Court Cases Astrology : जीवन में कई बार ऐसी परिस्थितियां आती हैं जब किसी व्यक्ति को न्यायालय में उपस्थित होना पड़ता है. ज्योतिष शास्त्र में इसे गंभीरता से देखा जाता है और इसके पीछे विशेष ग्रहों और भावों की स्थिति जिम्मेदार मानी जाती है. सामान्यतः लोग कोर्ट जाने को लेकर भयभीत रहते हैं. यह भय केवल प्रशासनिक प्रक्रिया के कारण ही नहीं, बल्कि ग्रहों और कुंडली में दशाओं के प्रभाव के कारण भी उत्पन्न होता है. कुंडली में न्याय और मुकदमे से जुड़े मुख्य भाव छठा और ग्यारहवां भाव माने जाते हैं. इसके अलावा कुछ दशाओं में तीसरा और आठवां भाव भी न्याय यात्रा के संकेत देते हैं. ग्रहों की स्थिति इन भावों के साथ मिलकर यह दर्शाती है कि व्यक्ति को मुकदमे का सामना करना पड़ सकता है या नहीं. शनि ग्रह मुख्य रूप से न्याय, कानून और मुकदमे का कारक माना जाता है. शनि की स्थिति व्यक्ति के जीवन में कानूनी चुनौतियों, सजाओं या लंबी लड़ाइयों की ओर इशारा करती है. सूर्य ग्रह प्रशासन और शासन का प्रतीक है, इसलिए सूर्य भी न्याय प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यह शासन, न्यायाधीश और प्रशासनिक निर्णयों से जुड़ा होता है. मंगल ग्रह मुकदमे को लड़ा या झगड़ा करवा सकता है. विशेष रूप से जब मंगल प्रभावित होता है, तो विवाद या मारपीट की संभावना बढ़ जाती है. इस विषय में अधिक जानकारी दे रहे हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा.
कब शुरू होती है परेशानी?
व्यक्ति के जीवन में न्याय यात्रा कब उत्पन्न होती है, यह कुंडली के कई कारकों पर निर्भर करता है. यदि लग्न या छठवें भाव का स्वामी कमजोर स्थिति में हो, तो व्यक्ति को न्यायालय में उपस्थित होना पड़ सकता है. ग्रहों की सहायता से यह स्थिति टाली जा सकती है, लेकिन सामान्यतः कमजोर स्वामी वाली स्थिति न्याय यात्रा के मार्ग खोल देती है. सूर्य और चंद्रमा के साथ राहु का संबंध भी न्याय यात्रा की संभावना बढ़ाता है.
मंगल का रोल
मंगल ग्रह व्यक्ति को न्यायालय में फंसा सकता है. यदि किसी मुकदमे की अवधि मंगल की महादशा, अंतर्दशा या प्रत्यंतर दशा में हो, तो व्यक्ति को कोर्ट जाना अनिवार्य हो सकता है. मंगल के प्रभाव से व्यक्ति को अनावश्यक झगड़े या विवाद का सामना करना पड़ सकता है.
राहु का असर
राहु ग्रह न्याय यात्रा में अप्रत्याशित घटनाओं का कारण बनता है. राहु के प्रभाव में व्यक्ति बिना किसी कारण के मुकदमे में फंस सकता है. इस स्थिति में व्यक्ति का कोई प्रत्यक्ष दोष नहीं होता, फिर भी उसे न्यायालय में उपस्थित होना पड़ सकता है. राहु के प्रभाव में झूठ और कल्पना का मिश्रण उत्पन्न होता है, जो अनजाने में व्यक्ति को न्याय यात्रा के लिए बाध्य कर देता है.
हस्तरेखा के अनुसार
कुछ विशेष शारीरिक लक्षण भी न्याय यात्रा के संकेत देते हैं. उदाहरण स्वरूप, सूर्य पर्वत के नीचे या अनामिका उंगली के पास तिल होना न्याय यात्रा के योग बनाता है. इसी प्रकार, अंगूठे के नीचे शुक्र का स्थान भी न्याय यात्रा की संभावना दिखाता है. इन स्थितियों में व्यक्ति ने कोई गलती नहीं की होती, लेकिन ग्रहों की स्थिति उसे न्यायालय में उपस्थित होने के लिए बाध्य कर देती है.

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार
इस प्रकार, ज्योतिष शास्त्र हमें यह समझने में मदद करता है कि जीवन में न्याय और मुकदमे से जुड़े अनुभव कैसे उत्पन्न होते हैं. शनि, सूर्य, मंगल और राहु के प्रभाव से व्यक्ति को कभी न्यायाधीश, कभी वकील और कभी मुकदमे का पक्षकार बनने का अवसर मिलता है. न्याय यात्रा के अनुभव व्यक्ति के जीवन में समय-समय पर उत्पन्न होते हैं और ग्रहों की दशा अनुसार उनका परिणाम भिन्न हो सकता है.
ज्योतिष में मुकदमे और न्याय यात्रा मुख्य रूप से छठे, ग्यारहवें, तीसरे और आठवें भावों और शनि, सूर्य, मंगल, राहु ग्रहों पर निर्भर करती है. शनि न्याय का कारक, सूर्य प्रशासन का प्रतीक, मंगल विवाद उत्पन्न करने वाला और राहु अनायास न्याय यात्रा के लिए बाध्य करने वाला ग्रह है. कुछ शारीरिक लक्षण जैसे सूर्य पर्वत या अंगूठे के नीचे तिल भी न्याय यात्रा की संभावना बताते हैं. ग्रहों और भावों की स्थिति व्यक्ति के जीवन में न्यायिक चुनौतियों और मुकदमों को स्पष्ट रूप से दिखाती है.
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https://hindi.news18.com/astro/astro-tips-astrological-reasons-for-court-cases-and-imprisonment-kundali-ke-kounse-grah-pahunchate-hain-jail-ws-e-9960779.html







