Diwali 2024 : हिन्दू धर्म के सबसे बड़े त्योहारों में से एक दिवाली का पर्व कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है. इस दौरान लक्ष्मी-गणेश पूजा की जाती है और इसके लिए नई प्रतिमा को घर में लाया जाता है, लेकिन कुछ लोग पुरानी प्रतिमा या फिर एक साल पहले की प्रतीमा को ही पूजा में दोबारा उपयोग कर लेते हैं. इसे कुछ लोग ठीक मानते हैं और कुछ सही नहीं मानते. इस बारे में भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा का क्या कहते हैं? आइए जानते हैं.
क्या पुरानी प्रतिमा की फिर से स्थापना उचित है?
पंडित जी कहते हैं कि शास्त्रों में दिवाली के दिन धन की देवी मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की स्थापना करने के बारे में उल्लेख मिलता है. चूंकि स्थापना नई प्रतिमा की ही होती है, इसलिए पुरानी प्रतिमा इस दिन स्थापित नहीं की जाना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से आपको दोष लग सकता है और आपको पूजा का संपूर्ण फल भी नहीं मिलता. इसलिए आप दिवाली पर नई प्रतिमा की ही स्थापना करें.
इस स्थिति में कर सकते हैं पुरानी प्रतिमा की पूजा
यदि माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा मिट्टी की नहीं हैं बल्कि पीतल, सोना या फिर चांदी की है या अष्टधातु की बनी हैं तो आप इन्हें फिर से पूजा में बैठा सकते हैं. हालांकि ध्यान रहे कि इन्हें आपको पूजा से पहले गंगाजल से शुद्ध करना होगा.
इस स्थिति में ना करें अष्टधातु की प्रतिमा की पूजा
यदि आपके घर में लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा पीतल, सोना या फिर चांदी की है या अष्टधातु की बनी है लेकिन वह किसी तरह से खंडित हो गई है या फिर काली पड़ गई है तो ऐसी स्थिति में आप भूल से भी इन प्रतिमा को पूजा में शामिल ना करें.
लक्ष्मी-गणेश की स्थापना से पहले इन बातों का ध्यान रखें
दिवाली के दिन जब आप पूजा के लिए चौकी पर लक्ष्मी-गणेश की नई प्रतिमा की स्थापना करें तो ध्यान रखें कि स्थापित करने से पहले लाल रंग का कपड़ा अवश्य बिछा लें. कभी भी प्रतिमा को बिना कपड़ा बिछाए स्थापित नहीं करना चाहिए.
FIRST PUBLISHED : October 22, 2024, 16:17 IST
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