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वैसे तो आपने भगवान शिव के कई मंदिरों के दर्शन किए होंगे लेकिन तमिलनाडु के तिरुवन्नामलाई में भगवान शिव का एक ऐसा अनोखा मंदिर है, जहां दर्शन करने मात्र से भक्त की सभी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं. साथ ही यह मंदिर पंच तत्व में से एक अग्नि तत्व को दर्शाता है. आइए जानते हैं भगवान शिव के इस अनोखे मंदिर के बारे में…
Arulmigu Arunachaleswarar Temple: हिंदू धर्म और हमारे पुराणों में इस बात का जिक्र हमेशा किया गया है कि पृथ्वी और मानव शरीर पंचभूतों से मिलकर बने हैं, जिनमें अग्नि, वायु, जल, आकाश और भूमि शामिल हैं. पंचभूतों को समर्पित ही दक्षिण भारत के अलग-अलग कोनों में भगवान शिव पांच अलग-अलग तत्वों का प्रतिनिधित्व करते हैं. तमिलनाडु के तिरुवन्नामलाई में स्थित भगवान शिव का अनोखा मंदिर अग्नि तत्व को दर्शाता है. बताया जाता है कि चोल राजाओं के समय इस मंदिर का निर्माण किया गया था. मान्यता है कि इस मंदिर में पूजा और दर्शन करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और सभी पाप क्षय हो जाते हैं. आइए जानते हैं भगवान शिव के इस मंदिर के बारे में खास बातें…
मंदिर को मोक्ष का दरवाजा
तमिलनाडु के तिरुवन्नामलाई में भगवान शिव का अनोखा और अद्भुत अरुलमिगु अन्नामलैयार मंदिर स्थित है. यह मंदिर पंचभूतों में शामिल एक तत्व, अग्नि को दर्शाता है. मंदिर की ऊर्जा बाकी मंदिरों से काफी अलग है, जो भक्तों को शक्तिशाली महसूस कराती है. अरुलमिगु अन्नामलैयार मंदिर को मोक्ष का दरवाजा माना जाता है. कहा जाता है कि इस मंदिर में दर्शन करने और भगवान शिव की सच्ची श्रद्धा करने से मोक्ष मिलती है.
मंदिर ऊंची पहाड़ी की तलहटी पर बना
मंदिर की वास्तुकला और बनावट शैली अचंभित कर देने वाली है. मंदिर ऊंची पहाड़ी की तलहटी पर बना है. मंदिर की दीवारें, स्तंभ और गर्भग्रह दक्षिण द्रविड़ वास्तुकला शैली और मूर्तिकला के बेहतरीन उदाहरण हैं. मंदिर का परिसर 10 हेक्टेयर में फैला है और भारत के सबसे बड़े मंदिरों में से एक है. इसमें मुख्य चार दरवाजे हैं. इस परिसर में कई मंदिर हैं, जिनमें अन्नामलैयार और उन्नामुलई अम्मन के मंदिर सबसे खास हैं. मंदिर परिसर में कई हॉल भी मौजूद हैं, इनमें सबसे खास विजयनगर काल में बना हजार खंभों वाला हॉल है.
चोल राजाओं ने मंदिर का निर्माण किया
मंदिर का निर्माण 9वीं शताब्दी की शुरुआत में किया गया. चोल राजाओं के समय सबसे पहले मंदिर का निर्माण किया गया था, जिसके बाद होयसला के राजाओं ने मंदिर का विस्तार किया. मंदिर पर चोल वंश और होयसला वंश दोनों की नक्काशी और शैली स्तम्भों से लेकर दीवारों तक पर देखने को मिलती है. मंदिर के स्तंभों पर देवी-देवताओं की छोटी-छोटी प्रतिमाओं को उकेरा गया है.
मौजूद शिवलिंग स्वयंभू
अन्नामलैयार मंदिर में मौजूद शिवलिंग स्वयंभू और चमत्कारी है. भगवान शिव के अन्नामलैयार रूप के दर्शन करने से सारे रोग मिट जाते हैं और मोक्ष प्राप्त होती है. बता दें कि बाकी दक्षिण भारत में भगवान शिव जंबुकेश्वर मंदिर में अप्पू लिंगम के रूप में जल का, एकांबरेश्वर मंदिर में पृथ्वी का, कालाहस्तीश्वर मंदिर में वायु लिंगम का और नटराजम मंदिर में आकाश लिंगम का प्रतिनिधित्व करते हैं.
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मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प…और पढ़ें
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