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महालक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए यहां बनाया जाता है उल्टा स्वास्तिक, 6 भुजा और 1000 साल पुरानी मां की प्रतिमा


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Mahalakshmi Temple In Khargone: दिवाली पर महालक्ष्मी का पूजन किया जाता है और सभी को दिवाली की शुभकामनाएं भी देते हैं. दिवाली के मौके पर बहुत से लोग मंदिर जाते हैं और पूजा अर्चना करते हैं. आज दिवाली पर हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां महालक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए उल्टा स्वास्तिक बनाया जाता है. आइए जानते हैं इस मंदिर के बारे में…

महालक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए यहां बनाया जाता है उल्टा स्वास्तिक

Mahalakshmi Temple In Oon: दीपावली महापर्व की शुरुआत हो चुकी है और हिंदू धर्म में इस पर्व का विशेष महत्व है. वैसे तो भारत मंदिरों का देश है, जहां शक्तिपीठ और सिद्धपीठ मंदिर की मान्यता सबसे ज्यादा है. देश के अलग-अलग राज्यों में कई शक्तिपीठ और सिद्धपीठ मंदिर हैं, जहां भक्त अपनी मुरादों के साथ भगवान के दर्शन करने के लिए जाते हैं. वहीं मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में महालक्ष्मी का प्राचीन मंदिर है, जहां उल्टा स्वास्तिक बनाने से महालक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और भक्तों की मुराद को पूरा करती हैं. जी हां, आपने बिल्कुल सही पढ़ा. आइए जानते हैं महालक्ष्मी के इस प्रसिद्ध मंदिर के बारे में…

मनोकामना पूरी होने के लिए बनाते हैं उल्टा स्वास्तिक
मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में ऊन महालक्ष्मी मंदिर जितना पुराना है, उतना ही मान्यताओं के लिए जाना जाता है. दिवाली के मौके पर मंदिर में श्रद्धालु खास परंपरा का निर्वाह करते हैं जिसमें अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए भक्त मंदिर की दीवार पर उल्टा स्वास्तिक बनाते हैं, और जैसे ही उनकी मनोकामना पूरी होती है, वो फिर से मंदिर में आकर स्वास्तिक सीधा बनाते हैं.

ऐसी है माता की प्रतिमा
मंदिर में स्थापित महालक्ष्मी की प्रतिमा भी काफी मनमोहक है. कहा जाता है कि यहां मां तीन अलग-अलग रूपों में भक्तों को दर्शन देती हैं. महालक्ष्मी सुबह बच्चे के रूप में, दोपहर में एक युवा के रूप में और रात को एक वृद्ध महिला के रूप में दिखती हैं. इसके अलावा, मां की प्रतिमा में छह हाथ हैं, जिनमें अस्त्र-शस्त्र मौजूद हैं, और मां कमल के फूल पर विराजमान हैं. बताया जाता है कि ऊन महालक्ष्मी मंदिर का निर्माण परमार राजाओं के काल में हुआ था. उस काल में खरगोस और उसके आस-पास कई मंदिरों का निर्माण किया गया था. बाकी सभी मंदिरों की हालत जर्जर है, लेकिन मां लक्ष्मी का मंदिर आज भी ठीक-ठाक हालात में है.

1000 साल पुरानी है प्रतिमा
मंदिर की प्रतिमा 1000 साल पुरानी है, जिसे पत्थर से बनाया गया था. भक्तों के बीच ऊन महालक्ष्मी का मंदिर काफी लोकप्रिय है. भक्तों की मान्यता है कि यहां जो भी भक्त सच्चे मन से मां की आराधना कर मुराद मांगता है, तो वह जरूर पूरी होती है. यहां मां को धन, सुख, यश और वैभव की देवी के रूप में पूजा जाता है. दिवाली पर मंदिर में विशेष पूजा का आयोजन होता है और धन की देवी मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए विशेष हवन रखा जाता है. भक्तों के लिए मंदिर के द्वार सुबह ब्रह्म मुहूर्त में खोल दिए जाते हैं और दिवाली के दिन हजारों की संख्या में भक्त मां के दर्शन के लिए आते हैं.

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Parag Sharma

मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प…और पढ़ें

मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प… और पढ़ें

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https://hindi.news18.com/news/dharm/diwali-festival-start-at-devi-shree-mahalaxmi-mandir-oon-know-temple-history-ws-kln-9754209.html

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