुझाव था कि भगवान की सेवा और भोग हमेशा शुद्ध होना चाहिए, जिससे हमारी भक्ति में कोई विघ्न न आए.
इसके बाद, प्रेमानंद जी महाराज ने लड्डू गोपाल की सेवा के बारे में भी कुछ महत्वपूर्ण बातें साझा कीं. उन्होंने कहा कि भगवान की सेवा का तरीका बहुत खास होना चाहिए. लड्डू गोपाल की पूजा या सेवा हमेशा एक शांत और समर्पित भावना से करनी चाहिए. हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि लड्डू गोपाल स्वयं पूरे ब्रह्मांड के स्वामी हैं और उनकी सेवा बच्चों की तरह मासूमियत और प्रेम से होनी चाहिए. उनके अनुसार, यह जरूरी है कि हम अपने भक्ति कामों को निजी और गोपनीय बनाए रखें, ताकि अहंकार या दिखावा न उत्पन्न हो.
प्रेमानंद जी महाराज ने यह भी बताया कि भगवान के स्नान, श्रृंगार और भोग को सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित नहीं करना चाहिए. यह सब कुछ निजी और छिपे रूप में ही करना चाहिए. क्योंकि भक्ति का असली रूप वह है जो निस्वार्थ और शांति से भरा हो, न कि दिखावे के रूप में. वे यह भी कहते थे कि अगर भक्ति में अहंकार आ जाए, तो वह भक्ति के वास्तविक रूप को नष्ट कर देता है.
March 08, 2025, 04:45 IST
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https://hindi.news18.com/news/dharm/what-premanand-ji-maharaj-explained-can-those-who-eat-garlic-onion-serve-laddu-gopal-9084807.html