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Mahakaleshwar Bhasma Aarti: सिंगर रिजीत सिंह पत्नी कोयल रॉय के साथ महाकाल बाबा के दरबार में पहुंचे हैं और यहां वे भस्म आरती में भी शामिल हुए. मान्यता है कि भस्म आरती में शामिल होने वाले भक्तों पर भगवान शिव की क…और पढ़ें

भस्म आरती का पौराणिक महत्व और पूजा में शामिल होने वाले नियम
हाइलाइट्स
- अरिजीत सिंह ने महाकालेश्वर मंदिर में भस्म आरती में भाग लिया.
- भस्म आरती में शामिल होने से भक्तों के सभी संकट दूर होते हैं.
- भस्म आरती में पुरुषों को धोती पहनना अनिवार्य है.
सिंगर अरिजीत सिंह पत्नी कोयल रॉय के साथ रविवार को उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर बाबा के दरबार पहुंचे, जहां उन्होंने विधि विधान के साथ पूजा-अर्चना की और भस्म आरती में शामिल होकर बाबा महाकाल का आशीर्वाद भी लिया. दरअसल अरिजीत सिंह शनिवार को लाइव कॉन्सर्ट के लिए इंदौर पहुंचे थे और कॉन्सर्ट के बाद वह रविवार की सुबह लगभग 4 बजे पत्नी के साथ महाकाल मंदिर पहुंच गए, जहां वह बाबा की भक्ति में लीन नजर आए. इस मौके पर अरिजीत सिंह ने नारंगी रंग का कुर्ते पहना तो वहीं उनकी पत्नी ने लाल रंग की साड़ी पहन रखी थी.
आकाश पुजारी ने अरिजीत सिंह पत्नी कोयल रॉय का पूजन संपन्न कराया और दोनों माथे पर महाकाल का अष्टगंध लगाए दिखे. अरिजीत सिंह ने नंदी हॉल में हाथ जोड़कर ध्यान लगाया और चांदी द्वार से दर्शन-पूजन भी किया. दर्शन-पूजन के बाद भगवान का आशीर्वाद लिया और पुजारी ने दोनों को लाल रंग का पटका प्रसाद स्वरूप भेंट किया.
भस्म आरती में शामिल होने से दूर होते हैं संकट
उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर में होने वाली भस्म आरती बेहद प्रसिद्ध है और इस आरती में शामिल होने के लिए दुनियाभर से बाबा के भक्त उज्जैन पहुंचते हैं. महाकालेश्वर में होने वाली भस्म आरती की परंपरा सदियों से चली आ रही है और यह इकलौता ऐसा मंदिर है. जहां भस्म से महाकाल की आरती की जाती है. मान्यता है कि जो भी भक्त इस आरती में शामिल होता है, उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. यह आरती सभी भक्तों के लिए बेहद खूबसूरत लम्हा होता है, जहां महाकालेश्वर बाबा अपने निराकार स्वरूप से साकार स्वरूप में आते हैं.
इन नियमों का रखा जाता है ध्यान
कहा जाता है कि अगर आप महाकालेश्वर बाबा के दर्शन करने आ रहे हैं तो भस्म आरती में अवश्य शामिल हों अन्यथा बाबा के दर्शन अधूरे रह जाते हैं. यह आरती भगवान शिव को जगाने के लिए की जाती है और सुबह 4 बजे शुरू हो जाती है. यह आरती पुजारी द्वारा की जाती है और जो पुजारी इस आरती को करता है, वह एक वस्त्र यानी धोती पहनता है. भस्म आरती में इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि आरती में शामिल होने वाले पुरुष धोती में आएं. इस आरती में शामिल होने के लिए भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है और इस आरती में शामिल होने वाले भक्तों को भाग्यशाली बताया जाता है. कहा जाता है कि महाकालेश्वर बाबा की मर्जी से ही इस आरती में शामिल होते हैं.
भस्म आरती का पैराणिक महत्व
भस्म आरती का काफी पौराणिक महत्व है. आरती में श्मशान से लाई गई चिता के भस्म से भगवान शिव का श्रृंगार किया जाता है. चिता भस्म के अलावा इसमें गोहरी, पीपल, पलाश, शमी और बेल के लकड़ियों की राख को भी मिलाया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भस्म आरती के दौरान महिलाएं सिर पर घूंघट या ओढ़नी डाल लेती हैं. जब भस्म आरती होती है, उस समय महाकालेश्वर निराकार स्वरूप में होते हैं, वह शिव से शंकर बनते हैं. भगवान शिव ने उज्जैन में राक्षस दूषण का वध किया था और उसकी राख से श्रृंगार किया था, तब से लेकर आज तक उस स्थान पर महाकालेश्वर बाबा की भस्म से आरती की जाती है.
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