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Chaitra Navratri : नवरात्रि में अष्टमी और नवमी तिथि को कन्या पूजन करना बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन छोटी बच्चियों को मां दुर्गा का रूप मानकर उनकी पूजा की जाती है और उन्हें भोजन कराया जाता है.

चैत्र नवरात्रि 2025 अष्टमी-नवमी तिथि में कन्या पूजन के शुभ मुहूर्त
हाइलाइट्स
- अष्टमी तिथि 4 अप्रैल रात 8:12 से 5 अप्रैल शाम 7:26 तक है.
- नवमी तिथि 5 अप्रैल रात 7:26 से 6 अप्रैल रात 7:22 तक है.
- कन्या पूजन का अभिजीत मुहूर्त 11:59-12:49 है.
Chaitra Navratri Muhurt : देशभर में चैत्र नवरात्रि का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है. मान्यता है इस नवरात्रि में ही ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी. को 9 दिन तक व्रत रहकर नवरात्रि का अनुष्ठान करते हैं. घरों में यज्ञ, हवन भजन – कीर्तन आदि के कार्यक्रम किए जाते हैं. नवरात्रि का व्रत कन्या पूजन के साथ ही पूर्ण माना जाता है. घरेलू मान्यताओं के आधार पर कुछ घरों में अष्टमी तिथि और कुछ घरों में नवमी तिथि पर कन्या पूजन होता है. तिथि और शुभ मुहूर्त को लेकर लोगों के मन में सदैव ही संशय बना रहता है. यदि आपके घर में अष्टमी या नवमी की तिथि में कन्या पूजन होता है तो हम आपको बताने जा रहे हैं दोनों तिथियां में कौन से समय में कन्या पूजन करना शुभ फलदाई होगा.
कन्या पूजन कब होता है : कन्या पूजन साल में दो बार या नवरात्रि की अष्टमी या नवमी को किया जाता है. छोटे बच्चों को सबसे पवित्र आत्मा माना जाता है क्योंकि माना जाता है कि उनके अंदर किसी भी तरह की बुरी भावना नहीं होती है. इसलिए उनकी पूजा की जाती है.
अष्टमी तिथि में कन्या पूजन : चैत्र नवरात्रि में अष्टमी तिथि की शुरुआत 4 अप्रैल को रात्रि 8:12 से होगी. इसके साथ ही अष्टमी तिथि का समापन 5 अप्रैल को शाम 7:26 पर होगा. अष्टमी तिथि पर इस बार भद्र वास योग का निर्माण हो रहा है साथ ही अष्टमी में ही शुक्रमा योग और पुनर्वसु नक्षत्र का बहुत ही शानदार सहयोग बना रहा है. कन्या पूजन के लिए 5 अप्रैल को दोपहर में 11:59 से 12:49 तक का अभिजीत मुहूर्त सबसे उत्तम है.
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नवमी तिथि में कन्या पूजन : पंचांग के अनुसार चैत्र नवरात्रि की नवमी तिथि 5 अप्रैल 2025 शनिवार को रात्रि में 7:26 से शुरू होकर 6 अप्रैल 2025 दिन रविवार को रात्रि 7:22 पर समाप्त होगी. नवमी तिथि में कन्या पूजन के लिए अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11:58 से 12:49 तक है.
नवरात्रि का हर दिन हर बेला स्वयं सिद्ध : ऐसे तो नवरात्रि में सभी मुहूर्त, बेला स्वयंसिद्ध होती है. लेकिन अभिजीत मुहूर्त में कन्या पूजन एवं उन्हें भोजन करना सबसे उत्तम माना गया है. माना जाता है अभिजीत मुहूर्त में पूजन करने से नवरात्रि का फल 1000 गुना प्राप्त होता है.
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