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जब सब भगवान की इच्छा है तो, क्यों भुगतना पड़ता है फल? महिला के सवाल पर प्रेमानंद जी महाराज ने दिया सहज जवाब


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Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद जी महाराज को हर वर्ग के लोग सुनते हैं और उनके बताए मार्ग पर चलते हैं. प्रेमानंद महाराज के सत्संग में बहुत से लोग अपने मन में उठ रहे सवाल का जवाब मांगते हैं और महाराज भी बड़ी ही स…और पढ़ें

सब भगवान की इच्छा है तो, क्यों भुगतना पड़ता है फल? जानें प्रेमानंद महाराज से

प्रेमानंद जी महाराज का मार्गदर्शन

हाइलाइट्स

  • प्रेमानंद जी महाराज ने कर्मों के फल को खुद की जिम्मेदारी बताया.
  • भगवान की इच्छा से घटनाएं घटती हैं, पर जिम्मेदारी हमारी होती है.
  • अच्छे कर्म का अच्छा और बुरे कर्म का बुरा फल मिलता है.

9Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद जी महाराज का नाम आज किसी परिचय का मोहताज नहीं है. उनकी शिक्षाएं और उपदेश आज लाखों लोगों के जीवन में बदलाव ला रहे हैं. उनके दर्शन के लिए श्रद्धालु सच्ची श्रद्धा से जाते हैं और अपने जीवन की उलझनों का समाधान पाते हैं. उनके सत्संग में न केवल आध्यात्मिक दिशा मिलती है, बल्कि जीवन के जटिल सवालों के भी उत्तर मिलते हैं. प्रेमानंद जी महाराज ने हमेशा अपने उपदेशों में सरलता और समझदारी को प्राथमिकता दी है.

हाल ही में एक महिला श्रद्धालु ने प्रेमानंद जी महाराज से एक सवाल पूछा, जो बहुत से लोगों के मन में अक्सर उठता है. उसने पूछा, “अगर सब कुछ भगवान की इच्छा से ही होता है, तो फिर हमें उसके फल क्यों भोगने पड़ते हैं?” इस सवाल ने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया. प्रेमानंद जी महाराज ने इसका जवाब बड़े सरल और स्पष्ट शब्दों में दिया, जो हर किसी के लिए एक गहरी सीख बन गया.

प्रेमानंद जी महाराज ने कहा, “आपके द्वारा किए गए कर्मों के फल का जिम्मेदार आप खुद हैं, भगवान नहीं.” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जब तक इंसान अपने मन और अहंकार को भगवान के प्रति समर्पित नहीं करता, तब तक वह सही मार्ग पर नहीं चल सकता. उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि भगवान की इच्छा से सिर्फ हमारे जीवन में घटनाएं घटती हैं, लेकिन उन घटनाओं को समझने और उनका सही दिशा में उपयोग करने की जिम्मेदारी हमारी होती है. अगर हम अपनी इच्छाओं और स्वार्थों के अनुसार कोई निर्णय लेते हैं, तो उसके फल का जिम्मेदार केवल हम ही होंगे, न कि भगवान.

प्रेमानंद जी महाराज ने आगे कहा कि अगर हम जीवन में अच्छे कर्म करेंगे, तो अच्छा फल मिलेगा और बुरे कर्म करेंगे, तो बुरा फल. उन्होंने यह भी कहा कि जब तक हम अपने मन को नहीं मारते, तब तक हम भगवान की वास्तविक कृपा को नहीं पा सकते.

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सब भगवान की इच्छा है तो, क्यों भुगतना पड़ता है फल? जानें प्रेमानंद महाराज से


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