अनंत चतुर्दशी का महत्व
अनंत चतुर्दशी के दिन करें इन मंत्रों का जप
अनंत संसार महासुमद्रे मग्रं समभ्युद्धर वासुदेव।
अनंतरूपे विनियोजयस्व ह्रानंतसूत्राय नमो नमस्ते..।।
प्रणत क्लेश नाशाय गोविन्दाय नमो नमः..।।
तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।
धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया ..।।
तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया ..।।

किं नु नाम सहस्त्राणि जपते च पुन: पुन:।
यानि नामानि दिव्यानि तानि चाचक्ष्व केशव:..।।
गोविन्दं पुण्डरीकाक्षं माधवं मधुसूदनम् ..।।
पदनाभं सहस्त्राक्षं वनमालिं हलायुधम् ।
गोवर्धनं ऋषीकेशं वैकुण्ठं पुरुषोत्तमम् ..।।
दामोदरं श्रीधरं च वेदांग गरुड़ध्वजम् ..।।
अनन्तं कृष्णगोपालं जपतो नास्ति पातकम् ।
गवां कोटिप्रदानस्य अश्वमेधशतस्य च ..।।
अमायां वा पौर्णमास्यामेकाद्श्यां तथैव च ..।।
संध्याकाले स्मरेन्नित्यं प्रात:काले तथैव च ।
मध्याहने च जपन्नित्यं सर्वपापै: प्रमुच्यते ..।।
पुष्पसारा, नंदिनी च तुलसी, कृष्णजीवनी ..।।
एत नाम अष्टकं चैव स्त्रोत्र नामार्थ संयुतम।
य:पठेत तां सम्पूज्य सोभवमेघ फलं लभेत..।।
आधि व्याधि हरा नित्यं, तुलसी त्वं नमोस्तुते..।।
देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः।
नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये..।।
बुद्ध्यात्मना वा प्रकृतिस्वभावात्..।।
करोमि यद्यत्सकलं परस्मै।
नारायणयेति समर्पयामि..॥
बुद्ध्यात्मना वानुसृतस्वभावात्..।।
करोति यद्यत्सकलं परस्मै।
नारायणयेति समर्पयेत्तत्..॥
ॐ अंगिरो जाताय विद्महे वाचस्पतये धीमहि तन्नो गुरु प्रचोदयात्..।।
लक्ष्मीकांतं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं। वंदे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्..।।
अनंत सूत्र बांधने के समय पढ़ें यह मंत्र
अनंत रक्षा सूत्र उतारने समय पढ़ें यह मंत्र
अनंत सूत्र बांधने की तरह उतारने के भी नियम होते हैं. इस धागे को 14 दिनों तक धारण करने के बाद ‘ऊँ अनंताय नमः’ मंत्र के साथ उतारकर नदी में प्रवाहित करें.
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