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Advent Time meaning and Advent candles symbolism। एडवेंट टाइम क्या है और एडवेंट कैंडल का अर्थ


Advent Candles Symbolism : दुनिया भर में हर साल दिसंबर का महीना आते ही एक अलग तरह की हलचल दिखाई देने लगती है. बाजारों में सजावट बढ़ जाती है, घरों में सफाई और सजाने की तैयारी शुरू हो जाती है और लोगों के मन में किसी खास दिन का इंतज़ार बनने लगता है. ईसाई समुदाय के लिए यह समय सिर्फ क्रिसमस की खरीदारी या सजावट तक सीमित नहीं होता, बल्कि यह एक अंदरूनी यात्रा भी होती है. इस यात्रा को एडवेंट टाइम कहा जाता है. एडवेंट टाइम दरअसल रुककर सोचने, मन को शांत करने और आने वाले पर्व के लिए खुद को तैयार करने का समय है. यह वह दौर होता है जब लोग अपने रोज़मर्रा के जीवन से थोड़ा हटकर उम्मीद, शांति, खुशी और प्रेम जैसे भावों पर ध्यान देते हैं. बीते समय में जब जीवन आज जितना तेज़ नहीं था, तब लोग इस अवधि को आत्मचिंतन और प्रार्थना के रूप में बिताते थे. आज भी बहुत से परिवार और चर्च इस परंपरा को पूरे मन से निभाते हैं.

एडवेंट का मतलब केवल दिन गिनना नहीं है, बल्कि हर गुजरते सप्ताह के साथ मन के अंधेरे को थोड़ा कम करना है. जैसे-जैसे क्रिसमस पास आता है, वैसे-वैसे घरों और चर्चों में रोशनी बढ़ती जाती है. इसी रोशनी का प्रतीक हैं एडवेंट कैंडल, जो न सिर्फ सजावट का हिस्सा हैं बल्कि एक गहरे भावनात्मक अर्थ को भी अपने अंदर समेटे हुए हैं.

एडवेंट टाइम क्या है?
एडवेंट टाइम हर साल क्रिसमस से करीब चार सप्ताह पहले शुरू होता है. यह समय आमतौर पर नवंबर के आखिरी या दिसंबर के पहले रविवार से शुरू होकर 24 दिसंबर तक चलता है. माना जाता है कि इसकी शुरुआत कई सौ साल पहले चर्चों में हुई थी, जब लोग यीशु मसीह के जन्म की याद में खुद को मानसिक और आध्यात्मिक रूप से तैयार करते थे. इस दौरान चर्चों में खास प्रार्थनाएं, गीत और सामूहिक सभाएं होती हैं. कई परिवार अपने घरों में भी छोटे स्तर पर इसे मनाते हैं. बच्चों के लिए यह समय खास होता है क्योंकि उन्हें हर सप्ताह कुछ नया देखने और सीखने को मिलता है. यह परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी चलती आ रही है और आज भी उतनी ही भावनात्मक मानी जाती है.

एडवेंट का इतिहास
लगभग पांचवीं शताब्दी के आसपास एडवेंट से जुड़ी परंपराओं के संकेत मिलने लगते हैं. माना जाता है कि उस समय यह दौर आत्मसंयम और उपवास से जुड़ा हुआ था. लोग इस समय को अपने जीवन की गलतियों पर सोचने और खुद को बेहतर बनाने के अवसर के रूप में देखते थे. धीरे-धीरे यह समय क्रिसमस की तैयारी का प्रतीक बन गया. अलग-अलग क्षेत्रों में इसकी परंपराएं भी अलग रहीं, जिससे इसका स्वरूप पूरी तरह एक जैसा नहीं रहा.

एडवेंट को एक तपस्या के समय के रूप में भी जाना गया है. इसे सेंट मार्टिन का लेंट या नेटिविटी फास्ट भी कहा जाता था. इतिहासकार सेंट ग्रेगरी ऑफ टूर्स के अनुसार, पांचवीं शताब्दी में बिशप परपेटुअस ने यह निर्देश दिया था कि सेंट मार्टिन दिवस यानी 11 नवंबर से लेकर क्रिसमस तक सप्ताह में तीन दिन उपवास रखा जाए. इसी कारण इस काल को सेंट मार्टिन का लेंट कहा जाने लगा. यह परंपरा मुख्य रूप से फ्रांस के टूर्स क्षेत्र तक सीमित रही और कई वर्षों तक वहीं प्रचलित रही.

पश्चिमी चर्च में एडवेंट का साफ उल्लेख गेलासियन सैक्रामेंटरी में मिलता है. इसमें क्रिसमस से पहले के रविवारों और उनसे जुड़े दिनों के लिए खास प्रार्थनाएं और धार्मिक पाठ शामिल थे. छठी शताब्दी के अंत में ग्रेगरी द ग्रेट के उपदेशों से यह संकेत मिलता है कि एडवेंट चार सप्ताह का धार्मिक समय बन चुका था, हालांकि उस दौर में उपवास की बाध्यता उतनी सख्त नहीं रह गई थी. बाद में नौवीं शताब्दी में शारलेमेन के शासनकाल के दौरान भी उपवास की परंपरा कई क्षेत्रों में जारी रही.

