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क्या आपने कभी सोचा है कि किसी को लांघना सिर्फ असभ्यता नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति और परंपरा से जुड़ा नियम भी हो सकता है? पीढ़ियों से चली आ रही यह आदत न सिर्फ सम्मान सिखाती है, बल्कि घर में शांति और संस्कार बनाए रखने में भी मदद करती है. आइए जानते है इसके बारे में…

लेटे हुए इंसान को लांघना अपमानजनक माना जाता है. यह बड़ों और परिवार के लोगों के प्रति असम्मान दिखाता है. हमारी परंपरा सिखाती है कि बड़े-बुजुर्गों का आदर करना चाहिए और उनके सामने शालीनता से व्यवहार करना जरूरी है.

हिंदू संस्कृति में पैरों को शरीर का सबसे अपवित्र हिस्सा माना गया है. ऐसे में अगर कोई लेटा हो और उसके ऊपर से पैर ले जाएं, तो इसे अपशकुन और अशुद्ध समझा जाता है. इसलिए लोग इसे शुभ नहीं मानते.

एक मान्यता यह भी है कि जब हम किसी लेटे हुए इंसान को लांघते हैं, तो उसकी शारीरिक ऊर्जा में रुकावट आती है. यह उसकी सेहत और मानसिक शांति पर असर डाल सकती है. इसी वजह से इसे टालने की सीख दी जाती है.

पुराने लोग कहा करते थे कि अगर बच्चे किसी को लांघेंगे तो उनकी लंबाई रुक जाएगी. भले ही इसका वैज्ञानिक आधार न हो, लेकिन इसे बच्चों को टोकने और अनुशासन सिखाने का एक सरल तरीका माना जाता था.

पहले लोग ज़मीन पर सोते या बैठते थे. ऐसे में किसी को लांघने से उसके ऊपर पैर पड़ सकता था या चोट लग सकती थी. इस नियम से घर में सभी एक-दूसरे की सुरक्षा और आराम का ध्यान रखते थे.

किसी को लांघना असभ्य समझा जाता है. जब लोग इस आदत से बचते हैं, तो घर में शांति और संस्कार का माहौल बनता है. यह बच्चों को भी सिखाता है कि दूसरों की जगह का सम्मान करना और विनम्र रहना ज़रूरी है.

यह परंपरा पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली आ रही है. पहले एक ही कमरे में पूरा परिवार सोता था, तब यह नियम व्यावहारिक और ज़रूरी था. आज भी यह हमें अपनी जड़ों से जोड़े रखता है और परिवार में आपसी सम्मान बनाए रखता है.
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