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बदल जाएगी जिंदगी…शनिदोष को शांत करने के लिए धारण करें ये रुद्राक्ष, तुरंत दिखेगा असर-Wearing 12 Mukhi Rudraksha gives relief from Shani Dosh

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ऋषिकेश: सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित है, और इस दौरान रुद्राक्ष का विशेष महत्व होता है. रुद्राक्ष भगवान शिव के आँसू से उत्पन्न हुआ माना जाता है और इसे धारण करने से सकारात्मक ऊर्जा, मानसिक शांति, और स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होते हैं. रुद्राक्ष के कई प्रकार होते हैं, जैसे एकमुखी, द्विमुखी, त्रिमुखी आदि, जिनमें प्रत्येक का अलग-अलग महत्व है. पंचमुखी रुद्राक्ष ध्यान और मानसिक शांति के लिए महत्वपूर्ण है, जबकि सप्तमुखी रुद्राक्ष शारीरिक और मानसिक बीमारियों से राहत दिलाता है. वहीं हम आपको एक ऐसे रुद्राक्ष के बारे में बताने जा रहे हैं जो शनि ग्रह और शनि संबंधित समस्याओं से निजात दिला सकती है.

Bharat.one के साथ बातचीत के दौरान उत्तराखंड में स्थित ऋषिकेश के स्थानीय निवासी और ज्योतिषी अजय कोठारी ने बताया कि 12 मुखी रुद्राक्ष पहनने से शनि संबंधित सभी परेशानियों से निजात मिलता है. यह रुद्राक्ष आत्मविश्वास और शक्ति बढ़ाने में मदद करता है. इसे पहनने वाले व्यक्ति को यश, कीर्ति और सम्मान मिलता है. 12 मुखी रुद्राक्ष मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है. इसे सही विधि से धारण करने पर व्यक्ति को जीवन में सफलता, समृद्धि और उन्नति मिलती है.

शनि दोष से मुक्ति के लिए 12 मुखी रुद्राक्ष
अजय कोठारी ने बताया कि बारह मुखी रुद्राक्ष शनि ग्रह के प्रभाव को कम करने और व्यक्तित्व विकास के लिए अत्यंत प्रभावी माना जाता है. यह रुद्राक्ष भगवान सूर्य का प्रतिनिधित्व करता है और इसे धारण करने से आत्मविश्वास, नेतृत्व क्षमता और मानसिक शांति में वृद्धि होती है. बारह मुखी रुद्राक्ष न केवल शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार लाता है, बल्कि मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी व्यक्ति को सशक्त बनाता है. इसके नियमित धारण से व्यक्ति में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और शनि से संबंधित दोषों में कमी आती है, जिससे जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है.

12 मुखी रुद्राक्ष पहनने की विधि
12 मुखी रुद्राक्ष को रविवार या सोमवार के दिन सूर्योदय से पहले धारण करना श्रेष्ठ माना जाता है. रुद्राक्ष पहनने से पहले इसे पंचामृत में भीगा दे. जिसके बाद पूजन स्थल पर गंगा जल, चंदन, धूप, दीप, और फूल अर्पित करें. रुद्राक्ष को सोने, चांदी, या तांबे की धागे में पिरोकर पहनें. इसे गले या दाहिनी भुजा में धारण करें.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.


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