तेरहवीं शताब्दी तक आते-आते एडवेंट के दौरान उपवास का चलन कमजोर पड़ने लगा. मेंडे के डूरंड जैसे लेखकों के अनुसार, कुछ स्थानों पर लोग अब भी इस परंपरा का पालन करते थे, लेकिन पहले जैसी कठोरता नहीं रह गई थी. संत लुई के संत घोषित होने से जुड़े दस्तावेजों में भी यह बताया गया है कि उन्होंने जिस लगन से इस उपवास का पालन किया, वह उस समय के आम धार्मिक लोगों में कम देखने को मिलती थी. बाद में एडवेंट की अवधि को सेंट एंड्रयू के पर्व से लेकर क्रिसमस दिवस तक सीमित कर दिया गया, क्योंकि सेंट एंड्रयू को अधिक व्यापक मान्यता प्राप्त थी.

समय के साथ एडवेंट का अर्थ भी बदलता गया. आज इसे केवल उपवास से जोड़कर नहीं देखा जाता, बल्कि यह उम्मीद, प्रतीक्षा और नए आरंभ का प्रतीक बन चुका है. लोग इस दौरान अपने जीवन में शांति, प्रेम और करुणा को अपनाने का प्रयास करते हैं, ताकि क्रिसमस का संदेश केवल एक दिन तक सीमित न रहे.

Advent Time meaning

एडवेंट कैंडल आमतौर पर गोल आकार की माला में लगाई जाती हैं, जिसे एडवेंट व्रीथ कहा जाता है. इसमें चार कैंडल होती हैं और हर रविवार एक नई कैंडल जलाई जाती है. कुछ जगहों पर पांचवीं कैंडल भी होती है, जिसे क्रिसमस के दिन जलाया जाता है. जैसे-जैसे रोशनी बढ़ती है, वैसे-वैसे उत्सव का माहौल भी गहराता जाता है. यह बढ़ती रोशनी जीवन में आने वाले अच्छे बदलावों का संकेत मानी जाती है.

एडवेंट टाइम की कहानी काफी पुरानी है. माना जाता है कि इसकी शुरुआत यूरोप में हुई थी, जहां लोग सर्दियों की लंबी और अंधेरी रातों में रोशनी के जरिए उम्मीद बनाए रखते थे. बाद में यह परंपरा चर्च से जुड़ी और फिर आम लोगों के घरों तक पहुंच गई. आज दुनिया के कई देशों में इसे अपने-अपने तरीके से मनाया जाता है. बच्चों के लिए एडवेंट कैलेंडर भी बनाए जाते हैं, जिनमें हर दिन एक छोटा सा सरप्राइज होता है.

दिलचस्प बात यह है कि रोशनी का यह संदेश केवल ईसाई धर्म तक सीमित नहीं है. दुनिया के कई धर्मों और संस्कृतियों में दीपक या मोमबत्ती जलाने की परंपरा मिलती है. हर जगह इसका मतलब लगभग एक जैसा है, अंधेरे पर रोशनी की जीत और निराशा पर विश्वास की जीत. इसी कारण एडवेंट टाइम लोगों को एक-दूसरे के करीब लाने का काम भी करता है.

एडवेंट कैंडल: चार दीपक, चार प्रतीक
एडवेंट टाइम का सबसे पहचाना जाने वाला प्रतीक है एडवेंट कैंडल. आमतौर पर एक गोल या चौकोर हरी माला में चार मोमबत्तियां लगाई जाती हैं. हर रविवार एक नई मोमबत्ती जलाई जाती है. यह क्रम धीरे-धीरे रोशनी बढ़ने का संकेत देता है.

-पहली कैंडल – उम्मीद
यह मोमबत्ती आने वाले अच्छे समय की याद दिलाती है. अंधेरे में पहली रोशनी जैसे मन को सहारा देती है.

Advent Time meaning

-दूसरी कैंडल – शांति
यह हमें सिखाता है कि भागदौड़ भरी जिंदगी में भी मन को शांत रखना कितना जरूरी है.

-तीसरी कैंडल – खुशी
इसे अक्सर गुलाबी रंग का रखा जाता है, जो बताता है कि खुशियां पास आ रही हैं.

-चौथी कैंडल – प्रेम
यह सभी रिश्तों को जोड़ने वाले प्रेम का प्रतीक है, जो क्रिसमस का मुख्य भाव माना जाता है.

हर कैंडल के जलने के साथ घर और चर्च में माहौल और भी उजला हो जाता है.

कुछ घरों में क्रिसटलिंग की परंपरा
कुछ देशों और परिवारों में एडवेंट के समय क्रिसटलिंग नाम की परंपरा भी निभाई जाती है. इसमें एक संतरे के ऊपर मोमबत्ती लगाई जाती है और उसके चारों ओर रिबन, सूखे फल और मिठाइयां सजाई जाती हैं. संतरा धरती का प्रतीक माना जाता है और मोमबत्ती उस पर फैलती रोशनी का.

यह परंपरा खास तौर पर बच्चों को जीवन के प्रतीकों को समझाने के लिए अपनाई जाती है. इसके जरिए उन्हें बताया जाता है कि रोशनी और अच्छाई कैसे पूरे संसार में फैलती है.

एडवेंट का असली संदेश
एडवेंट टाइम का उद्देश्य सिर्फ धार्मिक रस्म निभाना नहीं है. इसका असली संदेश है अपने व्यवहार, सोच और रिश्तों में सुधार लाना. यह समय माफ़ी, सहानुभूति और मदद की भावना को बढ़ाने का होता है. कई लोग इस दौरान जरूरतमंदों की मदद करते हैं, दान देते हैं और अपनों के साथ समय बिताते हैं. धीरे-धीरे जलती मोमबत्तियां यह सिखाती हैं कि बदलाव एकदम नहीं आता, बल्कि छोटे-छोटे कदमों से जीवन उजाला बनता है.

(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)


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https://hindi.news18.com/news/dharm/advent-time-meaning-and-advent-candles-symbolism-before-christmas-ws-e-9967674.html

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