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Pateshwar Mahadev Temple: वैसे तो देवों के देव महादेव के कई मंदिरों के दर्शन किए होंगे लेकिन महाराष्ट्र के सातार में बने इस अनोखे शिव मंदिर की कहानी सबसे अलग है. बताया जाता है कि यह मंदिर 5000 साल पुराना है और यहां भगवान के 1,000 शिवलिंग भी मौजूद है. आइए जानते हैं भगवान शिव के मंदिर के बारे में…
देश भर में भगवान शिव के अनगिनत मंदिर हैं, जहां अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है. सतारा के जंगलों में भी भगवान शिव का चमत्कारी मंदिर है, जहां विराजमान शिवलिंग का आकार पिंडी जैसा है. इतना ही नहीं, वहां मौजूद हर शिवलिंग का अनोखा आकार है, जो उसे बाकी शिव मंदिरों से अलग बनाता है. भगवान शिव का यह खास मंदिर महाराष्ट्र के सतारा में बना है, जहां बहुत कम लोग ही दर्शन के लिए जाते हैं. बताया जाता है कि भगवान शिव का यह चमत्कारी मंदिर 5000 साल पुराना मंदिर है और इस मंदिर में दर्शन करने मात्र से सभी समस्याएं दूर होती है और परिवार में भी सुख-शांति बनी रहती है. आइए जानते हैं भगवान शिव के इस अनोखे मंदिर के बारे में…
महाराष्ट्र के सतारा जिले में जंगलों के बीच भगवान शिव पाटेश्वर महादेव के रूप में विराजमान हैं. मंदिर 5,000 साल पुराना बताया जाता है. यहां भगवान पिंडनुमा शिवलिंग के रूप में पूजे जाते हैं. पाटेश्वर मंदिर हजारों शिवलिंगों के लिए प्रसिद्ध है. यह मंदिर अर्ध-घने जंगल से घिरी एक ऊंची पहाड़ी पर बना है. मंदिर के अलावा, इस पहाड़ी की गोद में दुर्लभ जड़ी-बूटियां भी मिल जाएंगी.

पाटेश्वर मंदिर में 8 गुफाएं
पाटेश्वर मंदिर की खास बात यह है कि यहां 8 गुफाएं हैं. माना जाता है कि इन गुफाओं का निर्माण भगवान शिव ने ध्यान लगाने के लिए किया था. गुफाओं पर भगवान शिव और अन्य हिंदू देवी-देवताओं की प्रतिमाएं बनी हैं, जो उन्हें बेहद सुंदर बनाती हैं. मंदिर में 1,000 से ज्यादा शिवलिंग हैं, जिनका अपना अलग आकार और स्वरूप है. मंदिर में कहीं पिंडनुमा शिवलिंग देखने को मिलेंगे, तो कुछ शिवलिंग पर छोटे पिंड के साथ कमल की पत्तियां उकेरी गई हैं, जबकि कुछ शिवलिंग मटके के आकार के दिखते हैं. मंदिर में सबसे महत्वपूर्ण महा शिवलिंग को माना गया है, जिस पर बारीकी से नक्काशी की गई है.

मंदिर के पास एक मठ
मंदिर में मौजूद कुछ शिवलिंगों का वर्णन पुराणों और वेदों में भी मिलता है. पुराणों और वेदों में एक मुखधारी पिंड शिवलिंग, अष्टदिकपाल पिंड शिवलिंग, यंत्र पिंड शिवलिंग, चतुर्मुखधारी पिंड शिवलिंग, कुंभेश्वर शिवलिंग, हरिहर पिंड शिवलिंग, मार्गलम्हैसा पिंड शिवलिंग और सहस्रलिंग शिवलिंग का उल्लेख मिलता है और आठों शिवलिंग एक ही मंदिर में मौजूद हैं. पुजारी मंदिर की देखभाल करते हैं. मंदिर के पास एक मठ भी है, जिसका नाम ‘सद्गुरु गोविंदानंदस्वामी महाराज मठ‘ है. मंदिर की पहाड़ी दुर्लभ औषधीय गुणों वाले पौधों से भरी है, जहां सागवान, बरगद, जामुन, करवी, नीलांबरी और सोनकी जैसे पौधे आसानी से मिल जाते हैं.
मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प…और पढ़ें
मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प… और पढ़ें
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