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इस मंदिर में आज भी धड़कता है श्रीकृष्ण का दिल! चमत्कारी शक्तियों का माना जाता भंडार, जानें हैरान करने वाले रहस्य



Jagannath Temple Interesting Facts: हमारा देश भारत दैवीय और चमत्कारी रहस्यों से भरा पड़ा है. यहां तमाम ऐसे तीर्थस्थल और मंदिर हैं जिनके रहस्य सुनकर आप चौंक जाएंगे. ओडिशा के पुरी में स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर इनमें से एक है. यहां का इतिहास भगवान श्रीकृष्ण से संबंध रखता है. मान्यता है कि इस पावन पवित्र मंदिर में मौजूद मूर्तियों में आज भी भगवान श्रीकृष्ण का दिल धड़कता है. कहा जाता है कि इस मंदिर की बनावट ऐसी है कि इसकी परछाई भी नहीं बनती है. यही नहीं, मंदिर के गुंबद के पास कोई पक्षी भी नहीं उड़ पाता है. यही वजह है कि जगन्नाथ पुरी मंदिर देश-विदेशों से भक्त दर्शन करने पहुंचते हैं. अब सवाल है कि आखिर जगन्नाथ मंदिर में धड़कते श्रीकृष्ण के दिल का रहस्य क्या है? इस बारे में Bharat.one को बता रहे हैं प्रतापबिहार गाजियाबाद के ज्योतिषाचार्य राकेश चतुर्वेदी-

कौन हैं भगवान जगन्नाथ?

ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि, शास्त्रों में भगवान श्रीकृष्ण के ही जगन्नाथ होने के प्रमाण मिलते हैं. मत्स्य पुराण में उल्लेख है कि जगन्नाथ मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण अपने भाई-बहन के साथ विराजमान हैं. सभी मंदिरों में भगवान की मूर्तियां अष्टधातु या अन्य किसी धातु या पत्थर की बनी होती है लेकिन जगन्नाथ मंदिर में नीम की लकड़ियों से मूर्तियां बनी हैं. माना जाता है कि मालवा के राजा इंद्रद्युम्न को सपने में श्रीकृष्ण ने नीम के पेड़ के लट्ठे से अपनी और अपने भाई-बहन बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियां बनाने का आदेश दिया था, तब राजा इंद्रद्युम्न ने ये मंदिर बनवाया था.

जगन्नाथ मंदिर में धड़कता है भगवान का दिल

मान्यता के अनुसार, जगन्नाथ मंदिर के गर्भगृह में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियां हैं, जो हर 12 वर्षों में बदली जाती हैं. जब मंदिर की मूर्तियों को बदला जाता है, तब मूर्तियों में से ब्रह्म पदार्थ को निकालकर नई मूर्तियों में लगाया जाता है. ब्रह्म पदार्थ को श्रीकृष्ण का हृदय माना जाता है. जगन्नाथ मंदिर के पुजारियों का कहना है कि जब वे भगवान का दिल नई मूर्तियों में रखते हैं, तब उन्हें अपने हाथों में कुछ उछलता हुआ महसूस होता है. मंदिर के पुजारियों का मानना है कि यह ब्रह्म पदार्थ है, जो अष्टधातु से बना है. लेकिन यह ब्रह्म पदार्थ जीवित अवस्था में है. इस ब्रह्म पदार्थ को देखने वाला अंधा हो सकता है या उसकी मृत्यु हो सकती है. इसलिए, ब्रह्म पदार्थ को बदलते वक्त पुजारियों की आंखों पर रेशमी पट्टियां बांध दी जाती है.

जगन्नाथ मंदिर की परछाई क्यों नहीं बनती?

जगन्नाथ मंदिर का स्थान और डिज़ाइन इस तरह से बनाया गया है कि इसका सूर्य से सीधा संपर्क होता है. यानी मंदिर इस तरह से स्थित है कि सूर्य की किरणें बिना छाया डाले सीधे मंदिर पर जाकर पड़ती हैं. इससे सूर्य की किरणें मदिर से टकराकर मंदिर पर ही परछाई बनाती हैं. मंदिर के ढांचें पर ही परछाई बनने के कारण वह जमीन तक नहीं पहुंचती और न ही नजर आती है. हालांकि, मंदिर की परछाई से जुड़ी सटीक जानकारी वैज्ञान के पास नहीं है.

भगवान जगन्नाथ की आंखें बड़ी क्यों हैं?

उनकी आंखों से जुड़ी कुछ पौराणिक कथाएं हैं. एक अन्य कथा के अनुसार, जब भगवान जगन्नाथ इंद्रद्युम्न नामक राजा के राज्य में गए थे, तो वहां के लोग उनकी भव्यता देखकर दंग रह गए थे. उनकी आंखें आश्चर्य से बड़ी हो गयीं. भगवान जगन्नाथ ने उनकी भक्ति को स्वीकार करते हुए अपनी आंखें भी बड़ी कर ली थीं.

जगन्नाथ पुरी जाने का परफेक्ट समय?

पुरी में यूं तो जगन्नाथ यात्रा निकलने का समय जून माह में होता है, परंतु तब यहां पर बहुत भीड़ होती है. यदि आप पुरी क्षेत्र में घूमना चाहते हैं तो यहां पर अक्टूबर से मार्च के बीच का समय सबसे अच्छा होता है.


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https://hindi.news18.com/news/dharm/puri-jagannath-temple-odisha-lord-krishna-heart-still-beats-in-idol-know-more-interesting-facts-in-hindi-8883068.html

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